कोरोना संकट में मोदी सरकार के मुख्य सलाहकारों में से एक डॉ. विनोद पाल ने माह अप्रैल में सरकार को एक प्रस्तुति दी थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि आगामी दिनों में जनर्लाइज ट्रांसमिशन स्पष्ट देखने को मिलेगा। डॉ. विनोद पाल सरकार की थिंकटेन्क नीति आयोग के सदस्य हैं और एम्स में डाक्टर भी रह चुके हैं। डॉ. विनोद पाल कम्युनिटी ट्रांसमिशन को ही जनर्लाइज ट्रांसमिशन कहते हैं। जिसका अर्थ होता है कि कोरोना वाइरस तेजी से आम जनता में फैलेगा और इसकी जानकारी भी नहीं होगी कि वाइरस का संक्रमण किसे, किस प्रकार और कहां से लगा है? उधर, सरकार का कहना है कि भारत में अभी कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू नहीं हुआ है। किन्तु, अनेक लोगों का कहना है कि, देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है। हाल ही देश में महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान आदि में क्रमश: यह वाइरस अपने पैर पसार चुका है। इन राज्यों में कइयों को ज्ञात ही नहीं है कि वे कैसे संक्रमित हुवे। डॉ. पाल का कहना था कि लाकडाउन के कारण अधिकाधिक 40′ तक कोरोना का संक्रमण कम रहेगा। परन्तु, लाकडाउन खोलने से कम हो रहा संक्रमण फिर बढ़ता हुआ दिखाई देगा। डॉ. पाल के अनुसार सरकार ने अब तीन मई से पहले से ही दुकानों को रमजान के दिनों में खोलने की छूट दे दी है। डॉ. पाल ने कहा है कि किसी शहर में प्रतिदिन 500 पाजिटिव मरीज मिलते हों तो उस शहर में 150 वेन्टिलेटर्स, 300 इन्सेन्टिव केस बेड्स और 1200 से 6000 जितने बेड्स की जरूरत पड़ेगी। क्या सरकार इसके लिए तैयार हो चुकी है? प्रधानमंत्री कहते हंै कि देश में कोरोना से लडऩे एक लाख बेड और 600 अस्पताल तैयार हैं। जब कि, विशेषज्ञों का कहना है कि, एक मेट्रो शहर में ही कोरोना पाजिटिव के मरीज एक लाख तक पहुंच जायेंगे। ऐसे में प्रधानमंत्री द्वारा दुकानों को खोलने की छूट देने का कोई औचित्य नहीं है।
ऐसा दिखाई दे रहा है कि भारत सरकार दुविधा में है। जब दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों का मत लाकडाउन के विरूद्ध का है तो इसके विरूद्ध चिकित्सीय वैज्ञानिकों का मत है कि लाकडाउन रख लोग घर में ही रहें, वह बेहतर होगा। केन्द्र सरकार को इसमें से कोई बीच का रास्ता ढूंढना होगा। भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है। इस कारण, स्वास्थ्य सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेना, यह आसान नहीं है। इसे सरकार की कसौटी भी कह सकते हैं।
दावे के साथ यह कोई नहीं कह सकता कि कोरोना अभी और कितने समय तक चलेगा? कोरोना जाते जाते कब वापस फिर सशक्त होकर लौटेगा, यह भी कोई नहीं कह सकता। प्रयोग के रूप में सशर्त कई विभिन्न प्रकार की व्यापारिक दुकानों को खोलने की सरकार ने छूटछाट दी है। यद्यपि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय में यह छूट जोखिम से भरी है। कुल मिलाकर यही कि अब भारत का कदम कंटिले रास्ते पर है। यह रास्ता निर्विघ्न कट जाय, पार हो जाए, ऐसी उम्मीद हमें रखनी चाहिए।