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पंचायतों को दो रुपये की बजाय 32.70 रुपये में प्रति किलो चांवल देना अन्याय – मधुसूदन

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कहा- विज्ञापन में वाहवाही लूटने में लगी है सरकार
राजनांदगांव(दावा)। जिला भाजपा अध्यक्ष मधुसूदन यादव ने कहा है कि कोरोना संक्रमण काल में भी धान के कटोरे से जरूरतमंदों को चाँवल प्रदाय करने में सरकार कंजूसी कर रही है। जो नीति सरकार ने स्वयं बनाई थी, उसका भी पालन नहीं कर पा रही है। नतीजतन बहुत से जरूरतमंद चांवल लेने को तरस रहे हैं।
जिला भाजपा अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद मधुसूदन यादव ने ग्राम पंचायतों में एक क्विंटल चाँवल लगभग 33 रुपये में दिए जाने पर हैरानी जताई है कि यह राज्य सरकार की नीति के अनुरुप ज्यादा से ज्यादा 200 रुपये का होना चाहिए था, किन्तु 32 रुपये 70 पैसे में प्रति किलो चाँवल ग्राम पंचायत को देना भूपेश सरकार का लूट है। इसके विपरीत प्रत्येक ग्राम पंचायत को 3 क्विंटल चावल नि:शुल्क ही दिया जाना चाहिए था, ताकि ग्राम पंचायत जरूरतमंदों को उदारता के साथ चाँवल वितरित करते, किन्तु सरकार विज्ञापन के माध्यम से यह प्रचारित कर रही है कि मात्र 2 रुपये की दर से ही वह ग्राम पंचायत को 2 क्विंटल चाँवल वितरित कर रही है। इस तरह का भ्रम फैलाकर सरकार वाहवाही लूटने में ही लगी हुई है। यह ऐसे समय में भी राजनीति करने में लगी है, जबकि इस समय सबसे ज्यादा सद्भावना दिखाया जा चाहिए था। इसी तरह से ऐसे जरूरतमंद लोगों को जिनके पास राशनकार्ड नही है, वैसे लोगों को भी सरकार चाँवल नहीं दे रही है और ना ही छूटे हुए बीपीएल परिवार के लोगों का राशन कार्ड बनाने की कोई व्यवस्था कर रही है। जो लोग बाहर से आ कर फंसे हुए हैं और जो लोग राशन कार्ड नहीं बना सकते, उनको भी राशन देने की कोई व्यवस्था नही है।
श्री यादव ने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार, जन धन खातों में 500 रुपये डाल रही है। उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलिंडर दे रही है एवं केंद्रीय कोटे से चाँवल एवं दाल भी दे रही है। वहीं छत्तीसगढ़ में ही जरूरतमंद जनता को आवश्यक सामग्री तक छत्तीसगढ़ की सरकार नहीं दे पा रही है, जो असफलता और लापरवाही का बड़ा उदाहरण है। श्री यादव ने कहा कि सरकार ने मार्च में किसानों को समर्थन मूल्य के अतिरिक्त की राशि राज्य मद से दिए जाने का वायदा किया था, जिसे अभी तक नही दिया गया है। अब नही देंगे तो कब देगी सरकार? इससे उपयुक्त समय और क्या होगा? सरकार को इसे कायदे से मानवीय दृष्टिकोण से ही पूरा कर देना चाहिए। राजनीतिक दृष्टिकोण के बजाय किसानों के लिए अंतर की राशि इस समय संजीवनी का ही कार्य करेगी, अन्यथा अब तक किसानों को छलने में कोई कमी छत्तीसगढ़ सरकार ने किया नही है, जबकि केंद्र की सरकार ने पीएम किसान सम्मान की निधि किसानों के खाते में अंतरित कर दी है।
सरकार को जनता के करीब जाना चाहिए न कि केवल विज्ञापन दे कर भ्रम फैलाना चाहिए। यह समय राजनीति करने की बजाय राहत पहुंचाने का है। सरकार अपने वायदों को पूर्ण करे। किसानों को अंतर की राशि तत्काल प्रदान करे। राशनकार्ड विहीन परिवारों को भी पूरा राशन दें, तभी संकट के समय उसका कल्याणकारी स्वरूप दिखाई देगा।

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