रायपुर(दावा)। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर रमन सिंह ने आज नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सौजन्य मुलाकात की. इस दौरान छत्तीसगढ़ के राजनीतिक घटनाक्रम से लेकर विभिन्न मुद्दों पर सिलसिलेवार बातचीत हुई है. इस मुलाकात में डाक्टर रमन सिंह ने कोविड 19 से निपटने के प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों, वैक्सीनेशन और राशन वितरण के लिए किए गए कार्यों के प्रति आभार जताया है.
पीएमओ ने दो दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह को फोन कर प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात किए जाने का वक्त तय किया था. जाहिर है करीब साल भर के बाद हुई प्रत्यक्ष मुलाकात में कई अहम राजनीतिक विषयों पर भी चर्चा हुई होगी. राज्य की सियासत में कई किस्से कहानियां चर्चाओं में है, जिनमें से एक चर्चा यह भी है कि आलाकमान डॉ.रमन सिंह की नई भूमिका जल्द तय कर सकता है. पिछले दिनों उत्तराखंड सरकार के संकट में आने और मुख्यमंत्री बदले जाने की पूरी कहानी में रमन एक अहम किरदार बनकर उभरे थे. राष्ट्रीय नेतृत्व ने उन्हें पर्यवेक्षक बनाकर न केवल उत्तराखंड भेजा था, बल्कि नए मुख्यमंत्री के चुनाव और संगठन के भीतर उपजी गुटबाजी को दूर करने की अहम जिम्मेदारी भी सौंपी थी. रमन केंद्रीय नेतृत्व की उम्मीदों पर खरे उतरे थे. लेकिन इन सबके बीच राज्य में सत्ता की बेदखली के बाद से ही बीजेपी के भीतर उपजी गुटबाजी का असर भी दिख रहा है. रमन विरोधी खेमे के एकजुट होने के साथ-साथ नई प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी की सख्ती सियासत के नए समीकरण पैदा कर रही है. इस पर राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश की सक्रियता ने कई सवाल खड़े किए हैं. नेतृत्व की बागडोर किस खेमे की होगी? संगठन के भीतर यह चर्चा चरम पर है.
संगठन के जानकार बताते हैं कि डाक्टर रमन सिंह के चेहरे का विकल्प फिलहाल बीजेपी के पास नहीं है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि केंद्रीय नेतृत्व रमन सिंह की सियासी पारी को प्रदेश की राजनीति तक ही सीमित रखेगी या फिर राष्ट्रीय स्तर पर किसी नई जिम्मेदारी से नवाजेगी?