रायपुर। Health News: यह कहावत नहीं है कि कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (सीवीएस) ने आंखों का पानी मार दिया है। वर्तमान दौर में कंप्यूटर जनित हकीकत है। नेत्र विशेषज्ञों के पास पहुंचने वालों में 50 फीसद इसी समस्या के ग्रस्त हैं। दिन-रात मोबाइल और कंप्यूटर पर काम की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की आंखों में परेशानी आ रही है। इसमें आंखों का पानी सूखने, पलकें उठाने और झुकाने में मुश्किलें, आंखें लाल होने, रोशनी कम होने, कार्निया खराब, सिर और आंखों में दर्द, खुजली, संक्रमण, आंखों में फुंसी जैसी शिकायतें हैं।
पं. जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कालेज रायपुर में प्रोफसर और नेत्र रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डा. निधि पांडेय ने शोध में पाया कि कोरोना काल से घंटों कंप्यूटर, लैपटाप, मोबाइल के माध्यम से स्कूल, कालेजों में पढ़ाई, आफिस के कामकाज, मीटिंग होने का नया दौरान और इसपर निर्भरता अधिक बढ़ गई है। लंबे समय तक टकटकी लगाकर काम करने के चलते आंखों का पानी सूखने समेत अन्य समस्याओं से ग्रस्त लोग आ रहे हैं। नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में 50 फीसद मरीज केवल कंप्यूटर विजन सिंड्राम के शिकार हैं। जबकि पहले यह महज पांच फीसद ही होती थी।
रायपुर। Health News: यह कहावत नहीं है कि कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (सीवीएस) ने आंखों का पानी मार दिया है। वर्तमान दौर में कंप्यूटर जनित हकीकत है। नेत्र विशेषज्ञों के पास पहुंचने वालों में 50 फीसद इसी समस्या के ग्रस्त हैं। दिन-रात मोबाइल और कंप्यूटर पर काम की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की आंखों में परेशानी आ रही है। इसमें आंखों का पानी सूखने, पलकें उठाने और झुकाने में मुश्किलें, आंखें लाल होने, रोशनी कम होने, कार्निया खराब, सिर और आंखों में दर्द, खुजली, संक्रमण, आंखों में फुंसी जैसी शिकायतें हैं।
पं. जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कालेज रायपुर में प्रोफसर और नेत्र रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डा. निधि पांडेय ने शोध में पाया कि कोरोना काल से घंटों कंप्यूटर, लैपटाप, मोबाइल के माध्यम से स्कूल, कालेजों में पढ़ाई, आफिस के कामकाज, मीटिंग होने का नया दौरान और इसपर निर्भरता अधिक बढ़ गई है। लंबे समय तक टकटकी लगाकर काम करने के चलते आंखों का पानी सूखने समेत अन्य समस्याओं से ग्रस्त लोग आ रहे हैं। नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में 50 फीसद मरीज केवल कंप्यूटर विजन सिंड्राम के शिकार हैं। जबकि पहले यह महज पांच फीसद ही होती थी।
यह है कंप्यूटर विजन सिंड्रोम
आंबेडकर अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. संतोष पटेल ने बताया कि लंबे समय से बिना पलकें झपकाए कंप्यूटर, लैपटाप, मोबाइल को उपयोग करने से कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की शिकायत सामने आती है। पलकें न झुकाने की वजह से आखों का पानी या आंसू की थैली सूखने लगता है। रोशनी धुंधली और कम दिखन, आंखें लाल होना (रेड आई), जलन, सिर दर्द संक्रमण समेत कई तरह की दिक्कतें आती है। डिजिटल माध्यम से कामकाज या इसका उपयोग दो से तीन घंटे से अधिक करते हैं, उनमें यह समस्या अधिक आती है।
इस मामले में आंबेडकर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग की एचओडी डा. निधि पांडेय ने बताया कि कंप्यूटर, लैपटाप, मोबाइल पर लंबे समय तक काम करने से कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की बीमारियां बढ़ी है। आंबेडकर अस्पताल में नेत्र रोग विभाग में पहुंचने वाले मरीजों पर किए गए शोध में सामने आया है कि इस तरह के मरीजों की संख्या आठ से 10 गुना बढ़ी है। इसमें कार्य के दौरान पलकें कम झपकाने की वजह से आंखों में सूखापन आ रहा है। दृष्टि दोष से संबंधित कई समस्याएं हैं। समय के साथ डिजिटल माध्यमों का उपयोग तो जरूरी है, लेकिन सावधानियों से समस्या को दूर कर सकते हैं।
बचाव के लिए करें उपाय
चिकित्सकों ने बताया कि कंप्यूटर, लैपटाप, मोबाइल का उपयोग करने के दौरान 20-20 मिनट का गेप रखें। इस स्थिति में कम से कम 20 फीट दूरी तक 20 सेकंड तक देखें। पलकें झपकाते रहें। स्क्रीन को आंख के लेवल से नीचें रखें। कमरे में लाइट की रौशनी सामान्य रखें। समय-समय पर आंखों की जांच कराएं। आंखों की कोई भी दवाएं, या ड्राप बिना चिकित्सकीय सलाह बिल्कुल भी ना लें। अल्टा एंटीग्लेयर ग्लास वाले चश्में का उपयोग कर सकते हैं।
नेत्र रोग विभाग की प्रतिदिन ओपीडी में सीवीएस के मरीजों
संस्था – ओपीडी – सीवीएस पीड़ित
एम्स रायपुर – 90 – 18 से 20
आंबेडकर अस्पताल – 100 – 45 से 50
जिला अस्पताल रायपुर – 70 – 30 से 35
नोट : ओपीडी की स्थिति और सीवीएस के मरीजों की औसत संख्या अस्पताल प्रबंधन के अनुसार।