प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आयोजित विडियो कान्फ्रेंस में देश के अधिकांश विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने लाकडाउन बढ़ाने की बात कही है। कइयों का कहना है कि लाकडाउन खत्म कर देने से जनता समझेगी कि देश में कोरोना खत्म हो गया है और फिर पूर्व की भांति जीवन जीयेंगे। जिससे कोरोना अनियंत्रित हो जाएगा और हमसे व्यवस्था संभालना कठिन हो जाएगा। विडियो कान्फ्रेंस में प्रारंभ में ही प्रधानमंत्री ने आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों व प्रवत्तियों के साथ कोरोना महामारी के प्रतिकार का संतुलन बनाए रखने की सलाह दी थी। इसके लिए उपस्थित मुख्यमंत्रियों से सहयोग करने की भी अपेक्षा रखी। प्रधानमंत्री ने जोर दिया था कि लाकडाउन को अनिश्चितकाल के लिए लम्बा करेंगे तो आर्थिक विकास अवरूद्ध हो जाएगा।
भारत में लगभग 700 जितने हाटस्पाट हैं, वहां लाकडाउन रहेगा? महाराष्ट्र, बिहार, तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली व पश्चिम बंगाल ने मांग की है कि लाकडाउन को चालू रखा जावे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बताया था कि मुंबई और महाराष्ट्र वर्तमान में महामारी का हब बना हुआ है। अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में कोरोना नियंत्रित है। प्रधानमंत्री ने सूचित किया है कि ग्रामीण क्षेत्र में यह महामारी न फैले, इसका विशेष ध्यान रखा जाए। मजदूरों की रवानगी और उनका संगठित गांवों की ओर पलायन करने से ग्रामीण क्षेत्रों को किस प्रकार से सुरक्षित किया जा सकेगा? बिहार के मुख्यमंत्री ने अपने राज्य के मजदूरों को सात दिनों की मोहलत दी है। वास्तव में मजदूरों की परेशानी बढ़ती ही जा रही है। कमाने के लिए बाहर गए थे और अब खाली हाथ घर लौट रहे हैं। कर्ज का बोझ अभी भी उन पर है। ट्रेन का किराया भी उन्हें असहनीय लग रहा है। नीतीश कुमार का मजदूरों को सात दिनों की मोहलत देना, अनुचित और अव्यवहारिक है। उनको बिहार आने से किस प्रकार रोका जा सकेगा? वास्तव में, बिहार की समस्या है कि आने वाले मजदूरों को रोजी-रोटी किस प्रकार उपलब्ध करायी जाए?
केन्द्र सरकार ने पैसेंजर ट्रेनों की शुरूवात कर दी है। चिकित्सा क्षेत्र में भी नियमों में छूटछाट दी है। राज्य सरकारों ने भी उद्योगों को चालू रखने का आदेश दिया है। शहरी क्षेत्रों में भी छोटे-बड़े व्यापार-व्यवसाय शुरू करने होंगे। अन्यथा लोगों का धैर्य समाप्त हो जाएगा। कानून-व्यवस्था का प्रश्न उपस्थित होगा। वर्तमान में देश में मध्यम वर्ग सर्वाधिक आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। अपने परिवार का पालन-पोषण व जीवन व्यवहार चलाने की समस्या ने उन्हें परेशान कर रखा है। व्यापारिक व औद्योगिक घराने भी किंकर्तव्यविभूढ़ हैं। उत्पादन वृद्धि के साथ श्रम धन को भी संजो कर रखना औद्योगिक घरानों का दायित्व है। बेरोजगारी में वृद्धि न हो, इस स्थिति को टालने के लिए आंशिक चरणबद्ध छूट से अर्थतंत्र को वापस पटरी पर लाया जा सकता है। वास्तव में सभी राज्यों की सरकारें केन्द्र पर जवाबदारी डालकर निश्चित होना चाहती हैं।