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आजादी के बाद से एक अदद पक्की सडक़ के लिये तरस रहा खैरागढ़ से लगा मुड़पार

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खैरागढ़ (दावा)। नगर मुख्यालय से तकरीबन एक किमी दूरी पर स्थित ग्राम मुड़पार आजादी के बाद से एक अदद पक्की सडक़ के लिये तरस रहा है, मुख्यालय से लगे होने के बाद भी इस गांव में पक्की सडक़ नहीं बन पाने से ग्रामीण नाराज हैं. नगर के धरमपुरा वार्ड से 500 मीटर की दूरी पर स्थित मुड़पार ग्राम पंचायत संडी का आश्रित ग्राम है जहां पहुंचने के लिये अब तक पक्की सडक़ नहीं बन पाया है जिसके कारण ग्रामीणों को आवागमन में कई परेशानियां हो रही है. बता दे कि मुड़पार में लगभग 50 परिवार निवासरत है जिनकी जनसंख्या लगभग 200 से अधिक है. एक अदद पक्की सडक़ और विकास की बाट जोह रहे मुड़पार के रहवासियों को उम्मीद लगी है कि कांग्रेसनीत भूपेश बघेल सरकार में उन्हें आवागमन की बेहतर सुविधा मिल पायेगी लेकिन नई सरकार आने के बाद आवेदन देने के बाद भी ग्रामीणों को अब तक सुविधा तो दूर शासन-प्रशासन की ओर से बेहतर जवाब भी नहीं मिल पाया है जिसे लेकर ग्रामीणों में अब नाराजगी बढ़ती जा रही है.


बारिश होने के बाद दुगुनी हो जाती है मुड़पार वासियों की मुसीबत

बारिश के दिनों मार्ग में कीचड़ होने की वजह से मुड़पारवासियों की मुसीबत दुगुनी हो जाती है, मार्ग निर्माण नहीं होने के कारण ग्रामीणों को आवागमन में परेशानी होती है. कीचड़ से सराबोर इस मार्ग पर पैदल चलने के साथ ही दोपहिया वाहन में भी आवागमन करना मुश्किल हो जाता है, यहां तक की चार पहिया वाहन भी बमुश्किल निकल पाता है. ग्रामीणों का कहना है कि मुड़पार जाने वाली यह सडक़ अतिक्रमण के चलते धीरे-धीरे सकरी होती जा रही है, गांव तक बनी कच्ची सडक़ के एक ओर निजी जमीन और दूसरी ओर आमनेर नदी का छोर है. निजी जमीन के मालिकों द्वारा सडक़ किनारे लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है जिसके चलते सडक़ सकरी होती जा रही है, दूसरी ओर नदी का किनारा होने के चलते आवागमन में परेशानी के साथ ही दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है. सडक़ निर्माण को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात कर चुके हैं लेकिन उनके द्वारा केवल मार्ग निर्माण का आश्वासन ही दिया जाता है पर आज तक किसी जनप्रतिनिधि ने मार्ग निर्माण के लिये पहल नहीं किया.


हर बार चुनाव में मिलता है राजनीतिक पार्टियों से आश्वासन

ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय हर बार राजनीतिक पार्टियों से पक्की सडक़ निर्माण के साथ ही गांव के विकास को लेकर केवल आश्वासन ही मिलता है. गांव के विकास को मुद्दा बनाकर नेता वोट मांगते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद विकास दूर-दूर तक नजर नहीं आता. ग्रामीणों ने बताया कि मुख्य सडक़ के साथ ही गांव के अंदर भी पक्की सडक़ नहीं है, अभी तक केवल सौ मीटर का सीसी रोड ही बन पाया है. इसके बाद सडक़ के नाम पर कोई स्वीकृति नहीं हुई है. मुख्यमंत्री जनदर्शन में दो साल पहले गांव में निवासरत सौरभ सिंह चौहान ने 21 अगस्त 2019 को आवेदन किया था लेकिन अब तक उसका कोई जवाब नहीं आया.

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