गुजरात में एक बेहद ही हैरान करने वाला मामला आया है, जहां सरकारी स्कूलों के 120 से ज्यादा शिक्षक कई दिनों से बिना बताए संबंधित स्कूलों में पढ़ाने के लिए नहीं जा रहे हैं. खबर के सामने आते ही सरकार के भी होश उड़ गए और तुरंत ही जांच के आदेश दे दिए. दरअसल, भूपेन्द्र पटेल कीअगुवाई वाली गुजरात सरकार ने बिना किसी सूचना के स्कूलों से अनुपस्थित रहने वाले लगभग 150 शिक्षकों की जांच शुरू की है.
पिछले एक सप्ताह में, राज्य के कई स्कूलों ने ऐसे कई शिक्षकों के बारे में बताया है जो स्कूल नहीं जा रहे हैं, उनमें से कई विदेश में बस गए हैं या वर्षों और महीनों से गैर-आधिकारिक छुट्टियों पर हैं. प्राथमिक, माध्यमिक और वयस्क शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुल्ल पंशेरिया ने कहा कि सोमवार तक, कम से कम ऐसे 32 शिक्षकों की पहचान की गई थी जो विदेश चले गए थे, जबकि 31 बिना बताए छुट्टियों पर थे.
उन्होंने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि इनमें से किसी को भी वेतन नहीं मिल रहा है. यह उन कई रिपोर्टों के विपरीत है जो बताती हैं कि ऐसे कई शिक्षक वेतन ले रहे थे. पिछले कुछ दिनों की मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए, पंशेरिया ने संवाददाताओं से कहा कि सोमवार तक 17 जिलों से जमा की गई जानकारी में बताया गया है कि 32 शिक्षक विदेश में थे और 31 बिना अनुमति के छुट्टी पर थे. उन्होंने कहा कि विभाग अन्य जिलों से जानकारी जुटा रहा है और ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी.
इस सप्ताह की शुरुआत में, बनासकांठा जिले के एक शिक्षक को कई वर्षों से संयुक्त राज्य अमेरिका में रहते हुए पाया गया था और उन्हें इस साल जनवरी तक वेतन मिल रहा था. डेक्कन हेराल्ड में प्रकाशित खबर के मुताबिक, अन्य जिलों में भी ऐसे मामले सामने आये हैं. सूत्रों ने कहा कि विदेश जाने वाले शिक्षकों की संख्या 50 तक हो सकती है, जबकि लगभग 100 बिना अनुमति के छुट्टी पर पाए गए हैं. इस बीच, विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि “यह एक सुव्यवस्थित घोटाला है और राज्य सरकार को ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.”
कांग्रेस ने कहा कि गांधीनगर में स्कूलों के लिए अत्याधुनिक नियंत्रण और कमान केंद्र (सीसीसी) के बावजूद ऐसा हो रहा है, जो सरकार द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों और छात्रों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक निगरानी प्रणाली के रूप में काम करता है. केंद्र का दावा है कि वह 50,000 से अधिक स्कूलों की निगरानी कर रहा है और “सीखने में सुधार के लिए 4 लाख शिक्षकों की मदद ले रहा है.” यह भी दावा किया गया था कि केंद्र सरकारी और अनुदान प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति और कामकाज की वास्तविक समय की ऑनलाइन निगरानी के रूप में काम कर रहा है.