राजनांदगांव(दावा)। सांसद संतोष पाण्डेय ने लोकसभा में तारांकित प्रश्न के माध्यम से डोंगरगढ़-कटघोरा नई रेल लाइन निर्माण में हो रहे विलम्ब का मुद्दा उठाया.
सांसद ने दूरभाष पर बताया कि डोंगरगढ़-कटघोरा रेल लाइन अपने आप में पहली परियोजना है, जिसमे रेल मंत्रालय व छत्तीसगढ़ सरकार की संयुक्त उधम कंपनी छत्तीसगढ़ रेलवे कारपोरेशन लिमिटेड की सहभागिता से पूर्ण किया जायेगा. रेलवे मंत्रालय द्वारा भूमि अधिग्रहण देयताओ, दावो आदि का निपटारा कर कार्य आबंटित करने की घोषणा का कार्य पूर्ण किया जा चुका है, परन्तु जब से छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार आयी है तब से यह परियोजना एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी है. छत्तीसगढ़ रेलवे कारपोरेशन लिमिटेड की उदासीनता के कारण कार्य में विलम्ब हो रहा है.
सांसद पाण्डेय ने आगे बताया कि रेलवे मंत्रालय के पिंक बुक की रिकॉर्ड के अनुसार राशि जारी कर रेल मंत्रालय के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के द्वारा परियोजना की मंजूरी पत्र छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य सचिव को प्रेषित की जा चुकी है, किन्तु छत्तीसगढ़ सरकार रेलवे मंत्रालय द्वारा चाही गयी जानकारी में जानबुझ कर विलम्ब कर परियोजना को ठन्डे बस्ते में डाला रही है व भू-+अर्जन के मुआवजा प्रकरण को जानबूझ कर उलझाया जा रहा है, रकबा अधिग्रहण में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है. भू-अर्जन जैसा महत्वपूर्ण विषय प्रदेश सरकार को दिया गया है। जानबूझ कर मामले को पेचीदा कर प्रभावित किसानो व नागरिको में आक्रोश की स्थिति पैदा करने के लिए प्रदेश सरकार जिम्मेदार है.
ज्ञात हो कि उक्त रेल लाइन खैरागढ़, छुइखदन, गंडई, कवर्धा से होते हुए गुजरेगी, जहाँ आजादी के बाद से ही रेल लाइन की कमी महसूस की जा रही है. 2018 में परियोजना की मंजूरी प्राप्त होने से क्षेत्र में उत्साह की लहर थी किन्तु निर्माण में शिथिलता से रेल लाइन के मध्य आने वाले ग्रामो के नागरिक व्यथित है. सांसद ने कहा कि परियोजना में देरी से लागत में वृद्धि हो रही है, अंतत: इसका खामियाजा आम नागरिको को ही भुगतना पड़ेगा. ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार को चाहिए कि अविलंब सभी रेल परियोजनाओं को प्राथमिकता के साथ पूरा करने हेतु केंद्र के साथ सामंजस बना कर चलें.