लम्बे लाकडाउन ने छत्तीसगढ़ के किसानों, आदिवासियों व श्रमिकों की आर्थिक स्थिति को दयनीय बना दिया है। विम्पन्नता पराकाष्ठा पर पहुंचे तभी राजीव गांधी किसान न्याय योजना के क्रियान्वयन से राहत मिलेगी, श्रमिकों-आदिवासियों-किसानों के चेहरों में ऐसे संकट के समय थोड़ी मुस्कान आयेगी। श्रमिकों को मनरेगा, आदिवासियों को लघु वनोपज संग्रहण तथा किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से श्रम व कर्म का पैसा मिलेगा तब आजीविका चलाने उन्हें बाहर नहीं निकलना पड़ेगा।
ऐसे ही संकट के समय प्रधानमंत्री मोदी ने भी कोरोना वाइरस से उत्पन्न आर्थिक संकट से लोगों को उबारने गत 12 मई को देश में 20 लाख करोड़ रूपए के आर्थिक पैकेज देने की घोषणा की। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने 20 लाख करोड़ की सहायता किसे किस प्रकार मिलेगी, इसकी भी वे घोषणा कर रही हैं। इसमें तमाम गरीबों को शामिल कर आर्थिक मदद करने की योजना है। 13 मई को वित्तमंत्री ने देश के छोटे व मध्यम उद्योगों सहित रियल स्टेट और कान्ट्रेक्टरों को राहत देने की 15 घोषणाएं की थी। उसके बाद वित्तमंत्री ने किसानों, श्रमिकों, फेरी वाले और मध्यम वर्ग के लिए घोषणा की थी। केन्द्र सरकार ने जिन प्रवासी मजदूरों के पास राशन कार्ड नहीं है, उन लोगों को भी ध्यान में रखकर दो माह तक उन्हें मुफ्त अनाज देने की घोषणा की तथा सडक़ों पर जो ठेलों को चलाकर, रेहड़ी-पटरी वाले जो घुम-घुम कर व्यापार करने वालों को 10 हजार रूपए तक की सहायता मिलेगी, ऐसी घोषणा की है। मध्यम वर्ग के लिए क्रेडिट लिंकन सबसिडी स्कीम का समय 2021 तक बढ़ाया है। जिसके फलस्वरूप होमलोन पर फायदा होगा। छोटे लघु श्रेणी के किसानों के लिए 30 हजार करोड़ रूपयों की अधिक मदद करने की घोषणा भी की है। इससे 2.5 करोड़ किसानों को फायदा पहुंचेगा।
कोरोना की महामारी में प्रत्येक वर्ग की जो आर्थिक दुर्दशा हुई है, वह किसी से छिपी नहीं है। ऐसे आर्थिक संक्रमण के समय 50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स को आर्थिक सहायता मिलने से उनके संघर्ष पर विराम लगेगा। छत्तीसगढ़ सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना और केन्द्र सरकार की कल्याणकारी योजना का ईमानदारी से सही पात्रों का चयन कर क्रियान्वयन होगा तो इस कोरोना से उत्पन्न आपदा का मुकाबला किया जा सकेगा।
पूरे विश्व में कोरोना वाइरस फैल गया है। अभी तक न ही इसकी वैक्सिन बनी है और न ही इस महामारी का कारगर इलाज मिला है। कोरोना को नियंत्रित करने लाकडाउन की घोषणा किए 53 दिन हो गए हैं। बड़े सब्र और विवेक रख देश के करोड़ो जन घर में ही रहकर अब तक का कठिनतम समय पसार किया। जिसका ही परिणाम है कि 130 करोड़ की जनसंख्या वाले भारत में आज के कोरोना पाजिटिव केसों की संख्या लगभग 80,000 है और मृत्यु को प्राप्त करने वालों की संख्या लगभग 2600 है। इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है, जिन्होंने समय को भांप कर 22 मार्च 2020 को ही जनता कफ्र्यू की घोषणा कर दी थी। यह एक प्रारंभिक प्रयोग था कि देश के लोग घर में रह सकते हैं या नहीं? हम जानते हैं, यह प्रयोग सफल रहा। तभी से आज तक लाकडाउन चल रहा है। अब कुछ छूटछाट के साथ लाकडाउन-4 लागू होने को है।
भारत की तुलना में 30 करोड़ की जनसंख्या वाले अमेरिका में आज लगभग 14,40000 केसेज हैं और कोरोना के कारण मृत्यु को प्राप्त होने वालों की संख्या भी लगभग 85000 के आसपास है। इस तुलना के आधार पर भारत बेहतर स्थिती में है। वास्तव में कोरोना महामारी के संकट को प्रधानमंत्री ने पहले ही भांप लिया था। तभी उन्होंने जान लिया था कि भारत जैसे विशाल भौगोलिक वाले देश में कोरोना को रोकने के लिए लाकडाउन ही एक मात्र विकल्प है। नरेन्द्र मोदी की विनम्र प्रार्थना ही थी कि देश भर में लाकडाउन सफल रहा और कोरोना को अभी तक ज्यादा नहीं फैलने से रोका जा सका है।
अब यह भी स्पष्ट हो गया है कि विश्व भर में कोरोना महाकाय रूप ले चुका है तब भारत में भी कोरोना जल्दी खत्म होने वाला नहीं है। ऐसी स्थिति में कोरोना से बचाव करते हुवे हमें आर्थिक प्रगति भी करना है। इसके लिए जागरूकता के साथ देशवासियों को आत्मनिर्भर होना पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने देशवासियों की आर्थिक मदद करने के ध्येय से, उनकी चिन्ता करते हुवे 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज दिया है। इससे नि:संदेह कोरोना से मुकाबला करते हुवे देशवासी आजीविका चलाने में सक्षम होंगे, ऐसी उम्मीद की जा सकती है।