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कोरोना में सभी काम ठप्प, दिहाड़ी मजदूरों और गरीबों को पड़ रहे खाने के लाले

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शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी से लेकर निजी कार्यों पर बुरा असर
राजनांदगांव(दावा)।
एक तरफ कोरोना का संक्रमण लोगों पर कहर बरपा रहा है। वहीं लॉकडाऊन की वजह से जिले में सभी कार्य ठप्प पड़े हैं। कार्यों के बंद होने का तिहाड़ी मजदूरों व गरीब तबके के लोगों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। लंबे सय से काम बंद होने से रोज खाने-कामने वाले मजदूरों को खाने की लाले पड़ रहे हैं। मजदूरी नहीं मिलने से लोगों के पास आवक का कोई और साधन नहीं है। ऐसे में इन लोगों को राशन-पानी व अन्य जरुरत के सामान खरीदी करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को लेकर कोरोना की चैन तोडऩे जिले में 9 अप्रैल से अलग-अलग दो चरणों में लॉकडाऊन लगाया गया है। लॉकडाऊन की अवधि 5 मई तक है। लॉकडाऊन व कोरोना प्रोटोकाल की वजह से सरकारी से लेकर लगभग सभी प्राइवेट कार्य बंद पड़े हैं। ऐसे में रोज खाने-कामने वाले मजदूरों को कोई काम नहीं मिल रहा है।

लॉकडाऊन की अवधि और बढ़ी तो स्थिति गंभीर
काम नहीं मिलने से ऐसे लोगों को काफी आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है। मिली जानकारी के अनुसार लॉकडाऊन के इस दौर में शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों मेें लगभग सभी सरकारी व प्राइवेट कार्य बंद है। तिहाड़ी मजदूरों व गरीब तबके के लोगों को काम नहीं मिल रहा हैं. ऐसे में इन लोगों को काफी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। कुछ तिहाडी मजदूरों ने बताया कि वे लोग रोज खाने-व कमाने वाले लोग है। मजदूरीं से मिलने वाली मेहनताना से वे लोग अपने परिवार का पालन -पोषण करते हैं। पिछले 20 दिन से जिले में लॉकडाऊन की वजह से काम बंद है। ऐसे में काम नहीं मिलने से उन्हे रुपए नहीं मिल रहा है। जैसे-तैसे उधार से राशन की व्यवस्था हो रही है। ऐसे में लॉकडाऊन की अविध और बढऩे की स्थिति में तिहाड़ी मजदूरों व गरीब तबके के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

शासन-प्रशासन द्वारा कुछ नहीं किया जा रहा
लॉकडाऊन का सबसे बुरा असर गरीब तबके के लोगों पर पर रहा है। बावजूद इसके शासन-प्रशासन द्वारा ऐसे लोगों की मदद के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। हालांकि राज्य सरकार द्वारा कोरोना के संकटकाल में दो माह का राशन एक मुश्त दियाजा रहा है, लेकिन आर्थिक संकट से गुजर रहे गरीब तिहाड़ी मजदूरों के लिए किसी तरह पहल नहीं की जा रही है। सरकारी राशन दुकान से लोगों को चावल, शक्कर व नमक का ही वितरण किया जा रहा है। जबकि लोगों को खाने के लिए रोज सब्जी, दाल व अन्य राशन सामानों की जरुरत पड़ती है। ऐसे में किसी तरह के आर्थिक सहयता नहीं मिलने से गरीब मजदूरों को खाने के लाले पड़ रहे हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में चल सकता है सरकारी काम
लॉकडाऊन के दौर में भी ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा सहित अन्य कार्य शुरु कर गरीब मजदूरों को राहत दी जा सकती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यों को चालू करने जिला प्रशासन द्वारा गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। इससे पहले ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के अलावा अन्य सरकारी काम चल रहे थे। लेकिन इस बार कार्य बंद है। इसकी वजह से मजदूरों को काफी आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है। मिली जानकारी के अनुसार जिले भर में करोड़ों रुपए के काम स्वीकृत हुए है और इसकी राशि भी जारी हो चुके है, लेकिन संबंधित अधिकारियों द्वारा कोरोना संक्रमण का हवाला देकर फाइल को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है। अधिकारियों की अनदेखी से विकास कार्यों पर बुरा असर पड़ रहा है।

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