Home छत्तीसगढ़ मन्नती शेरों के चहल-कदमी से शहर में रौनक

मन्नती शेरों के चहल-कदमी से शहर में रौनक

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राजनांदगांव(दावा)। मुस्लिमों का नया साल मुहर्रम माह के साथ आगाज हुआ है इससे मुस्लिम समुदाय में खुशिया बिखरी हुई है। इस माह के दास दिनों तक मन्नती शेर बनने की परम्परा है। इसके चलते शहर में बड़ी संख्या में लोग मन्नती शेर बनकर, नाचते-कूदते दिखाई पड़ रहे है। बाजे-गाजे के साथ पैतरा बदल-बदल कर नाचते मन्नती शेर को देखने भीड़ उमड़ रही है। खासकर बच्चे लोग शेर नाच देख कर काफी आनंद महसूस कर रहे हैं और शेरों के पीछे पीछे दूर तक शेन नाच का आनंद लेने जाने से परहेज नहीं कर रहे। बाजे-गाजे की तेज आवाज में लोगों के घरों, मजारों व दरगाह में पूरे उत्साह के साथ नाचते शेरों को देखकर लोगों को काफी आनंद आ रहा है, और बड़ी संख्या में लोग इसे मंजा लेकर देख रहे है। इससे शहर में रौनक का माहौल। रानी सागर तट पर स्थित अटल शाह दरगाह के समीप मन्नती शेरों का जमावड़ा देखते ही बनता है।


मजार-दरगाह में हाजिरी
मन्नती शेरों की एक विशेष मान्यता है। किसी संकट आपदा के निवारण अथवा किसी अप्राप्त चीजों की प्राप्ति के लिए मन्नत मांग कर बनने वाले मन्नती शेर सबसे पहले दरगाह अथवा मजार में जाकर अपनी हाजिरी देते है। वहां हुजुर के सम्मान में अपने नृत्य का प्रदर्शन कर शिरनी बगैरह चढ़ा कर अपने घर व दूसरे पहचान वाले के घरों में जाकर नृत्य करते है और दान-दक्षिण की प्राप्ति करते है। यह एक प्रकार का भिक्षाटन जैसे कार्य है जिसे मन्नत मांगते वक्त कबुल किया जाता है सो शेर बनने के बाद उक्त प्रक्रिया अपनाई जा रही है। शहर के मामा-भांजा मजार गंजलाइन, अटल शाह मजार किल्लापारा, सैय्यद जलालुद्दीन मजार पारी नाला व चांद सा वली मजार मोतीतालाब पार में मन्नती शेरों का हाजिरी लगाते हुए नाचते देखे जा सकते है।


मुस्लिमों का नया वर्ष मुहर्रम
शहर के जाने माने अधिवक्ता व समाज सेवी हलीम बख्शी गाजी ने बताया कि मुस्लिमों के नये वर्ष का आरंभ मोहर्रम के महिने से होता। इस महिने के साथ एक हृदयद्रावक घटना जुड़ी हुई है। मोहर्रम के महिने में इसी घटना की याद ताजा की जाती है। उन्होंने बताया कि इराक की धरती करबला में हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन व उनके परिवार के सदस्यों सहित उनके 72 सूरमा साथियों को यजीदी सेना द्वारा कत्लो-गारद किया गया। इंसानियत सच्चाई व धर्म को बचाने उतरे इन लोगों को भूखे प्यासे रख कर शहीद कर दिया गया। उक्त दुखद घटना की याद में मोमिन जनों द्वारा उक्त त्याग व बलिदान का पर्व मनाया जाता है। मुहर्रम के दिन शासकीय छुट्टी घोषित की गई है। इस दिन जिला प्रशासन द्वारा शुष्क दिवस घोषित कर 20 अगस्त को सभी देशी-विदेशी मंदिरा दुकानों के बंद करने के निर्देश दिये है। होटल बार व व्यावसायिक क्लब सहित जिले का भंडागार पूर्ण तह बंद रहेंगे। श्री गाजी ने बताया कि मुहर्रम के दिन शहर में मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा ताजिए निकाली जाएगी। मजलिस का आयोजन किये जाएंगे। मस्जिद में यॉमे आसूरा की नमाज पढ़ी जाएगी और इबादत किये जाएंगे। शाम को निकलन वाले मुहर्रम के जुलुस में सजे सवरे दुलदुल घोड़ा निकाला जाएगा। बताया जाता है कि उक्त घोड़ा इमाम हुसैन का था। इस घोड़े पर सवार होकर वे लड़ते लड़ते शहीद हो गये। लोग इस घोड़े पर श्रद्धापूर्वक अपनी मन्नतों के चादर चढ़ाते है।

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