उत्तर रेलवे के गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर तीन यात्री फटा पुराना बैग लेकर इधर उधर टहल रहे थे, लेकिन बैग को एक पल के लिए नहीं छोड़ रहे थे. यहां तक कि आरओ में पानी पीने के दौरान भी बैग को पकड़ रखा था. इस तरह के हावभाव देखकर जीआरपी को शक हुआ. तीनों को रोका और बैग खोलने का कहा. पहले तो आनाकानी करते रहे लेकिन बाद में जब बैग खोला तो जीआरपी और आरपीएफ की आंखें फटी रह गयीं.
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी के अनुसार आरपीएफ/उत्तर रेलवे, बड़ौदा हाउस ने जीआरपी के साथ मिलकर ट्रेनों में चोरियों में शामिल अपराधियों को पकड़ने के लिए एक विशेष टीम गठित की. टीम ने जीआरपी गाजियाबाद के समन्वय से दिल्ली और गाजियाबाद के रेलवे स्टेशनों पर विभिन्न ब्लैक स्पॉट पर गश्त बद. इस दौरान गाजियाबाद स्टेशन के प्लेटफॉर्म 5 और 6 से तीन अपराधियों को पकड़ लिया. इनके पास पुराने बैग थे, जो एक पल के लिए कहीं रख नहीं रहे थे.
शक के आधार पर इनको रोका गया और बैग की जांच गयी. उनके कब्जे से 128 मोबाइल बरामद किए, जो उन्होंने पिछले 15 दिनों में विभिन्न ट्रेनों से चुराए थे. जब्त फोन की कुल कीमत 35.20 लाख रुपये है. प्रत्येक अपराधी के खिलाफ पहले कम से कम दो से तीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. मोबाइल के मालिकों और चोरी के संबंध में विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज मामलों का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
पूछताछ में बताया कि बरामद किए गए सभी मोबाइल फोन दिल्ली से चलने वाली या दिल्ली से गुजरने वाली ट्रेनों से चुराए गए थे. ये मोबाइल उस समय चुराए गए थे, जब यात्रियों ने मोबाइल फोन को चार्जिंग के लिए रखता था या यात्री सो रहे होते थे. चोरी किए गए मोबाइल फोन के रिसीवर का पता लगाने के लिए आगे के प्रयास किए जा रहे हैं. पता चला है कि वह रिसीवर मोबाइल फोन लेकर उन्हें बांग्लादेश सीमा पर ले जाता था. फिर फोन बांग्लादेश में बेचे जाते थे, जहां से उनके IMEI नंबर का पता करना संभव नहीं हो पाता था.