राजनांदगांव(दावा)। कोरोना संक्रमण की रोकथाम और लाक डाऊन के चलते जिले की बाघनदी सीमा पर सडक़ चिरचारी में बनाए गए क्वारेंटाईन सेंटर रखे गए झारखंड के 16 मजदूर रात के अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकले।
ज्ञात हो कि जिला प्रशासन द्वारा अन्य राज्यों से आए मजदूरों को सडक़ चिरचारी के डिपों में ठहराकर उनके खाने-पीने की व्यवस्था की गई थी। बताया जाता है कि यहां ठहरे झारखंड और बिहार के मजदूर अब यह कहकर बगावत करना शुरू कर दिए हैं कि कोरोना से बचाव के नियमानुसार उन्हे 14 दिन कोरेंटाईन में रखा जा चुका है, पर अब उन्हे क्यों नहीं छोड़ा जा रहा है?
लॉक डाऊन घोषित होने के बाद भी सीमावर्ती महाराष्ट्र पुलिस ने झारखंड, बिहार के मजदूरों को अपने राज्य से छत्तीसगढ़ की सीमा बागनदी पर लाकर छोड़ दिया था। महाराष्ट्र में कोराना प्रभावितों की संख्या अधिक होने के कारण राजनांदगांव पुलिस और जिला प्रशासन ने मजदूरों को बार्डर पर ही रोक दिया था। शुरू में मजदूरों की संख्या कम थी, किन्तु धीरे-धीरे कर बढ़ गई और संख्या छह सौ के आसपास पहुंच गई। चिरचारी के आसपास के गांव वालों द्वारा मजदूरों को शरण देने से इंकार करने के बाद प्रशासन से आनन-फानन में मजदूरों के चिरचारी डिपों के लघु वनोपज गोदाम में ठहराया था। मजदूरों के खाने-पीने के इंतजाम भी किए गए थे, पर तमाम तरह की अन्य परेशानियों को देखते हुए मजदूर सरकारी व्यवस्था से बेहद खफा थे। 12 अप्रैल की रात 16 मजदूरों के भागने से राहत शिविर के प्रभारी से लेकर वहां तैनात सुरक्षा कर्मियों की घोर लापरवाही सामने आई है। सवाल यह उठाए जा रहे हैं कि जगह-जगह जांच नाका और हाईवे में पुलिस की पेट्रोलिंग और तैनाती के बाद भी ये मजदूर कैसे भाग खड़े हुए और अपने प्रदेश के लिए कैसे रवाना हो गए?
बागनदी स्कूल से गायब 40 मजदूर
लाक डाऊन के दौरान बार्डर में ही बागनदी स्कूल में करीब चालीस शरणार्थी, मजदूरों को ठहराया गया था। इन सभी मजदूरों के भोजन की व्यवस्था बागनदी गुरूद्वारा कमेटी और ग्रामीणों की ओर से की जा रही थी। इन मजदूरों के पास स्वयं के वाहन थे। तीन-चार अलग-अलग प्राईवेट वाहन वाले ये शरणार्थी, मजदूर स्कूल से कब फरार हुए इसकी जानकारी न तो पुलिस को है और न ही प्रशासन को? ऐसी आशंका है कि इन मजदूरों को रात में उनके शिविर स्थल से जाने में पुलिस ने ही सहायता पहुंचाई होगी, अन्यथा सुरक्षा घेरे के बीच यह कैसे संभव था कि मजदूर चार पहिया वाहन लेकर फरार हो जाते। फिलहाल चिरचारी और बागनदी राहत शिविर से मजदूरों के भागने के बाद जिले में लाकडाऊन की व्यवस्था की पोल खुलकर सामने आ गई है।
लाक डाऊन के बाद जाने की छूट?
वहीं सूत्रों की मानें तो उक्त दोनों शिविरों के लोगों को यह बोलकर ठहराया गया था कि 14 अप्रैल तक लाक डाऊन है और इसके हटने की संभावना है, इसलिए आप लोग 14 तक यहीं ठहरो।
इसके बाद भी यदि कोई जाना चाहे तो उसे रोका नहीं जाएगा और जाने वालों को राजनांदगांव जिले की सीमा को भी पार करा दिया जाएगा, किंतु यदि कोई आगे रोकता है तो इसके लिए जाने वाले लोग स्वयं जिम्मेदार होंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि अधिकारियों द्वारा दी गई ढील के कारण ही उक्त मजदूर अपनी मर्जी से अपने गंतव्य स्थान के लिए बिना बताए चले गए।