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निगम कर्मियों को दो माह से वेतन नहीं

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कोरोना संकट सहित आर्थिक संकट से जूझ रहे कर्मी
राजनांदगांव(दावा)। नगर निगम में कार्यरत लगभग 400 कर्मियों को विगत दो माह से वेतन नहीं मिल पाया है। इससे उनकी हालत पतली है। इन्हें वेतन नहीं मिलने से कोरोना संकट के साथ-साथ आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है। उपर से लाक डाउन व स्वास्थय गत कारणों से निगम में काम पर नहीं आ पा रहे कर्मियों पर निलम्बन की गाज गिर रही है।
पता चला है कि सहायक ग्रेड 3 के तीन महिलाओं सहित सहायक ग्रेड 1 के महिला कर्मी को घर का रास्ता दिखा दिया गया है। इससे इन कर्मियों में रोष व्याप्त है। ज्ञात हो कि लाक डाउन के चलते दूसरे जिले यानि कि रायपुर, दुर्ग, भिलाई आदि जगहों से निगम में काम करने आने वाले कर्मियों को दिक्कते उठानी पड़ रही है। इधर मौसम नरम-गरम होने की वजह से कर्मियों को स्वास्थ्यगत परेशानियों पर दो-चार होना पड़ रहा है। इन बातों को नजर अंदाज कर सीधे-सीधे इन कर्मियों पर निलम्बन का गाज गिराया जा रहा है। हालांकि अपने कर्मियों पर इस तरह के पनिशमेन्ट का अधिकारी को हक बनता है लेकिन दो-दो, तीन-तीन माह में अपने कर्मियों को वेतन से वंचित रखना कहां का हक है। बेचारे कर्मियों के हाथों में पैसे नहीं होने से घर-परिवार मेें कई तरह के मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। परेशान कर्मियों को कहना पड़ रहा है कि आयुक्त, महापौर को कोरोना संकट से जूझ रहे नगर की गरीब जनता व जरूरतमंदों का ध्यान है। निगम द्वारा उन्हें राहत सामग्री का वितरण किया जा रहा है वही निगम के कर्मी जो कोरोना संक्रामक रोग के बढ़ते खतरे के बीच जान-हथेली पर लेकर काम कर रहे है उन्हें वेतन न देकर पाई-पाई के लिए तरसाया जा रहा है।
सफाई कर्मी हुए उपकृत
बताया जाता है कि लगभग 200 की संख्या में रेगूलर सफाई कर्मियों को कलेक्टर के हस्तक्षेप के चलते निगम से वेतन मुहैया कराया गया। क्योंकि कोरोना संकट के बीच सफाई कर्मियों ने वेतन नहीं मिलने से काम बंद करने की चेतावनी दी थी। शहर की सफाई व्यवस्था गडबड़ाने के डर से कलेक्टर को हस्तक्षेप करनी पड़ी जिसके चलते रेंगुलर सफाई कर्मियों को वेतन मिल पाया। इधर लगभग 400 की संख्या में निगम कर्मी अपनी तनख्वाह की बांट जोह रहे है लेकिन उनके लिए न कोई प्रशासनिक अधिकारी और न कोई जन प्रतिनिधि खड़ा हो पा रहा है। जिससे निगम के कर्मी असहाय से महसूस कर रहे है।
नगर निगम में फिजूल खर्ची
सूत्रों की माने तो निगम में फिजुल खर्ची की ओर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा हैं, जबकि कोरोना संकट के चलते समस्त शासकीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते पर रोक लगा दी गई है। वही निगम द्वारा शहर के वार्डों में स्वास्थ्य ठेका प्रथा बंद कराने की बजाय 26 वार्डों का फिर से ठेका में दे दिया गया है। तीन माह से पुराने ठेकेदारों को भुगतान नहीं हो पाया है तो 1 मई से 26 वार्डों में फिर से स्वास्थ्य ठेका दिये जाने से ठेकेदारों को कहां से भुगतान किया जा सकेगा। लोगों का तो यहां तक कहना है कि जब पार्षद निधि की राशि से शहर के गरीब जरूरतमंदों को राहत सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है तब महापौर द्वारा हर वार्डों में 10 लाख की राशि से 50-50 पैकेट राहत सामग्री दिये जाने का क्या औचित्य है।
शासन के आदेश का उल्लंघन
विगत दो-तीन माह से वेतन से वंचित निगम के वरिष्ठ कर्मियों का सीधा-सीधा आरोप है कि निगम द्वारा शासन के आदेशों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। उनका कहना है कि जब शासन से निर्देश है कि कोरोना संकट व लाकडाउन के चलते न तो किसी का वेतन काटा जाएगा और न किसी कर्मियों को प्रताडि़त किया जाएगा, लेकिन नगर निगम आयुक्त इन सब बातों को दरकिनार कर अपने कर्मियों पर निलम्बन का गाज गिरा रहे है। किसी कारणवश कार्य में उपस्थित नहीं होने वाले कर्मियों पर निलम्बन कार्रवाई कर प्रताडि़त किया जा रहा है। विगत मार्च-अप्रैल माह व आज कल में लगने वाले मई माह का निगम कर्मियों को वेतन नहीं दिये जाने को भी एक प्रकार से निगम कर्मियों के साथ अन्याय समझा जा रहा है।

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