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निजी जमीन पर नगर निगम ने बना दी 11 दुकानें !

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फरहद की जमीन मालिक ने की कलेक्टर व आयुक्त से शिकायत
राजनांदगांव(दावा)।
सरकारी जमीन पर लोगों का अवैध कब्जा देखा और सुना था, लेकिन निगम द्वारा किसी की निजी जमीन पर कब्जा कर शासकीय योजना के तहत दुकानों का अवैध निर्माण और आबंटन करने का मामला प्रकाश में आया है।

जानकारी के अनुसार नगर निगम द्वारा परहद में एक निजी जमीन पर अवैध कब्जा कर मुख्यमंत्री स्वालंबन योजना की दुकानें बना दी गई है और अब इन दुकानों को आंबटन करने की तैयारी है। जमीन मालिक ने मामले की शिकायत कलेक्टर व निगम आयुक्त से की है। बावजूद इसके अब तक इस मामले का कोई निराकरण नहीं हुआ है। निगम द्वारा अपने क्षेत्र को छोड़कर ग्राम फरहद में एक महिला की निजी जमीन पर अवैध कब्जा कर 11 दुकानों का निर्माण कर डाला, और सूत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है कि उक्त दुकानों का निर्माण पूरा भी नही हुआ था और अपने चितपरिचित लोगों को आबंटन भी कर दिया गया है, मामले में जमीन पर दखल रखने वाली महिला द्वारा निगम आयुक्त, महापौर, नगरीय प्रशासन और कलेक्टर को लिखित शिकायत जून 2020 में की गई थी, जिसका निराकरण अभी तक नही हो पाया है।

क्या इस पूरी योजना की जांच होगी?
अब मुख्यमंत्री स्वालंबन योजना में बनाई गई दुकानें सवालों के घेरे में है। अब देखना यह होगा कि आबंटन के लिए हो रही बैठक में किस तरह का निर्णय लिया जाता है। क्या इस पूरी योजना की जांच की जाएगी, योजना में किस-किस की भूमिका थी? यदि बैठक में कोई आपत्ति नहीं आती है, तो यह समझने में देरी नही लगेगी, की भाजपा और कांग्रेस एक ही नाव पर सवार हैं।

दुकानों के आबंटन के लिए आज बैठक
मुख्यमंत्री स्वालंबन योजना अंर्तगत 112 दुकानों का आबंटन होना है, जिसके लिए 21 दिसम्बर को कलेक्टर चयन समिति में दुकानों की आबंटन की घोषणा करने वाले हैं। गौरतलब है कि उक्त योजना में आवेदन ही पूरे नही आए हैं। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में मुख्यमंत्री स्वालंबन योजना अंर्तगत दुकानों का निर्माण किया गया है। इस बारे में जिले के प्रभारी मंत्री के स्पष्ट आदेश है कि दुकानों का आबंटन केवल शिक्षित बेरोजगारों को किया जाए, लेकिन इस योजना में बंदरबाट किया जा रहा है।

मामला गंभीर है, जांच होनी चाहिए-महापौर
इस बारे में महापौर हेमा देशमुख का साफ कहना है कि यह मेंरे कार्यकाल का मामला नहीं है। भाजपा के शासनकाल में दुकानें बनी थी। इन दुकानों के निर्माण में व आबंटन प्रक्रिया में त्रुटियां होने की जानकारी मिली है। इसका निराकरण करने की जरुरत है। निजी जमीन पर दुकानें बनी है, तो यह गंभीर मामला है। इसकी जांच होनी चाहिए।

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