राजनांदगांव (दावा)। स्थानीय जल संसाधान संभाग में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी (मनरेगा) योजनांतर्गत वर्ष 2018-19, 2019-20 एवं 2020-21 में हुवे स्वीकृत कार्यों की जानकारी 15 मई 2020 की स्थिति में सूचना का अधिकार अंतर्गत प्राप्त हुई है, वह चौंकाने वाली है।
जल संसाधन संभाग को मनरेगा अधीन 29 सामान्य कार्य उक्त वित्तीय वर्षों के दौरान सौंपे गए थे, जो आज तक अपूर्ण हैं। इनमें से केवल दो कार्य जल संसाधन उपसंभाग क्रमांक-2 में पैरी स्टापडैम जीर्णोद्वार एवं उन्नयन कार्य लागत 15.36 लाख और मचानपार स्टापडेम जीर्णोद्धार कार्य, लागत 14.51 लाख पूर्ण हो चुके हैं। शेष 27 कार्य अभी भी आधे अधुरे हैं। जल संरक्षण, जल संचय, सिंचाई के लिए सूक्ष्म एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं सहित नहरों का निर्माण संबंधित नहरों, पुलिया निर्माण, नहर मरम्मत, एनीकट कम काजवे प्रोटेक्शन, स्लूस गेट निर्माण जैसे अन्य छोटे-छोटे कार्यों के लिए लाखों रूपए प्रशासकीय स्वीकृत हुवे थे। मजदूरी और सामग्रियों के नाम पर कितने खर्च हुवे? इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं हुई है। केवल शेष सभी 27 कार्यों को दो-ढाई साल बाद प्रगति पर होनें का बताया गया है।
मनरेगा अंतर्गत अभी तक अपूर्ण कार्यों का उत्पादक मूल्य क्या होगा? इसका जवाब स्वाभाविक रूप से शून्य ही होगा। मनरेगा अधिनियम में समयबद्ध सामाजिक आडिट और उसकी गुणवत्ता की समीक्षा करने का भी प्रावधान है। विभाग अधिकृत इंजीनियर मनरेगा कार्य की लागत का हिसाब लगाने और उनको मापने का कार्य करेंगे। उक्त अधुरे कामों का भी मूल्यांकन होगा? संभव है प्रशासकीय स्वीकृति अनुसार विभाग को राशि समय पर आबंटित न हुई हो। लेकिन, समयान्तर अनेक मरतबे मनरेगा योजना अधिन करोड़ों रूपए जिले में आए होंगे। फिर स्थानीय संसाधन-संभाग में स्वीकृत प्रशासकीय राशि अंतर्गत अपूर्ण कार्यों को पूर्ण करने के लिए राशि आबंटित करने पहल क्यों नहीं की? जबकि पिछले दो-तीन सालों से मनरेगा अंतर्गत सौंपे गए कार्य अधूरे हैं। साल दर साल आने वाली वर्षाऋतु में अभी भी सही सलामत होंगे? मनरेगा अधिनियम में केन्द्र, राज्य एवं जिला स्तरों पर बाहरी मानिटर्स के जरिए कार्यों की पुष्टि एवं गुणवत्ता आडिट का भी प्रावधान है। मनरेगा योजना गरीबों के आर्थिक कल्याण के लिए लायी गई है। अगर वास्तव में जन कल्याण करना है, तो जल संसाधन संभाग अधीन सभी मनरेगा कार्यों की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।