करीब चार सौ लोग अभी भी चिरचारी कैंप में, सबको भेजने की तैयारी
राजनांदगांव(दावा)। लाक डाऊन के चलते महाराष्ट्र सीमा से लगे जिले के बागनदी के पास चिरचारी डिपो में रोके गए लोगों में से करीब पौने दो सौ लोगों को मंगलवार की रात अचानक बसों में भरकर अन्यत्र भेज दिया गया। कैंप में अभी भी करीब चार सौ लोगों को ठहराया गया है। रात के अंधेरे में अचानक इस तरह से लोगों को बसों में भरकर रवाना किए जाने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
ज्ञात हो कि मंगलवार को राहत कैंप से लगभग 30 से 40 व्यक्तियों के कहीं चले जाने की खबर के बाद प्रशासन हरकत में आया। आखिरकार लोगों को बीती रात अलग-अलग बसों में भरकर छत्तीसगढ़ की सीमा तक पहुंचाने के लिए रवाना किया गया। चिरचारी डिपो के राहत कैंप में रोके गए मजदूरों को रात के अंधेर में यह कहकर बसों में बिठाया गया कि उन्हें उनके घर ले जाया जा रहा है। पांच अलग-अलग बसों में तीस-पैंतीस की संख्या में बिठाकर रात दस बजे के बाद बसों को रवाना किया गया। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी द्वारा 14 अप्रेेल को अपने संबोधन में कोरोना वायरस से बचने के सात उपायों पर जो देते हुए एक बार पुन: अपील की गई अपील कि लोग जहां हैं, वहीं रहें, घर पर रहें और सुरक्षित रहें, का खुला उल्लंघन किया गया है। इस अपील के बावजूद जिला प्रशासन द्वारा उसी रात को लॉकडाऊन के नियमों से परे चिरचारी डिपो के सैंकड़ोंं मजदूरों को शिविर से हटाकर बसों में भरकर उन्हें रवाना करा दिया।
उल्लेखनीय है कि गत 12 अप्रैल की रात चिरचारी राहत शिविर से करीब 16 मजदूर रात के अंधेरे और सुरक्षा कर्मियों की लापरवाही का फायदा उठाकर भाग खड़े हुए थे। उसके बाद मंगलवार को जिला प्रशासन हरकत में आया। कहा जा रहा है कि जिला प्रशासन को इस बात का पहले से ही आभास हो गया था कि लॉकडाऊन की अवधि तीन मई तक बढ़ाए जाने की घोषणा के बाद शिविर में ठहरे मजदूर किसी न किसी प्रकार की घटना या अनहोनी को अंजाम दे सकते हैं, इसलिए चिरचारी डिपो से मजदूरों को हटाए जाने बसों का अधिग्रहण करना शुरू दिया गया। बुधवार को भी चिरचारी डिपो में जागीरदार और आशीर्वाद ट्रेवल्स की कई बसें खड़ी नजर आईं। ज्ञात हो कि मंगलवार को आईजी दुर्ग रेंज, एआईजी और स्थानीय अधिकारियों की बैठक राजनांदगांव में हुई थी। इस आधार पर कयास लगाए जा रहे हैं कि बैठक में निर्णय के बाद उन मजदूरों को छोड़ा गया होगा? हालांकि इस मामले को लेकर अभी तक कलेक्टर की ओर से कोई बयान नहीं आया है, इसलिए पूरे मामले से पदा नहीं उठ पा रहा है।
जिले में 2 लाख 45 हजार मास्क का वितरण
कलेक्टर जेपी मौर्य ने कहा कि जिले भर में लगभग 46 हजार से अधिक लोगों को प्रशासन के द्वारा भोजन करवाया गया है। जिले भर में 44 जगहों पर राहत केम्प लगाए गए हैं। 12500 हजार लोगों को सूखा राशन किट दिया है। अन्य राज्यों से आये लगभग 2300 लोगो को रोज खाना खिला रहे हैं। जिले में लगभग 8800 लोगों को होम आइसोलेशन में रखा गया है। इसके अलावा गांव में भी 3000 हजार से अधिक लोगों को क्वारेंटाईन किया गया है। जिले में महिला समूह के द्वारा लगभग 2 लाख 45 हजार मास्क का वितरण किया है। सडक़ चिरचारी में केम्प चल रहा है। केम्प में रहने वाले लोग परेशान कर रहे थे और जिला प्रशासन के द्वारा दबाव बनाया जा रहा था कि वो घर जाएं, लेकिन ऐसा नहीं हो पायेगा, क्योंकि पूरे देश में लाकडाउन है।
इधर सूत्रों से पता चला है कि चिरचारी डिपो से जिन चार बसों में वहां ठहराये गये मजदूरों को प्रशासन द्वारा रवाना किया, उनमें बिहार के गया और जहानाबाद के लोग थे। प्रत्येक बसों में सोशल डिस्टेंस का
पालन करते हुवे 30-30 लोगों को ही बिठाया गया था। बताया जाता है कि जशपुर कलेक्टर के आदेश पर प्रत्येक बस के मजदूरों को क्रमश: चार ब्लाकों में (पत्थलगढ़ ब्लाक, दाता बेल ब्लॉक, बगीचा ब्लाक और कुनकुरी ब्लॉक में अलग अलग स्थानों पर रखा गया है, जहां उनके रहने व खाने की व्यवस्था जिला प्रशासन जशपुर द्वारा की जा रही हैं।
वहीं शहर के नए बस स्टैंड में जो लोग रुके हैं, उन्हें स्वयं का वाहन होते हुए भी जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उनके साथ सात माह का एक बच्चा भी है। ये सभी मच्छरों के प्रकोप और गर्मी से परेशान हैं। इन्हें यहाँ रहते हुए लगभग 18 दिन हो चुके हैं और ये सभी अपने घरों तक जाना चाह रहे हैं। मजदूरों को छोड़ा जाना व्यवहारिक दृष्टिकोण से उचित था, किन्तु सवाल उठता कि अन्य शिविरों में ठहरे मजदूरों को भी क्या इसी तरह सहानुभूति पूर्वक छोड़ा जाएगा? रात के अंधेर में मजदूरों को ले जाए जाने से यह बात समझ में आ रही है कि प्रशासन द्वारा लॉकडाऊन और सोशल डिस्टेसिंग जैसे मुद्दों पर सवाल खड़े न हो, इससे बचने बेहद चतुराई के साथ काम किया गया है।