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पांच लाख का लेन-देन और प्रेमिका पर बुरी नजर बना हत्या का कारण

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बहुचर्चित शुभम नामदेव हत्याकांड का ढाई साल बाद खुलासा, युवती सहित तीन गिरफ्तार
राजनांदगांव(दावा)।
शहर में हुए बहुचर्चित शुभम नामदेव हत्याकांड का ढाई साल बाद पुलिस ने पटाक्षेप किया है। पुलिस ने हत्या में शामिल एक युवती सहित दो युवकों को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में आरोपियों ने शुभम की हत्या पांच लाख रुपए का लेनदेन व प्रेमिका पर बुरी नजर रखने की वजह से करने की बात कबूल की है। पुलिस हत्या के मामले में नितिन लिम्बु उर्फ मुंकू नेपाली पिता निर्मल कुमार लिम्बु उम्र 40 वर्ष निवासी गौरीनगर वार्ड और दिनेश माहेश्वरी उर्फ गोलू मारवाड़ी पिता जगदीश उम्र 37 वर्ष साकिन किलापारा दुर्गा मंदिर राजनांदगांव एवं मेघा तिवारी पिता आलोक तिवारी उम्र 24 वर्ष निवासी सृष्टि कालोनी बसंतपुर को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। यहां से आरोपी मूंकू नेपाली और गोलू मारवाड़ी को एक दिन की रिमांड पर बसंतपुर पुलिस के हवाले किया है। वहीं मेघा तिवारी को 15 दिन की न्यायिक हिरासत में दुर्ग जेल भेजा गया है।

10 सितम्बर 2019 को हुई थी घटना
गौरतलब है कि 10 सितम्बर 2019 को नेशनल हाईवे में रेवाडीह चौक के पास कार में शुभम नामदेव पिता रावेंद्र नामदेव की लाश कार में खून से लथपथ हालत में मिली थी। अज्ञात आरोपियों द्वारा मृतक शुभम के गले में धारदार हथियार से वार कर हत्या की गई थी। पुलिस मर्ग कायम कर विवेचना में जुटी थी। हत्याकांड के बाद पुलिस आरोपियों का सुराग लगाने लगभग 300 संदेहियों से पूछताछ की और 2500 से ज्यादा लोगों के कॉल डिटेल खंगालने के बाद भी हत्या के संबंध में कोई सुराग नहीं मिल पाया था। कोरोना महामारी के पिछले वर्ष संदेहियों का नारको एवं ब्रेन मैपिंग टेस्ट कराने अनुमति भी प्राप्त नहीं हो रही थी। स्थिति सामान्य होने के बाद कुछ संदेहियों का गुजरात स्थित गांधीनगर में नारको एवं ब्रेन मेपिंग टेस्ट कराया गया। टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर पुलिस महानिरीक्षक विवेकानंद सिन्हा एवं पुलिस अधीक्षक राजनांदगांव डी. श्रवण के कुशल निर्देशन एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कविलाश टंडन, जयप्रकाश बढ़ई, श्रीमती सुरेशा चौबे, के मार्गदर्शन में उपपुलिस अधीक्षक मयंक रणसिंह, रुचि वर्मा, निरीक्षक आशीर्वाद रहटगांवकर, राजेश साहू, केपी मरकाम एवं उप निरीक्षक बिल्किस खान सहित 6 पुलिस अधिकारियों की टीम गठित कर टेस्ट के आधार पर तकनीकी रूप से सूक्ष्म से सूक्ष्म बिंदुओं पर जांच की गई एवं संदेहियों को पुन: पूछताछ हेतु तलब किया गया।

वाट्सअप कॉल कर मृतक को बुलाया गया था
पहले तो पूछताछ पर संदेही ने अपने आप को पाकसाफ बताने की कोशिश की, किंतु कड़ाई से पूछताछ पर आरोपी मुंकू नेपाली, गोलू मारवाड़ी और मेघा तिवारी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि शुभम नामदेव एवं उसके पिता रावेंद्र नामदेव जब बलात्कार के आरोप में जेल में थे, तब मुंकु नेपाली एवं गोलू मारवाड़ी द्वारा उनको जेल से बाहर निकालने के एवज में 5 लाख लिया गया था। शुभम नामदेव द्वारा जमानत में बाहर आने के बाद लगातार रकम वापस करने मुंकू नेपाली एवं गोलू मारवाड़ी के ऊपर दबाव बनाया जा रहा था, साथ ही मुंकु नेपाली की महिला मित्र मेघा तिवारी को शुभम नामदेव द्वारा मैसेज एवं कॉल करके नजदीकी बढ़ाने की कोशिश की जा रही थी, जिससे तंग आकर तीनों ने मृतक शुभम नामदेव को रास्ते से हटाने की योजना बनाई। हत्या के पूर्व रात्रि को गोलू मारवाड़ी द्वारा व्हाट्सएप कॉलिंग कर मृतक शुभम नामदेव को जयस्तंभ चौक बुलाया गया और पूर्व योजना के अनुसार रकम वापस करने और मेघा तिवारी से मुलाकात कराने की बात कहकर दूसरे दिन शाम को करीबन 7.30 बजे मृतक को पेंड्री स्थित पेट्रोल पंप के पास बुलाया गया।

मुंकू नेपाली ने किया था मृतक पर वार
आरोपीगण पहले से ही अपना-अपना मोबाइल घर में रखकर घटनास्थल पर उपस्थित थे। शुभम के आने के पश्चात् मेघा उसको शराब पीने के बहाने कार से थोड़ा दूर ले गई। मौका देखकर मुंकू नेपाली कार की पिछली सीट पर बैठ गया और जैसे ही शुभम ड्रायविंग सीट पर बैठा, तभी मुंकू ने खुखरीनुमा धारदार हथियार से एक झटके में उसका गला काट दिया। मृतक घायल अवस्था में कुछ दूर तक कार चलाते हुए होटल राज इंपीरियल के पास मदद हेतु रुका, किंतु इलाज के लिए ले जाते समय उसकी मृत्यु हो गई। आरोपी मुंकू नेपाली एवं गोलू मारवाड़ी बहुत ही शातिर है एवं पूर्व में भी हत्या एवं हत्या के प्रयास के कई प्रकरणों में जेल जा चुके हैं। पूछताछ पर मुंकू नेपाली ने पूर्व में पप्पी नाई एवं आबिद की हत्या करना भी स्वीकार किया है।

एसपी डी. श्रवण की मेहनत से खुलासा
हत्याकांड को करीब ढाई साल का समय हो रहा है। इस दौरान जिले में करीब चार एसपी पदस्थ हुए, लेकिन किसी ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। बताया जाता है कि पकड़े गए आरोपियों पर पुलिस को पहले ही संदेह था, लेकिन कड़ाई के साथ मामले की जांच नहीं की जा रही थी। एसपी डी. श्रवण कुमार द्वारा अपनी पदस्थापना के दिन से ही इस मामले को गंभीरता से लिया गया और नए सिरे से इसकी जांच शुरु की गई। एसपी डी. श्रवण कुमार की तत्पतरा से ही इस अंधे कत्ल की गुत्थी को पुलिस ने आखिरकार सुलझा लिया है।

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