शेख हसीना बांग्लादेश छोड़ चुकी हैं. अभी वह भारत में हैं. मगर उनकी वजह से एक बार फिर बांग्लादेश उबल गया है. शेख हसीना ने इस्तीफा दिया है या नहीं, इसे लेकर एक टिप्पणी से स्टूडेंट्स इस कदर खफा हुए कि अब राष्ट्रपति की कुर्सी खतरे में आ गई है. स्टूडेंट्स के गुस्से को देख मोहम्मद यूनुस ने भी माथा पकड़ लिया है. दरअसल, बांग्लादेश में सड़क पर फिर से वे ही स्टूडेंट्स उतरे हैं, जिन्होंने विरोध प्रदर्शन कर शेख हसीना सरकार की सरकार गिरा दी और उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया.
दरअसल, बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले छात्र संगठन ने मंगलवार को ढाका में प्रदर्शन किया. इन स्टूडेंट्स ने अपदस्थ प्रधानमंत्री यानी शेख हसीना के इस्तीफे पर टिप्पणी करने के लिए राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को हटाने की मांग की. पिछले सप्ताह एक बांग्ला दैनिक को दिए गए इंटरव्यू में राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने कहा कि उनके पास इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर हुए विरोध-प्रदर्शनों के बीच देश छोड़कर जाने से पहले हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
बांग्लादेश में फिर बवाल
राष्ट्रपति के इसी बयान पर अब बांग्लादेश में स्टूडेंट्स बवाल काट रहे हैं. शेख हसीना पर टिप्पणी देने की वजह से अब राष्ट्रपति शहाबुद्दीन की कुर्सी खतरे में पड़ गई है. शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने के लिए अभियान चलाने वाले भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन ने ढाखा में केंद्रीय शहीद मीनार के पास रैली निकाली और शहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग की. प्रदर्शनकारी नसीरउद्दीन पटवारी ने कहा, ‘राष्ट्रपति फासीवाद के सहयोगी हैं. वह नरसंहार के पक्षधर थे. हम उनके इस्तीफे की मांग करते हैं.’
यूनुस की बढ़ी टेंशन
वहीं, ‘शाधिनोता-शोरबोभौमोत्तो रोक्खा समिति’ (स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा के लिए समिति) के बैनर तले प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने ढाका विश्वविद्यालय परिसर में धरना दिया, जिसमें शहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग की गई तथा संविधान को समाप्त करने और ‘क्रांतिकारी सरकार’ के गठन का आह्वान किया गया. प्रदर्शनकारियों ने हसीना की अवामी लीग पार्टी और उसके सहयोगियों की राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगाने की भी मांग की. बाद में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास ‘बंगभवन’ की ओर मार्च किया. इन प्रदर्शनों को देख अब यूनुस सरकार की टेंशन बढ़ गई है. सरकार किसी तरह इस प्रदर्शन की आग को बुझाना चाहती है.