नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Corona Virus Impact) की वजह से एयरलाइन इंडस्ट्री (Airlines Sector) को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसीलिए सरकार (Government of India) इसे राहत देने के लिए 12 हजार करोड़ रुपये के राहत पैकेज (Aviation Sector get big relief soon) का ऐलान कर सकती है. CNBC आवाज़ को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अगले 48 घंटे में राहत पैकेज की घोषणा हो सकती है. ग्लोबल एविएशन एसोसिएशन के मुताबिक एयरलाइंस इंडस्ट्री मौजूदा वक्त में इस हालात में पहुंच गई हैं, जहां उन्हें बिना सरकाी मदद के गुजारा करना संभव नहीं होगा. आपको बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से दुनिया के ज्यादा देशों ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ाने रोक दी हैं. ऐसे में एविएशन इंडस्ट्री को रोजाना करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है. इसलिए एविएशन इंडस्ट्री की तरफ से तत्काल प्रभाव से आर्थिक मदद की मांग की है.
एविएशन सेक्टर की हालत गंभीर- कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप के चलते एविएशन सेक्टर के रेवेन्यू पर बड़ी मार पड़ी है. इसके चलते लो कॉस्ट एयरलाइन गोएयर (GoAir) ने बुधवार को मार्च में अपने सभी कर्मचारियों की सैलरी में कटौती की घोषणा की है.
गोएयर के सीईओ विनय दुबे ने बुधवार को इसकी जानकारी दी. बता दें कि गोएयर ने पहले ही लागत में कटौती के कुछ उपाय किए हैं. इन उपायों में पायलटों की छुट्टी करना, कर्मचारियों को क्रमिक रूप से अवैतनिक अवकाश पर जाने के लिए कहना और शीर्ष नेतृत्व के वेतन में 50 प्रतिशत तक कटौती का फैसला शामिल है.
रिपोर्ट के मुताबिक इस साल एविएशन इंडस्ट्री को रेवेन्यू में 250 बिलियन डॉलर (करीब 19 लााख करोड़ रुपये) का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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Government likely to announce Rs 12,000 crore package for Aviation Industry
Sources to @RoyLakshman pic.twitter.com/O5BdXlPhg1
— CNBC-AWAAZ (@CNBC_Awaaz) March 25, 2020
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने कहा अगर हवाई यात्रा में तीन माह तक प्रतिबंध जारी रहता है, तो सालाना पैसेंजर रेवेन्यू 252 बिलियन डॉलर तक कम हो सकता है. इससे इस साल का रेवेन्यू साल 2019 के मुकाबले 44 फीसदी कम होगा.
आईएटीए चीफ एलेक्जेंडर डे जुनेक ने कहा कि एविएशन इंड्स्ट्री के रेवेन्यू में गिरावट इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट है. एयरलाइंस दुनिया के हर कोने में अपनी अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही हैं. उन्होने कहा कि हवाई यात्राओं पर प्रतिबंध और डिमांड न होने के चलते एयरलाइंस इंडस्ट्री को भारी नुकसान हो रहा है. ऐसे में सरकारों को एयरलाइंस इंडस्ट्री बचाने के लिए क्राइसिस फंड के तहत सामने आना चाहिए.