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चार फीट से अधिक नहीं होगी गणेश प्रतिमाओं की ऊंचाई: कलेक्टर सिन्हा

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ब्रह्म योग-चित्रा नक्षत्र में गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को, कलेक्टर ने गणेशोत्सव के लिए जारी किए दिशा निर्देश
राजनांदगांव (दावा)।
इस साल गणेश पर्व की शुरुआत 10 सितंबर को होगी। 11 दिवसीय पूजा का समापन 21 सितंबर को होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नौ सितंबर की रात 12 बजकर 17 मिनट पर चतुर्थी तिथि शुरू होकर 10 सितंबर की रात्रि 10 बजे तक रहेगी। चूंकि सूर्योदय पर पडऩे वाली तिथि का महत्व है, इसलिए 10 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दिन चित्रा नक्षत्र और ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है। इस संयोग में गणेशजी की पूजा-अर्चना करने से परिवार में सुख, समृिद्ध बढ़ेगी।

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी तारन प्रकाश सिन्हा ने नोवेल कोरोना वायरस संक्रमण के नियंत्रण एवं रोकथाम हेतु आगामी माह में आने वाले त्यौहारों के कारण कोरोना पॉजिटिव प्रकरणों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना को दृष्टिगत रखते हुए इसके नियंत्रण के लिए आदेश जारी किया है।
आदेश में कहा गया है कि गणेशोत्सव के संबंध में मूर्ति की उंचाई एवं चौड़ाई 434 फीट से अधिक न हो। मूर्ति स्थापना वाले पंडाल का आकार 15315 फीट से अधिक न हो। पंडाल के सामने कम से कम 5000 वर्गफीट की खुली जगह हो। पंडाल एवं सामने खुली जगह में कोई भी सडक़ अथवा गली का हिस्सा प्रभावित न हो। मंडप, पंडाल के सामने दर्शकों के बैठने हेतु पृथक से पंडाल न हो, दर्शकों एवं आयोजकों के बैठने हेतु कुर्सी नहीं लगाई जाएगी। किसी भी एक समय में मंडप एवं सामने मिलाकर 20 व्यक्ति से अधिक न हों।

मूर्ति स्थापित करने वाले व्यक्ति अथवा समिति एक रजिस्टर संधारित करेगी, जिसमें दर्शन हेतु आने वाले सभी व्यक्तियों का नाम, पता, मोबाईल नंबर दर्ज किया जाएगा, ताकि उनमें से कोई भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित होने पर कान्टेक्ट ट्रेसिंग किया जा सके। मूर्ति स्थापित करने वाले व्यक्ति अथवा समिति 4 सीसीटीवी लगाएगा, ताकि उनमें से कोई भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित होने पर कान्टेक्ट ट्रेसिंग किया जा सके। मूर्ति दर्शन अथवा पूजा में शामिल होने वाला कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के नहीं जाएगा। ऐसा पाए जाने पर संबंधित एवं समिति के विरूद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। मूर्ति स्थापित करने वाले व्यक्ति, समिति द्वारा सेनिटाईजर, थर्मल स्क्रीनिंग, आक्सीमीटर, हैण्डवाश एवं क्यू मैनेजमेंट सिस्टम की व्यवस्था की जाएगी। थर्मल स्क्रीनिंग में बुखार पाए जाने अथवा कोरोना से संबंधित कोई भी सामान्य व विशेष लक्षण पाए जाने पर पंडाल में प्रवेश नहीं दिये जाने की जिम्मेदारी समिति की होगी। व्यक्ति अथवा समिति द्वारा फिजिकल डिस्टेंसिंग आगमन एवं प्रस्थान की पृथक से व्यवस्था बांस-बल्ली से बेरिकेटिंग कराकर किया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति, जो मूर्ति स्थापना स्थल पर जाने से संक्रमित हो जाता है, तो इलाज का सम्पूर्ण खर्च मूर्ति स्थापना करने वाले व्यक्ति अथवा समिति द्वारा किया जाएगा। कंटेनमेंट जोन में मूर्ति स्थापना की अनुमति नहीं होगी। यदि पूजा की अवधि के दौरान भी उपरोक्त क्षेत्र कंटेनमेंट जोन घोषित हो जाता है, तो तत्काल पूजा समाप्त करनी होगी। मूर्ति स्थापना के दौरान, विसर्जन के समय अथवा विसर्जन के पश्चात् किसी भी प्रकार की भोजन, भण्डारा, जगराता अथवा सांस्कृतिक कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति स्थापना के समय, स्थापना के दौरान, विसर्जन के समय, विसर्जन के पश्चात् किसी भी प्रकार के वाद्य यंत्र, ध्वनि विस्तारक यंत्र, डीजे बजाने की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति स्थापना, विसर्जन के दौरा प्रसाद, चरणामृत या कोई भी खाद्य अथवा पेय पदार्थ वितरण की अनुमति नहीं होगी।

नहीं निकलेंगी गणेश झांकियां
मूर्ति विसर्जन के लिए एक से अधिक वाहन की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति विसर्जन के लिए पीक-अप, टाटा एस से बड़े वाहन का उपयोग प्रतिबंधित होगा। मूर्ति विसर्जन के वाहन में किसी भी प्रकार की अतिरिक्त साज-सज्जा, झांकी की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति विसर्जन के लिए 4 से अधिक व्यक्ति नहीं जा सकेंगे एवं वे मूर्ति के वाहन में ही बैठेंगे। पृथक से वाहन लेजाने की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति विसर्जन के लिए प्रयुक्त वाहन पंडाल से लेकर विसर्जन स्थल तक रास्ते में कहीं रोकने की अनुमति नहीं होगी। विसर्जन के लिए नगर निगम द्वारा निर्धारित रूट, मार्ग, तिथि एवं समय का पालन करना होगा। शहर के व्यस्त मार्गों से मूर्ति विसर्जन वाहन को ले जाने की अनुमति नहीं होगी। विसर्जन मार्ग में कहीं भी स्वागत, भण्डारा, प्रसाद वितरण पंडाल लगाने की अनुमति नहीं होगी।उपरोक्त शर्तों के साथ घरों में मूर्ति स्थापित करने की अनुमति होगी, यदि घर से बाहर मूर्ति स्थापित किया जाता है, तो कम से कम 7 दिवस के पूर्व नगर पालिक निगम कार्यालय में आवेदन देना होगा एवं अनुमति प्राप्त होने के उपरान्त ही मूर्ति स्थापित करने की अनुमति होगी।

इन सभी शर्तों के अतिरिक्त भारत सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एवं राज्य शासन के द्वारा समय-समय पर जारी निर्देश एवं एसओपी का पालन अनिवार्य रूप से किया जाना होगा। यह निर्देश तत्काल प्रभावशील होगा तथा निर्देश के उल्लंघन करने पर संबंधित के विरूद्ध एपिडेमिक डिसीज एक्ट एवं विधि अनुकूल नियमानुसार अन्य धाराओं के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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