लाक डाऊन: नांदगांव के आठ सौ कोराबारी
राजनांदगांव (दावा)। कोरोना वायरस संक्रमण और उससे निपटने के लिए सरकार द्वारा लाक डाऊन के निर्णय से शादी-ब्याह के इस सीजन में शहर सहित जिले में सराफा बाजार पर भी बुरा असर पड़ा है। लाक डाऊन से व्यापार जगत भी हिला हुआ है।
लॉकडाउन से सराफा बाजार की दमक पूरी तरह से फीकी पड़ गई। तीन सप्ताह के लॉकडाउन में जौहरियों का व्यापार आसमान से सीधे जमीन पर पहुंच गया है। लॉकडाउन की वजह से सराफा बाजार की व्यापारिक गतिविधि पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है। बताया जाता है कि ऐन वैवाहिक सीजन के दौरान लॉकडाउन होने से स्वर्ण-आभूषणों की खरीदी-ब्रिकी बंद होने से व्यापारियों को करोड़ों रूपए का दुकान उठाना पड़ रहा है। राजनांदगांव जिले के करीब 8 सौ दुकानों में ताला लगा हुआ है। कोरोना वायरस का कहर जौहरियों पर ऐस वक्त में टूटा, जब शादी सीजन में होने वाला मुनाफा हाथ में आने से पहले ही खिसक गया। सराफा जगत में कारोबारी बंद से हो रहे नुकसान की वजह से परेशानी में पड़ गए है। बंद के बीच व्यापारियों को अपने कर्मियों को पारिश्रमिक भी देना पड़ रहा है। राजनांदगांव जिले में नामचीन दुकानों के अलावा मझोले कारोबारी भी आर्थिक चुनौती का सामना कर रहे हैं। इस संबंध में जिला सराफा संघ के अध्यक्ष अनिल बरडिय़ा ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते सराफा बाजार को बड़ी हानि हुई है। इस संकट के बाद ही बाजार की सही स्थिति का पता लगेगा। श्री बरडिया ने कहा कि जिले की सभी दुकानों में कार्यरत कर्मियों को व्यापारियों को वेतन देना पड़ रहा है। यह चुनौती विकराल रूप लेकर कारोबार को बुरी तरह से प्रभावित कर रही है। शहर की बड़ी सराफा दुकानों में तालाबंदी होने से सराफा बाजार में आर्थिक हलचल बंद पड़ी हुई है। लॉकडाउन के समाप्त होने के बाद सराफा बाजार में कारोबारी गतिविधि को गति देने की एक कठिन चुनौती भी रहेगी।
जानकारी के अनुसार वैवाहिक सीजन में सराफा बाजार में लगभग 80 करोड़ का व्यापार होता है। शादी सीजन में सराफा बाजार को कारोबार करने में आसानी होती है। सोने-चांदी के बेहतर कारोबार के लिए वैवाहिक सीजन का कारोबारी भी बेसब्री से इंतजार करते हंै। इधर लॉकडाउन से हुई आर्थिक क्षति की भरपाई करने के लिए सराफा बाजार को लंबा वक्त लगेगा। सराफा कारोबारी केंद्र और राज्य सरकार से आभूषणों में लगने वाली टैक्सों में छूट की मांग कर सकते हंै। अन्य क्षेत्रों को दी जा रही रियायत के आधार पर सराफा बाजार भी टैक्स फ्री करने के लिए आवाज उठा सकता है।