० खाद के लिए सोसायटी का चक्कर
० फसल बीमा बना एक मात्र सहारा
राजनांदगांव (दावा)। मेरे नैना सावन-भादो गीत बहुत प्रसिद्ध है यह सावन भादो मास में भरपूर वर्षा होने की बात को निर्दिष्ट करता है लेकिन वर्तमान में ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा। सावन मास में बारिश की झड़ी लगने के बजाय धूप कड़ी लगने लगी है। खेतों में भरपूर पानी नहीं है इसके चलते वनांचल क्षेत्र के खेतो में दरार पडऩे लगी है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है किसान बारिश की अनिश्चितता के चलते फसल बीमा कराने को ज्यादा महत्व दे रहे है। हालांकि फसल बीमा कराने की अंतिम तारीख 15 जुलाई तक रही इस दौरान एक लाख छैसठ हजार एक सौ अठेयानवे किसानों ने बड़ी संख्या में बीमा कराया है। किसानों का ध्यान अब सोसायटी में खाद संग्रहण किये जाने की ओर है। आज जिला सहकारी बैंक की सोसायटी में खाद के लिए पहुंचे सिंगपुर, बनहरदी, बागतराई के किसानों ने बताया कि उन्होंने भी फसल बीमा करा रखी है। क्योंकि बारिश पानी का कोई ठिकाना नजर नहीं आ रहा। खेतो में शत प्रतिशत बुआई हो चुकी है लेकिन पौधों के बढ़वार के लिए पानी चाहिए जो नहीं है। किसान नरसिह गोंड़ मिथलेश भावसिंह आदि ने बताया कि किसानों का फसल बीमा खातु निकालने के समय हो जाता है। उनके अनुसार किसानो को सोसायटी से प्रति एकड़ पांच या छह बोरा खाद दिया जाता है। किसानों ने बताया कि पिछले चार-पांच वर्षों से जिले में अनियमित वर्षा के कारण परेशान है। आसाढ़ में अच्छी बारिश नहीं होने पर सावन-भादो से उम्मीद लगाई जाती है। लेकिन वह भी दगा दे जाता है। सावन में झड़ी होने की बात बहुत पुरानी हो गई। अवर्षा इससे खेती को नुकसान हो जाता है। ले-देकर किसी तरह धान के पौधे को बचा लिया जाय तो पोटराने के समय कुंआर में पानी फिर दगा दे जाता है। कुल मिलाकर किसानों को किसानी में परेशानी उठानी पड़ती है आर्थिक संकट से जूझना पड़ता है। इसे देखते हुए किसान फसल बीमा कराने की ओर ज्यादा ध्यान देते है।
किसानों की बढ़ी चिंता
वनांचल क्षेत्र के किसान बारिश के मामले में सौभाग्यशाली रहे है लेकिन इस बार ऐसा नजर नहीं आ रहा। अंबागढ़ चौकी के किसान हर दिन बारिश की बांट जोह रहे है। क्षेत्र में अपेक्षित बारिश नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। आने वाले दिनों में बारिश नहीं हुई तो किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में किसानों को एक मात्र फसल बीमा का ही सहारा है।
पर्याप्त बारिश नहीं होने से इस क्षेत्र के किसान अकाल की आशंका से डरे हुए है। आषाढ़ माह में दो बार जमकर बारिश हुई जो कि किसानों के लिए मुसीबत बन गया। खेतो में डाले गये बीज सड़ गये और किसानों को दोबारा बोनी करनी पड़ी। अब खेतो में पानी नहीं होने से चिंता बढ़ गई है। धान के पौधे मुरझाने लगे है। खेतों में दरारे पडऩे लगी है। गनीमत है कि किसानों ने फसल बीमा करवाने में पहले से रूचि दिखाई इससे यदि अकाल पड़ता भी है तो उन्हें फसल बीमा से कुछ तो राहत मिल सकेगी।
ऋणी व अऋणी किसानों पर एक नजर
जिला सहकारी बैंक के सीईओ सुनील वर्मा ने द्वारा पीएम फसल बीमा खरीफ फसल 2020 की जानकारी देते हुए बताया गया कि राजनांदगांव जिले में 166198 ऋणी किसानों ने फसल बीमा कराया है जिसका बीमा धन 82735.41 है। कुल रकबा -219093.879 है। वही अऋणी किसानों की संख्या 10787 है। जिसका बीमा धन 4558.03 है। कुल रकबा-12213674 है। गौरतबल है कि जिले में लगभग तीन लाख के करीब पंजीकृत किसान है। इस बार शासन ने किसानों को बीमा कराने के हेतु प्रोत्साहित करने के लिए प्रक्रिया को काफी सरल कर दिया है जिसके चलते किसानों ने ज्यादा से ज्यादा संख्या में फसल बीमा कराने में रूचि दिखाई फिर भी पिछले वर्ष की अपेक्षा बीमा कराने वालों की संख्या कुछ कम रही।