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दूसरे प्रदेशों ने नहीं सुनी पीड़ा, अपने प्रदेश में भी अप्रवासी मजदूरों की सुध नहीं

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बाघनदी बार्डर में रोजाना पैदल पहुंच रहे हजारों मजदूरों को न खाना नसीब हो रहा न आने का साधन
राजनांदगांव (दावा)। कोरोना वायरस के चलते दूसरे प्रदेशों में रोजी रोटी कमाने गए अप्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या में घर वापसी हो रही है। मजदूर महाराष्ट्र, गुजरात व तेलंगाना से पैदल व किसी अन्य वाहन से छत्तीसगढ़ -महाराष्ट्र बार्डर के बाघनदी पहुंच रहे हैं। यहां पर अप्रवासी मजदूरों को रोका जा रहा है और जांच के बाद उनके घरों तक मजदूरों को पहुंचाना है। बार्डर पर पहुंच रहे मजदूरों को न तो खाना नसीब हो रहा है और न ही घरों तक आने के लिए कोई साधन। मजदूरों ने बताया कि लॉक डाउन के बाद ठेकेदार व जिन जगहों में काम कर रहे उनके मालिकों द्वारा घर जाने कहा गया लेकिन किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं की गई। मजदूर पैदल ही सैकड़ों किलो मीटर की दूरी तय कर अपने घरों के लिए रवाना हुए है। मजदूरों ने बताया कि पैदल आते समय रास्ते में दूसरे राज्यों से किसी तरह की कोई सहायता व सुविधा नहीं मिली। छत्तीसगढ़ पहुंचने के बाद बार्डर में भी राज्य शासन व जिला प्रशासन द्वारा अप्रवासी मजदूरों के लिए किसी तरह की कोई सुविधा प्रदान नहीं की जा रही है। मजदूर अपने घरों तक पहुंचने साधन के लिए घंटो तेज धूप में भूखे प्यासे बैंठे हैं।

वाहन नहीं तो पैदल ही कर रहे सफर
बार्डर तक आने के बाद शासन-प्रशासन द्वारा भी अप्रवासी मजदूरों के लिए साधन सहित अन्य सुविधा प्रर्याप्त मात्रा में नहीं किया जा रहा है। आने के लिए साधन की कमी को देखते हुई कई मजदूर बच्चों व महिलाओं के साथ पैदल ही सफर करने मजबूर हैं। शासन प्रशासन द्वारा अप्रवासी मजदूरों के लिए बस की भी व्यवस्था नहीं की गई है। मजदूरों को माल वाहकों व ट्रकों में ठूंस-ठूंस कर भर उनके घरों तक भेजा जा रहा है। लॉक लाउन का सबसे अधिक बुरा असर गरीब अप्रवासी मजदूरों पर पड़ा है।

गांवों में किया जा रहा क्वारेंटाइन
अप्रवासी मजदूर जैसे-तैसे पैदल व अन्य साधन से अपने गांव पहुंच रहे हैं। इन मजदूरों को पंचायत द्वारा गांव में ही किसी एक स्थान पर 14 दिन व 21 दिन के लिए क्वारंटाइन में रखा जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार गांवों में क्वारंटाइन में रखे जा रहे अप्रवासी मजदूरों के लिए भी खाने-पीने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की जा रही है। मजदूरों के परिजनों द्वारा उनके जरुरतों को पूरा किया जा रहा है। वहीं मजदूरों को रखे गए स्थानों पर ताला बंद कर कैद में भी रखा जा रहा है।

बार्डर में गर्भवती महिला ने स्वस्थ्य बच्ची को दिया जन्म
अप्रवासी मजदूरों को बाघनदी बार्डर पर जांच के लिए रोका जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार बेमेतरा जिला के कटईगांव निवासी त्रिवेणी साहू पति संतोष साहू भी महाराष्ट्र के पुना से बस में बाघनदी बार्डर पर रुकी थी। महिला त्रिवेणी गर्भवती थी। शुक्रवार को बार्डर में त्रिवेणी को प्रसव पीड़ा हुआ । त्रिवेणी को बार्डर में बनाए गए अस्थाई स्वास्थ्य केन्द्र में ले जाया गया। इस दौरान महिला त्रिवेणी का स्वास्थ्य विभाग की एनएएम रोशनी राजपूत द्वारा डिलीवरी कराई गई। महिला त्रिवेणी ने वहां पर एक ढाई किलो की बच्ची को जन्म दी। बताया जा रहा है जच्चा और बच्चा पूरी तरह स्वस्थ्य है।

संक्रमण का खतरा, कलेक्टर ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र
छत्तीसगढ़ सहित उड़ीसा व अन्य जगहों पर जाने के लिए बाघनदी बार्डर पर अप्रवासी मजदूरों का हुजूम उमड़ रहा है। जिले की सीमा पर प्रवासी यात्रियों के जमावड़ा के चलते संक्रमण की संभावना बनी हुई है। मिली जानकारी के अनुसार इस मामले को लेकर कलेक्टर जय प्रकाश मौर्य ने राज्य के मुख्य सचिव आरपी मण्डल को पत्र लिखा है। जिसमें मजदूरों को ले जाने बस सहित अन्य सुविधा बढ़ाने की मांग की गई है। राजनांदगांव जिले की महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के साथ लंबी सीमा लगती है। जिले में कुल 6 चेक पोस्ट स्थित है, जिसमें मुख्यत: बागनदी चेक पोस्ट में वाहनों का आवागमन अधिक होता है। बागनदी चेक पोस्ट राष्ट्रीय राजमार्ग 6 (मुंबई से हजीरा) में स्थित है। इस चेक पोस्ट में प्रतिदिन अनुमानित 10000 से 15000 लोग प्रवेश कर रहे हैं, विगत तीन-चार दिनों में ही इनकी संख्या बहुत अधिक बढ़ी है, आगामी दिनों में इनकी संख्या और अधिक बढऩे की संभावना है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र और गुजरात परिवहन विभाग की बसों एवं उन राज्यों से आने वाले ट्रकों के माध्यम से बड़ी संख्या में यात्रियों को बागनदी चेक पोस्ट के समीप उतार दिया जाता है, जिससे लगातार बागनदी चेक पोस्ट पर हजारों लोगों की भीड़ एकत्र हो रही है, जिससे राजनांदगांव जिले में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। सीमा पर आने वाले यात्री छत्तीसगढ़, झारखंड बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल के निवासी है। जिसमें केवल 20 प्रतिशत यात्री ही छत्तीसगढ़ के निवासी हैं इन अप्रवासी यात्रियों के सुरक्षित परिवहन हेतु संबंधित राज्य सरकारों के साथ समन्वय की आवश्यकता है।

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