जोंधरा(दावा)। डेढ़ माह के इंतजार के बाद क्षेत्र में प्रकृति मेहरबान होते दिख रही है। यद्यपि आज दिन भर आसमान में बादलों का रहा, जिसे देखकर हर पल लगता रहा कि अब घनघोर बारिश से क्षेत्र की धरती तृप्त हो जाएगी, पर किसानों को आज भी दिन भर निराश ही होना पड़ा। तेज पानी की बौछारें के बदले महज बंूदाबांदी ने ही मरते हुए धान के पौधों के लिए अमृत सा काम कर दिया। किसान प्रकृति के इस तोहफे से भी संतुष्ट नजर आ रहे हैं कि सप्ताह भर तक पानी न भी गिरे तो भी फसल जिंदा ही रहेगी।
एक ओर देश के दूसरे राज्यों में घनघोर बारिश हो रही है। लोगों की जाने तक जा रही हैं, वहीं इस बार छत्तीसगढ़ के 90 प्रतिशत हिस्से मेेंं पानी का अभाव बना हुआ है। किसान एक बार फिर बारिश के इंतजार में हैं। दो माह बीतने को है, किसान धान की बुवाई कर चुके हैं, लेकिन पानी के अभाव में धान फसल पैदा का पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। हरुना धान तीन माह बाद काटने की स्थिति में आ जाती है, वही माई फसलें चार माह बाद काटने की स्थिति में आ जाती है।
क्षेत्र के प्रतिष्ठित किसान लक्ष्मीचंद जैन, भागीरथी राणा उमरवाही, गोपाल सिंह भूआर्य, ढालूराम, भीखम साहू, युगल किशोर साहू, अर्जुन रावटे, बसंत भूआर्य, शिवदयाल तारम, रजेराम नायक, तुलाराम साहू, लिम्मन कृपाल, मनोज भूआर्य, रेवाराम ठाकुर, महेंद्र साहू सभी निवासी गोड़लवाही, मिथिलेश ठाकुर महरूम, गौतम चुरेन्द्र सम्बलपुर ने बताया कि महज 8-10 दिनों में पानी का भराव खेतों में नहीं हो पाया तो किसानों की 80 प्रतिशत फसल खराब हो जाएगी और क्षेत्र भीषण अकाल की चपेट में आ सकता है। ग्रामीणों ने पानी की समस्या को देखते हुए बताया कि वह अपने ग्रामों में राम सप्ताह सहित अन्य धार्मिक आयोजन करने जा रहे हैं, ताकि अच्छी बारिश हो सके।