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ट्रैक के लिए SKI 30 का इस्‍तेमाल, कवच का अपग्रेड वर्जन 4.0… रेल यात्रियों की सुरक्षा

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रेलमंत्री ने पिछले दिनों रेल सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए. रेल मंत्री अश्विनी वैष्‍णव का कहना है कि नई तकनीक के तहत ट्रैक को स्‍लीपर से कसने के लिए हुक की जगह एसकेआई 30 का इस्‍तेमाल किया जाएगा. पायलट प्रोजेक्‍ट के रूप में 18 किमी. लंबे ट्रैक पर इसका सफल प्रयोग किया जा चुका है. उन्‍होंने बताया कि सेफ्टी के लिहाज से हुक के मुकाबले ये बहुत बेहतर है. इसमें माइनस 60 डिग्री से प्‍लस 60 डिग्री तक तापमान झेलने की क्षमता है. अब ट्रैकों पर एसकेआई 30 का ही इस्‍तेमाल किया जाएगा.

रेलवे ने ट्रेन हादसों को रोकने के लिए देश के दो और प्रमुख रूट पर कवच का अपग्रेड वर्जन 4.0 लगाने का फैसला किया है. नए वर्जन को रिसर्च डिजाइन एंड स्‍टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) ने हाल में अप्रूवल दे दिया है. इन दोनों रूटों के लिए टेंडर जल्‍द निकाला जाएगा. रेल मंत्री अश्विनी वैष्‍णव के अनुसार अक्‍तूबर में कवच 4.0 लगाने का काम भी शुरू हो जाएगा.

भारतीय रेलवे के सबसे व्‍यस्‍त रूटों में से दिल्‍ली-मुंबई और दिल्‍ली-कोलकाता हैं. इन दोनों रूटों को कवच से लैस किया जा रहा है. अब कवच 4.0 आने के बाद मुंबई-चेन्‍नई व चेन्‍नई-कोलकाता रूट पर भी कवच लगाने का फैसला लिया गया है. इस तरह चारों रूटों को मिलाकर करीब 9 हजार किमी. लंबे ट्रैक को कचव से लैस कर दिया जाएगा. रेल मंत्री अश्विनी वैष्‍णव ने बताया कि हर साल करीब 4 हजार किमी. ट्रैक पर कवच लगाया जाएगा. इस तरह अगले तीन सालों में चारों रूटों को कचव से लैस कर दिया जाएगा. मौजूदा समय 1465 किमी. रेलवे ट्रैक कचव से लैस हो चुका है.