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आईफोन बनाने वाली कंपनी ने की भारत से क्यों की अरबों रुपये की मांग, कौन सा वादा पूरा करने से चूकी सरकार

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ऐपल की सप्लायर फॉक्सकॉन और डिक्सन टेक्नोलॉजीज की भारतीय इकाइयों ने भारत की सरकार से अरबों रुपये की मांग की है. इन कंपनियों का कहना है कि उन्हें सरकार की प्रोडक्शन इंसेंटिव स्कीम के तहत यह रकम मिलनी थी. ईटी ने ब्लूमबर्ग के हवाले से एक रिपोर्ट में लिखा है कि सरकार ने कुल 410 अरब रुपये इस स्कीम के तहत सब्सिडी के तौर पर मैन्युफैक्चरर्स को देने का वादा किया था. हालांकि, इसका कुछ हिस्सा अभी तक कंपनियों को एलोकेट नहीं किया गया है.

दोनों ही कंपनियों का कहना है कि वे इस फंड में कुछ की हकदार हैं. सूत्रों के अनुसार, सरकार अगर फंड रिलीज करती है तो फॉक्सकॉन को इस स्कीम के तहत 6 अरब रुपये और डिक्सन टेक के 1 अरब रुपये मिलने की उम्मीद है. मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि सरकार अभी इन कंपनियों के आवेदन की समीक्षा कर रही है. अभी तक फॉक्सकॉन और डिक्सन टेक ने औपचारिक रूप से इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है

क्या है सब्सिडी का नियम
प्रधानमंत्री की प्रोडक्शन-लिंक्ड सब्सिडी योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के लिए सालाना उत्पादन का एक निश्चित मूल्य निर्धारित किया गया है, जो एक तय सीमा तक ही सब्सिडी प्राप्त कर सकती हैं. योजना के अनुसार, अगर कुछ कंपनियां अपनी सीमा तक उत्पादन नहीं कर पाती हैं, तो बची हुई सब्सिडी उन कंपनियों को दी जाएगी, जिन्होंने अपनी सीमा से अधिक उत्पादन किया है. फॉक्सकॉन ने वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 300 अरब रुपये के आईफोन बनाए, जो कि उसकी 200 अरब रुपये की सीमा से अधिक था. वहीं, डिक्सन ने जारी वित्त वर्ष में 80 अरब रुपये का उत्पादन किया, जो उसकी 60 अरब रुपये की सीमा से अधिक था.

नीतियों की पालन की बात
माना जा रहा है कि बची हुई सब्सिडी की राशि ज्यादा नहीं है, लेकिन यह मोदी सरकार की औद्योगिक नीति के महत्वाकांक्षाओं के लिए एक बड़ा परीक्षण है. कंपनियां चाहती हैं कि सरकार उन नियमों का पालन करे, जिनके तहत उन्होंने बड़े निवेश किए हैं. उदाहरण के लिए, पिछले वित्तीय वर्ष में ऐपल के पार्टनर्स ने भारत में 14 अरब डॉलर के आईफोन असेंबल किए, जिससे चीन के बाहर उनकी उपस्थिति मजबूत हुई. इसके साथ ही, दक्षिण कोरिया की सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने भी इस योजना के जरिए अपने निर्यात को बढ़ावा दिया है. भारत में चिप निर्माताओं और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक कंपनियों को आकर्षित करने के लिए नीति की स्थिरता और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. ये कंपनियां भारत में क्लाउड कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विस्तार के लिए अरबों का निवेश कर रही हैं.

डिक्सन के रिव्यू में पेंच
डिक्सन के मामले में सरकार यह भी जांच कर रही है कि क्या उसने शाओमी के स्मार्टफोन उत्पादन के लिए नए निवेश किए थे या सिर्फ मशीनों को किसी पुराने कारखाने से स्थानांतरित किया गया था. भारत में शाओमी का बाजार हिस्सा घटने के कारण उसके डिवाइसों का उत्पादन कम हो गया है, जिससे स्मार्टफोन उत्पादन बढ़ाने के लिए दी जाने वाली सब्सिडी के आवंटन में और मुश्किलें आ रही हैं.