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गद्दाफी के देश में ये क्या हो रहा है, सेंट्रल बैंक चीफ को क्यों छोड़ना पड़ा देश

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मिडिल ईस्ट से लेकर रूस-यूक्रेन में शांति भंग हो चुकी है. हर तरफ से आसमान में बमों की बरसात हो रही है. इस बीच एक और देश में आंतरिक कलह की शुरूआत हो चुकी है. यह देश लीबिया है. लीबिया के केंद्रीय बैंक के गवर्नर सादिक अल-कबीर ने कहा है कि उन्हें और संस्थान के अन्य वरिष्ठ कर्मचारियों को सशस्त्र मिलिशिया की धमकियों से बचने के लिए देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है.

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अल-कबीर ने कहा कि ‘मिलिशिया बैंक कर्मचारियों को धमका रहे हैं और उनमें भय पैदा कर रहे हैं तथा कभी-कभी उन्हें काम पर जाने के लिए मजबूर करने के लिए उनके बच्चों और रिश्तेदारों का अपहरण कर लेते हैं.’ लीबिया का केन्द्रीय बैंक, जो अरबों डॉलर के तेल राजस्व को नियंत्रित करता है, नए राजनीतिक संकट के केंद्र में है. जो देश 2011 में नाटो समर्थित द्वारा लंबे समय तक शासक रहे मुअम्मर गद्दाफी को उखाड़ फेंकने के बाद से संघर्ष से त्रस्त है. अब पूर्व और पश्चिम में दो प्रतिद्वंद्वी प्रशासनों के बीच विभाजित है.

क्यों बढ़ा विवाद?
दोनों प्रशासनों के बीच यह नवीनतम विवाद हाल में और बढ़ गया, जब त्रिपोली स्थित प्रधानमंत्री अब्दुल हामिद दबीबा, जो पश्चिमी लीबिया में स्थित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय एकता सरकार का नेतृत्व कर रहे थे, ने अल-कबीर को हटाने का प्रयास किया. साथ ही केंद्रीय बैंक के गवर्नर का कार्यालय संभालने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भेजा.

गुलाबी’ तस्वीर पेश कर रहे हैं प्रधानमंत्री- सेंट्रल बैंक चीफ
रिपोर्ट के अनुसार, दोनों लोगों के बीच तनाव बढ़ रहा था. अल-कबीर ने प्रधानमंत्री पर “ज़्यादा खर्च करने और अपने भाषणों में अर्थव्यवस्था की भ्रामक ‘गुलाबी’ तस्वीर पेश करने का आरोप लगाया था.” गवर्नर के आलोचकों ने उन पर तेल राजस्व को गलत तरीके से संभालने का आरोप लगाया है. बैंक के नेतृत्व और कर्मचारियों पर हमलों के जवाब में, प्रधानमंत्री ओसामा हम्माद की अध्यक्षता वाली बेनगाजी स्थित पूर्वी सरकार ने सोमवार को घोषणा की कि वह तेल क्षेत्रों को बंद कर रही है.

बता दें कि पूर्वी सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं है, हालांकि इसके सैन्य नेता खलीफा हफ्तार लीबिया के अधिकांश तेल क्षेत्रों को नियंत्रित करते हैं. अल-कबीर ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया कि दबीबा द्वारा उनकी जगह लेने के प्रयास अवैध थे, और वित्तीय संस्थान में नेतृत्व नियुक्तियों पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए समझौतों का उल्लंघन करते थे.

हो रहा बुरा असर
अल-कबीर ने कर्मचारियों से बैंक परिसर से दूर रहने को कहा था, लेकिन नए निदेशक मंडल ने उन्हें अंदर आकर काम शुरू करने को कहा था. ट्रेना ने कहा, “केंद्रीय बैंक के कर्मचारी वास्तव में इस बात को लेकर भ्रमित हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए. बैंकिंग लेनदेन लगभग एक सप्ताह से निलंबित है, इसलिए लोग पैसे ट्रांसफर नहीं कर सकते. लिक्विडेशन की बहुत बड़ी समस्या है, इसलिए वे अपना पैसा भी नहीं निकाल सकते. साथ ही, ऐसी धमकियां भी हैं कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन में देरी होगी.”