राजनांदगांाव (दावा)। प्रदेश कॉग्रेस कमेटी के महामंत्री शाहिद भाई ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पूरी दुनिया सहित हमारा देश, प्रदेश और शहर-गांव तक कोरोना वायरस महामारी का आतंक व प्रकोप से आतंकित है। हम सब परिवार सहित लॉक डाउन के कारण घरों में हैं और इन विपरीत परिस्थितियों में भी कर्मचारी जनता को कोरोना वायरस से बचाने की जंग में अग्रिम पंक्ति में लड़ाई लड़ रहे है,विशेषकर स्वास्थ्य विभाग सहित अधिकांश विभाग के कर्मचारी अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर बचाव कार्यक्रम में योगदान देकर कोरोना वायरस को हराने में युद्धरत हैं। हम सब उन्हें सैल्यूट करते हैं।
ऐसे विपरीत समय में देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने कर्मचारियों व उनके परिवार के ऊपर सबसे बड़ा आर्थिक आघात करते हुए केंद्र के कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के लगभग 125 लाख परिवारों को आर्थिक संकट में डाल दिया है। देश की आजादी के बाद 1962 का चाइना युद्ध, 1965 एवं 70 का पाकिस्तान के साथ युद्ध,1975 का आपातकाल जैसे राष्ट्रीय संकट के समय भी कर्मचारियों के वेतन-भत्तों में कटौती नहीं की गई थी।
महामंत्री शाहिद भाई ने बताया कि 2004 में एन डी ए 1 में श्री अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने देश के करोड़ों कर्मचारी परिवार की सामाजिक सुरक्षा को समाप्त करते हुए, अंग्रेजों के समय से लेकर 2004 तक लागू पेंशन योजना को समाप्त कर दिया, जिसके कारण 2004 के बाद नियुक्त लाखों कर्मचारियों का परिवार पेंशन से वंचित हो गए हैं ।अब एन डी ए 2 की मोदी सरकार ने सबसे पहले वेतन आयोग को स्थाई रूप से समाप्त कर दिया है और अब जुलाई 2021 तक मंगाई भत्ते पर रोक लगा दी है आने वाले वक्त में कर्मचारियों के वेतन का 20 से 25त्न की कटौती सरकार करने की योजना बना रही है कर्मचारियों के वेतन भत्तों से कटौती कर यदि इस राशि का उपयोग गरीब, मजदूरों, भूखे को भोजन के लिए हो तो कर्मचारी सहर्ष स्वीकार भी कर लें, लेकिन स्थापना व्यय में 10त्न राशि कटौती कर इसका उपयोग उद्योगपतियों को मदद के लिए किया जाएगा तो इसका जबरदस्त विरोध होना चाहिए। क्योंकि केंद्र सरकार की इस निर्णय से सिर्फ केंद्रीय कर्मचारी प्रभावित नही होंगे, भविष्य में सभी कर्मचारियों को मार झेलनी पड़ेगी क्योंकि कर्मचारी अहित के जितने निर्णय भाजपाई केंद्र सरकार ने लिए हैं वह इतिहास के साथ काला अध्याय की लंबी फेरहिस्त है इसका सबसे बड़ा उदाहरण 2004 का पेंशन योजना समाप्त करने वाला है। मोदी जी द्वारा फैलाए गए आर्थिक वायरस के नुकसान से कर्मचारियों को सुरक्षित रखना है। मोदी सरकार के निर्णय का पुरजोर विरोध होना स्वाभाविक है, क्योंकि केंद्र सरकार इस विकट घड़ी में संघर्षरत कर्मचारियों के साथ भी अन्याय कर रही है।