अखिल भारतीय हलबा-हलबी आदिवासी समाज महासभा बालोद द्वारा आयोजित शहीद शिरोमणी गैंदसिंह की श्रद्धांजलि समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्रीग्राम गोड़लवाही में आश्रम, छात्रावास एवं स्कूल निर्माण करने की घोषणा
जोंधरा/राजनांदगांव (दावा)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छुरिया विकासखंड के ग्राम गोड़लवाही में अखिल भारतीय हलबा-हलबी आदिवासी समाज महासभा बालोद द्वारा आयोजित शहीद शिरोमणी गैंदसिंह की श्रद्धांजलि समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेडिय़ा, खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत, संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद, अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण दलेश्वर साहू, विधायक खुज्जी श्रीमती छन्नी चंदू साहू, अध्यक्ष जिला पंचायत श्रीमती गीता साहू, महापौर श्रीमती हेमा देशमुख, धनेश पाटिला, जिला कांग्रेस अध्यक्ष पदम कोठारी, पूर्व विधायक भोलाराम साहू, खैरागढ़ के पूर्व विधायक गिरिवर जंघेल, तरुण सिन्हा, कुमदा ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अब्दुल खान, चौकी ब्लॉक अध्यक्ष अनिल मानिकपुरी, मिथलेश ठाकुर, समाजसेवी लक्ष्मीचंद जैन, राजकुमारी सिन्हा, गोड़लवाही सरपंच नरगोतिन बाई गोपाल सिंह भुवार्य, मासूलकसा सरपंच उदासा बाई रावटे सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा एवं पुलिस अधीक्षक डी. श्रवण उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शहीद गैंदसिंह को नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि शहीद गैंदसिंह ने 1824 ईसवी में परलकोट में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया और 20 जनवरी 1825 को अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हुए। उनके त्याग और बलिदान को अक्षुण्य बनाये रखने के लिए राजनांदगांव में प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा पुरखों के बलिदान को आने वाली पीढ़ी को बताना होगा। छत्तीसगढ़ की प्राचीन संस्कृति के संरक्षण के लिए शासन की ओर से विशेष कार्य किये जा रहे हैं। आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए नवा रायपुर में 10 एकड़ भूमि में संग्रहालय एवं शोधपीठ का निर्माण किया जाएगा। वहीं देवगुड़ी एवं घोटुल के संरक्षण के लिए भी कार्य किये जा रहे हैं। गुरू घासीदास के नाम से भी संग्रहालय एवं शोधपीठ का निर्माण किया जा रहा है। हरेली, करमा, तीजा, विश्व आदिवासी दिवस, भक्त माता कर्मा पर्व के लिए अवकाश घोषित किया गया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मोहड़ जलाशय या अन्य किसी जलाशय से सिंचाई की व्यवस्था की जाएगी। ग्राम गोड़लवाही में आश्रम, छात्रावास एवं स्कूल के निर्माण करने की घोषणा की। राजनांदगांव जिले में कोदो कुटकी प्रदेश में सर्वाधिक होता है। अगले वर्ष से कोदो कुटकी भी शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाएगा। जंगल में फलदार वृक्ष लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में 30 रूपए समर्थन मूल्य में महुए की खरीदी करने से वनवासियों को आर्थिक रूप से संबल मिला। वही 3 माह नि:शुल्क 35 किलो चावल जनसामान्य को प्रदान किया गया। उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत 26 लाख श्रमिकों को रोजगार मिला। बच्चों की अच्छी पढ़ाई के लिए 52 अंग्रेजी माध्यम स्कूल की स्थापना की गई। मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत 1 लाख बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं। अब तक 81 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो गई है। बारदाने की कमी है, लेकिन सभी मिलकर इस समस्या का समाधान कर लेंगे। राजीव गांधी किसान योजना के तहत अब तक 3 किश्त की राशि दी चुकी है और चौथी किश्त की राशि 31 मार्च के पहले किसानों को हस्तांतरित कर दी जाएगी।
महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेडिय़ा ने कहा कि आदिवासी जल, जंगल और जमीन से जुड़े हैं। शहीद गैंदसिंह ने आदिवासियों की सुरक्षा एवं संरक्षण तथा उनका शोषण रोकने के लिए कार्य किया। खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मान-सम्मान एवं संस्कृति को जीवंत रखने के लिए शासन द्वारा कार्य किया जा रहा है। शासन द्वारा कर्ज माफी किया गया और 2500 रूपए में धान खरीदी की जा रही है। विधायक खुज्जी श्रीमती छन्नी साहू ने कहा कि इस क्षेत्र में आकर मुख्यमंत्री ने हमारा गौरव बढ़ाया है। समाज को संगठित करने के के लिए एकजुटता जरूरी है और विकास के लिए शिक्षा आवश्यक है। अखिल भारतीय हलबा-हलबी आदिवासी समाज महासभा बालोद के अध्यक्ष लेमन सिंह करबगियां ने परलकोट के जमींदार शहीद गैंद सिंह के जंग-ए-आजादी में योगदान को रेखांकित किया। कार्यक्रम के आरंभ में वीरेंद्र मसिया ने स्वागत उद्बोधन दिया।
झलकियां
० मुख्यमंत्री गोडलवाही में पाने दो घंटे विलम्ब से पहुंचे अत: उनकी हेलीकाप्टर उन्हें छोड़कर रायपुर के लिए प्रस्थान कर गयी और उन्हे सड़क मार्ग से रायपुर जाना पड़ा।
0 हेलीपेड से 3 कि.मी. दूर मंच बनाया गया था वहां से हेलीपेड की दूरी 3 कि.मी. थी अत: कार्यक्रम में शरीक होने आये ग्रामीणों को 3 कि.मी. पैदल चलना पड़ा।
० उक्त कार्यक्रम में हल्बा हल्बी समुदाय के करीब 15 हजार लोगों की उपस्थित रही। ग्रामीणों एवं समाज के कार्यकर्ताओं ने सबके लिए भोजन व्यवस्था के रूप में भंडारा का आयोजन रखा था।