अधिकतर लोगों की मौत आक्सीजन की कमी से हो रही, घरों में ही दम तोड़ रहे लोग
राजनांदगांव (दावा)। कोरोना की दूसरी लहर इतनी खतरनाक है कि वह लोगों के फेफड़ पर अटैक कर रही है और आक्सीजन की कमी से लोगों की मौत का मामले लगातार बढ़ रहे हैं। सबसे खौफनाक जानकारी गांवों से आ रही है। लोगों की न तो कोरोना जांच हो रही है और न ही उपचार हो रहा है। कोरोना ग्रस्त लोग घरों में ही आक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे है। मिली जानकारी के अनुसार पिछले कुछ दिनों से राजनांदगांव ब्लाक के सुरगी गांव में पिछले सफ्ताह भर में आठ से 10 लोगों की मौत हो गई है। वहीं आसपास के गांवों में भी मौत के मामले सामने आ रहे है। बताया जा रहा है कि सुरगी गांव में जिन लोगों की मौत हुई है। इनमें अधिकांश लोगों की उम्र 45 साल से कम है। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार गांव में कोरोना कहर बरपा रहा है। यहां पर लोगों की न तो कोरोना जांच हो रही है और न ही लोगों का ईलाज हो रहा है। कोरोना पीडित लोग बिना जांच व ईलाज के ही घरों में दम तोड़ रहे है।
ग्रामीण क्षेत्र में बदहाल हो गई है व्यवस्था
लॉकडाऊन के बाद सरकारी आंकड़े के अनुसार कोरोना की रफ्तार में कुछ कमी आई है, लेकिन यह कमी कोरोना जांच सेंटरों में कीट की कमी की वजह से आ रही है। जांच सेंटरों में एंटीजन से लेकर ट्रूनाथ व आरटीपीसीआर कीट की कमी है। इसकी वजह से लोगों की जांच पर्यापत मात्रा में नहीं हो रहा है। जांच व ईलाज नहीं होने से सोमनी क्षेत्र के सांकरा, टेडेसरा सहित अन्य गांवों में कोरोना पीडि़त लोगों की मौत होने की जानकारी सामने आ रही है। वहीं खैरागढ़, गंडई, छुईखदान, डोंगरगांव, डोंगरगढ़ क्षेत्रों में भी जांच व ईलाज नहीं होने से लोगों के मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे है। सबसे बदहाल व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्रों में है।
किट नहीं होने का हवाला देकर लौटाई जा रही
स्वास्थ्य विभाग की टीम सैंपल लेने पहुंच भी रही है तो किट नहीं होने का हवाला देकर लोगों को लौटाई जा रही है। सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड का रोना और उचित इलाज की सुविधा नहीं मिलने से लोग अब बीमार होने के बाद भी घर तक ही सीमित रह रहे हैं। यहां तक लोग गंभीर मरीजों को अस्पताल ले जाने से भी घबरा रहे हैं। लक्षण होने के बाद भी जांच नहीं करा रहे हैं। वहीं गांवों से लगातार मौत की खबरें सामने आ रहीं हैं। जांच के अभाव में यह पता नहीं चल रहा है कि इनकी मौत कोरोना से हो रही है या फिर कुछ और दूसरा कारण है। लगातार होती मौत से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।
आक्सीजन की चल रही मारामारी, स्वयं ला रहे परिजन
जिले में आक्सीजन सिलेंडर की मारामारी चल रही है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पताल में भर्ती मरीजों को आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। मरीज के परिजन स्वंय से आक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करने भटक रहे है। बताया जा रहा है कि आफत की इस घड़ी में आक्सीजन प्लांट के संचालकों द्वाारा लोगों से अधिक कीमत पर सिलेंडर उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं रेमडीसिविर इंजेक्शन का जमकर कालाबाजारी हो रही है।
शहरी क्षेत्र में आ रहा कुछ सुधार
लॉकडाउन की मियाद बढऩे का फायदा कोरोना संक्रमित मरीजों में दिखने लगा है। लाकडाउन के चलते संक्रमण की चेन टूटने लगी है। खासकर शहरी क्षेत्र में कोरोना को मात देने वालों की संख्या बढ़ रही है। होम आइसोलेशन यानी घर पर भी पॉजिटिव मरीज स्वस्थ हो रहे हैं। पिछले चार -पांच दिनों में जिले में छह हजार से अधिक लोगों ने कोरोना को हराया है। इसमें शहर व ग्रामीण दोनों क्षेत्र के लोग हैं, लेकिन स्वास्थ विभाग के आंकड़ों की मानें तो गांव से ज्यादा शहरी क्षेत्र में कोरोना की चेन टूट रही है। गांवों में संक्रमण का खतरा बना हुआ है। बताया जा रहा है कि शहरी क्षेत्र में कोरोना की जांच भी बढ़ा दी गई है। इसमें पहले की तुलना में 65 फीसदी लोग निगेटिव आ रहे हैं।