राजनांदगांव (दावा)। इस बार पूरे देश में गणेश उत्सव 10 सितंबर से मनाया जाएगा। कोरोना काल में मूर्तिकारों के सामने अब रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। हालत ये है कि मूर्तिकारों को जो पहले गणेश प्रतिमा के ऑर्डर मिल जाया करते थे, वह भी अब नहीं मिल रहे हैं। इतना ही नहीं मूर्तिकारों ने अब प्रतिमाओं की संख्या भी घटा दी है। साथ ही कोलकाता से बुलाने वाले कारीगरों को भी कम कर दिया गया है। अब प्रतिमा बनाने वाले कलाकारों को अपनी लागत निकालने में भी खासा संघर्ष करना पड़ रहा है। कोरोना संक्रमण के चलते पिछले दो वर्ष से मूर्तिकारों को मायूस होना पड़ रहा है। वजह है बड़ी मूर्तियों का नहीं बनना और चार फीट से बड़ी मूर्ति नहीं बनाने जिला प्रशासन द्वारा आदेश होना है। यही वजह है कि पिछले दो वर्षों से मूर्तिकार को आर्थिक समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। आलम यह है कि इनकी स्थिति दयनीय हो गई है।
बड़ी समितियां नहीं दे रहे मूर्ति का आर्डर
बड़ी गणेशोत्सव समितियों द्वारा जहां बड़ी-बड़ी मूर्तियों की स्थापना की जाती थी, लेकिन इस वर्ष चार फीट की मूर्ति राज्य शासन द्वारा अनुमति होने के नाम से बड़ी मूर्ति में कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं, जिसके कारण मूर्तिकारों को काफी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शहर में पिछले दो सालों से कोरोना संक्रमण का साया त्यौहारो में देखने को भी मिल रहा है। सितंबर में 10 तारीख से गणेशोत्सव शुरू हो जाएगा, जिसके लिए मूर्तिकारों द्वारा भगवान गणेश की मूर्ति को मूर्त रूप देने का काम शुरू हो गया है। इस वर्ष भी पिछले वर्ष की भांति चार फीट से ऊंची मूर्ति नहीं बनाई जा रही है। मूर्तिकारों का कहना है कि पिछले दो सालों से बड़ी मूर्ति नहीं बना रहे हैं और ना ही बडी समितियां प्रतिमा स्थापित करने में रुचि नही दिखा रहे हैं, जिसके कारण काफी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि छोटी मूर्तियों का रेट बहुत कम होती है और बड़ी मूर्तियों का रेट ज्यादा होता है, जिससे उनको काफी आर्थिक मदद मिलती है। विसर्जन झांकियां भी नहीं निकाली जा सकती ।
प्रोटोकाल में शामिल पाबंदियों से उत्सव फीका
इस बार गणेशोत्सव 11 दिनों का रहेगा। स्थापना 10 सितंबर को चतुर्थी पर की जाएगी। विसर्जन 20 सितंबर को है। यानी परंपरानुसार 19 सितंबर की रात विसर्जन झांकी निकाली जाएगी, लेकिन इस बार भी प्रशासन ने अब तक इसकी अनुमति नहीं दी है। न ही स्थिति स्पष्ट हुई है। इस कारण भी प्रमुख गणेशोत्सव समितियां इस बार परंपरा का हिस्सा नहीं बन पा रहीं हैं। ज्यादातर समितियां विसर्जन खांकी में शामिल न होकर केवल मूर्ति स्थापना व स्थल झांकी में सहभागी होते हैं। मूर्तियों के आकार के साथ कोरोना प्रोटोकाल में शामिल कई तरह की पाबंदियों के कारण उत्सव के उत्साह पर असर पड़ता दिख रहा है।