Home छत्तीसगढ़ कोरोना वाहक के रूप में लौट रहे प्रवासी?

कोरोना वाहक के रूप में लौट रहे प्रवासी?

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डोंगरगांव (दावा)। प्रवासी मजदूरों को सुविधा देने के नाम पर छत्तीसगढ़ शासन पूरी तरह फेल है. हजारों की संख्या में पलायन कर चुके मजदूरों का घर लौटने का क्रम अनवरत जारी है. इन प्रवासी मजदूरों की जांच तो दूर कोई आंकड़ा या जानकारी भी शासन के पास नहीं है. बार्डर में लगे मेडिकल टीम व राजस्व की टीम में आपसी सामंजस्य नहीं होने के चलते ये प्रवासी बेरोकटोक सीमा से प्रवेश कर अपने घरों में पहुंच रहे हैं, जिससे किसी भी एक के संक्रमित होने की दशा में पूरा का पूरा गांव संक्रमण की चपेट में आने की भरपूर संभावना है।
पैदल व सायकल के माध्यम से वापसी हो रहे इन मजदूरों की अंतर्राज्यीय सीमा पर ना ही कोई स्क्रीनिंग हो रही है और ना ही किसी प्रकार की कोई रिकार्ड व अन्य जानकारियाँ शासन व प्रशासन के द्वारा रखी जा रही है. हालात यह है कि बागनदी स्थित बार्डर पर पुलिस राजस्व व मेडिकल की टीम कहने को चौबीस घंटे तैनात हैं परन्तु हकीकत में सिर्फ यात्री वाहनों पर ही इनकी नजर है. जबकि उनके सामने से ही महाराष्ट्र के रास्ते छत्तीसगढ़ की सीमा में पैदल व अन्य साधनों से बड़ी संख्या में प्रवेश कर रहे प्रवासी मजदूर बेरोकटोक आ रहे हैं. यही हालात महाराष्ट्र के देवरी चौकी की है, जहाँ सुरक्षाकर्मी पैदल मजदूरों को बाहर जाने की मनाही की बात तो कह रहे हैं पर यह कागजों तक ही सीमित है, जबकि दोनों राज्यों के चेकपोष्ट में ऐसे प्रवासी मजदूरों का कोई भी डाटा या जानकारी संधारित ही नहीं की जा रही है.
क्या है हकीकत
मीडिया की टीम अलसुबह ग्राऊंड रिपोर्टिंग के लिए डोंगरगांव छुरिया के रास्ते बाघनदी बार्डर पहुंची थी. इस पूरे रास्ते में सैकड़ों की तादात में मजदूरों का काफिला चल रहा था. कोई पैदल कोई सायकल में भारी वजनी सामानों के साथ एक दूसरे को सहारा देते हुए राजनांदगांव की ओर बढ़ रहे थे. एक छ: सदस्यीय दल ऐसा ही मिला जो हैदराबाद से पैदल महाराष्ट्र बार्डर पार कर बिलासपुर की ओर जा रहे थे. वहीं नासिक से खैरागढ़ क्षेत्र के मजदूर बीते दस दिनों से पैदल चल रविवार की सुबह बाघनदी बार्डर पहुंचे थे. इसी प्रकार पुणे से पैदल आ रहे दस लोगों का एक दल उत्तरप्रदेश के सोनभद्र जिले की ओर जा रहा था जिसमें कुछ बच्चे भी शामिल थे।
ना भोजन, न मेडिकल सुविधा
लॉकडाऊन के बाद घरों की ओर लौट रहे प्रवासी मजदूरों ने बताया कि जहां वे कार्यरत थे वहाँ ठेकेदारों ने मुंह मोड़ लिया और शासन-प्रशासन से भी कोई मदद नहीं मिली. ऐसी स्थिति में मजदूरों ने घर लौटना मुनासिब समझा. मजदूरों ने बताया कि सफर के दौरान भोजन, पानी सहित अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और छत्तीसगढ़ प्रवेश के बाद भी सरकार व सरकार के नुमाइंदों व्दारा कोई सुध नहीं ली जा रही है. स्थिति यह है कि भोजन तो छोडिय़े इलाज के लिए भी कहीं मदद नहीं मिल रही है.
विभाग को नहीं है श्रमिकों की जानकारी
इस पूरी पड़ताल में चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि श्रमिकों के हितों के लिए बनाये गए श्रम विभाग में प्रवासी श्रमिकों व मजदूरों का कोई डाटा ही नहीं है. लॉक डाऊन के दौरान श्रमिकों की आवाजाही तथा प्रदेश के बाहर रोजी रोटी की तलाश में अन्य प्रदेशों में गए मजदूरों की कोई भी जानकारी श्रम विभाग के पास नहीं है. इस संदर्भ में जिला श्रम अधिकारी श्री कुजुर ने बड़े ही सरल तरीके से ऐसे किसी भी मजदूरों की जानकारी नहीं होने तथा बाहर से आ रहे प्रवासी मजदूरों तथा अन्य राज्यों में फंसे जिले के मजदूरों का कोई भी आंकड़ा या जानकारी विभाग के पास नहीं होने की बात कही. तथा उन्होने बार्डर पर भी विभाग की उपस्थिति नहीं होने की बात स्वीकार की है.
विद्यार्थियों के लिए बस, श्रमिकों को सायकल भी नहीं
प्रदेश की सरकार कोटा राजस्थान लगभग सौ बसों को रवाना किया था, जो कि बच्चों को लेकर लौट भी गई हैं परन्तु प्रदेश के श्रमिकों के लिए प्रदेश की सरकार व श्रम विभाग ने अब तक कोई पहल नहीं की है. सरकार जहाँ विज्ञापन देकर अपनी पीठ थपथपाते दिखती है, वहीं श्रम विभाग के जिम्मेदार पदाधिकारी जिन्हें अंतर्राज्यीय सीमा पर होना चाहिए, वे भी एसी चेम्बरों में स्वयं को आईसोलेट कर दुबके हैं. मौके पर पड़ताल पर पता चला कि मजदूरों के लौटने का सिलसिला बीते एक महीने से जारी है वहीं कुछ दिनों से यह संख्या और भी बढ़ गई है. इस दौरान श्रम विभाग का कोई भी जिम्मेदार पदाधिकारी अब तक नहीं पहुंचने की खबर है. इसके साथ ही प्रवासी मजदूरों का कोई आंकड़ा भी राजस्व सहित किसी विभाग के पास नहीं मिला.

अन्य विभाग के द्वारा कोई सूची नहीं दी जा रही है, उनके द्वारा लोगों को भेजा जायेगा तो उनका भी परीक्षण किया जायेगा. हमारी मेडिकल टीम को जो लोग दिखते हैं तथा जो स्वेच्छा से आते हैं उनकी स्क्रीनिंग की जाती है।
– डॉ. कैलाश चौधरी,
मेडिकल टीम प्रभारी
आने-जाने वालों को चेक कर रहें हैं. बिना परमिशन के आने जाने की मनाही है।

ऐश्वर्य कुमार, कैम्प के कर्मचारी

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