नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय ने महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी मामले में चल रही धन शोधन जांच के तहत करीब 388 करोड़ रुपये की नई संपत्ति कुर्क की है। एजेंसी ने शनिवार को यह जानकारी दी। इस मामले में छत्तीसगढ़ के कई उच्च पदस्थ राजनेताओं और नौकरशाहों के कथित रूप से शामिल होने का आरोप है।
संघीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि इनमें चल संपत्तियां शामिल हैं। इन संपत्तियों में मॉरीशस स्थित कंपनी तानो इन्वेस्टमेंट ऑपर्च्युनिटीज फंड की संपत्तियां, इएफपीआई और एफडीआई के माध्यम से दुबई स्थित “हवाला ऑपरेटर” हरि शंकर टिबरेवाल से संबंधित निवेश और छत्तीसगढ़, मुंबई व मध्य प्रदेश में कई सट्टेबाजी एप और वेबसाइटों के प्रमोटरों, पैनल ऑपरेटरों और प्रमोटरों के सहयोगियों के नाम पर मौजूद संपत्तियां हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि इन संपत्तियों को कुर्क करने के लिए 5 दिसंबर को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अनंतिम आदेश जारी किया गया था, जिसका कुल मूल्य 387.99 करोड़ रुपये है। इस मामले में एजेंसी टिबरेवाल से पूछताछ कर रही है।
ईडी ने इस जांच के दौरान कई ऐसे आदेश जारी किए हैं और नवीनतम आदेश के साथ अब तक 2,295.61 करोड़ रुपये की संपत्ति या तो फ्रीज, कुर्क या जब्त कर ली गई है।
इस मामले में ग्यारह लोगों को गिरफ्तार किया गया है और ईडी ने चार आरोपपत्र दायर किए हैं। एजेंसी ने पहले भी आरोप लगाया है कि महादेव ऑनलाइन बेटिंग (एमओबी) गेमिंग और बेटिंग एप की जांच में छत्तीसगढ़ के कई बड़े नेताओं और नौकरशाहों की संलिप्तता सामने आई है। एप के दो मुख्य प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल इसी राज्य से हैं।
ईडी के अनुसार, एमओबी एक एक व्यापक सिंडिकेट है, जो अवैध सट्टेबाजी वेबसाइटों को नए उपयोगकर्ताओं को नामांकित करने, उपयोगकर्ता आईडी बनाने और बेनामी बैंक खातों के एक स्तरित वेब के माध्यम से धन शोधन करने में सक्षम बनाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की व्यवस्था करता है।