भाजपा ने भूपेश सरकार नियम को पलट दिया है।
महापौर का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाएगा
भूपेश सरकार ने 2019 में महापौर चुनाव पार्षदों से कराया था
मतदाता अब दो , पार्षद और महापौर के लिए वोट करेंगे
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने नगरीय निकायों के चुनावों में बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है। कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि प्रदेश के नगर पालिक निगमों के महापौर और नगर पालिकाओं के अध्यक्ष का निर्वाचन अब प्रत्यक्ष रूप से कराया जाएगा।
इसके लिए छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम, 1956 (संशोधन) अध्यादेश 2024 और छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम 1961 (संशोधन) अध्यादेश 2024 में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। इन संशोधनों में प्रत्यक्ष निर्वाचन और आरक्षण से संबंधित प्रावधानों का समावेश किया जाएगा।
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जनता चुनेगी महापौर, भूपेश सरकार नियम पलटा
अब नगर पंचायत, नगरपालिकाओं और नगर निगमों में महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा किया जाएगा। भूपेश बघेल सरकार ने 2019 में महापौर और नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के माध्यम से कराने का नियम लागू किया था, जिससे विपक्षी भाजपा ने तीव्र विरोध किया था।
2019 में भूपेश सरकार ने बदला था नियम
यह कदम राज्य में पिछले कुछ वर्षों से चल रहे अप्रत्यक्ष निर्वाचन के मुकाबले एक बड़ा बदलाव होगा। दरअसल, अविभाजित मध्य प्रदेश में 1999 तक नगर निगमों के महापौर और नगर पालिकाओं के अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होता था। लेकिन उसके बाद, तत्कालीन सरकार ने महापौर और अध्यक्ष के चुनाव को अप्रत्यक्ष रूप से कराने का निर्णय लिया था। इसे 12 दिसंबर 2019 को राजपत्र में अधिसूचित किया गया था।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि आगामी नगरीय निकाय चुनाव में मतदाता दो वोट देंगे, एक पार्षद और दूसरा नगर अध्यक्ष या महापौर के लिए। इसके साथ ही, महापौर के चुनाव को प्रत्यक्ष रूप से कराने के लिए नए नियम बनाए जाएंगे हैं। इस फैसले से जनता को अपने महापौर के चयन में पुनः अधिकार मिलेगा।
स्थानीय निकायों में आरक्षण
इसके अलावा, राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग और अल्संख्यक समुदाय के लिए स्थानीय निकायों में आरक्षण के नियमों में भी बदलाव किया है। त्रिस्तरीय पंचायतों और नगरीय निकायों के चुनावों में अब अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक की जाएगी।
यह निर्णय पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की अनुशंसा पर आधारित है, जिससे अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया जाएगा।
त्रिस्तरीय पंचायती राज के लिए ओबीसी आरक्षण में संशोधन
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 में भी त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के लिए ओबीसी के आरक्षण और प्रतिनिधित्व संबंधी प्रावधानों में संशोधन किए जाएंगे। इस संशोधन से राज्य में चुनावी प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा।