० नामचीन कंपनियों के वाहन ही सुरक्षित
० चीनी माल से सावधान
राजनांदगांव (दावा)। देश में पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों और पेट्रोलियम उत्पादों की सीमित उपलब्धता की वजह से बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ रही है। इसे देखते हुए भारतीय बाजार में इन दिनों कई स्टार्टअप कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों पर निवेश कर बड़ा मुनाफा कमाने की जुगत में भिड़ गए हैं। इनमें से कई कंपनियों का मकसद लोगों के लिए एक अच्छा वाहन बनाना नहीं बल्कि, कम समय में ज्यादा पैसा कमाना है। इसके बाद भले ग्राहक गाडिय़ों की सर्विस और पार्ट्स के लिए दर-दर की ठोकरें खाता रहे। दरअसल ये कंपनियां आपको वाहन बेच तो देती हैं, लेकिन ऑफ्टर सेल सर्विस के नाम पर कुछ भी नहीं होता है। यह कहना गलत नहीं है कि इन दिनों कई कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहन की बिक्री के नाम पर चीन से इलेक्ट्रिक प्रोडक्ट को इंपोर्ट करके सस्ती कीमत पर बेचने का काम कर रही है। इन कंपनियों की तरफ से रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रोग्राम पर कोई खर्च नहीं किया जा रहा है। चीन से इंपोर्ट होने वाले इन इलेक्ट्रिक वाहनों की क्वालिटी बहुत ही औसत दर की होती है। यही कारण है कि इलेक्ट्रिक वाहनों में हो रहे हादसे तेजी से बढ़ते दिखाई दे रहे हैं।
आजकल आकर्षक विज्ञापनों और ऑफर्स के माध्यम से ग्राहकों को जाल में फंसाने का सिलसिला लगातार चल रहा है। ग्राहक चमक-दमक देखकर वाहन खरीद तो लेता है लेकिन कुछ ही समय में उन्हें गलती का अहसास हो जाता है और वे खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं लेकिन तब तक उनके पास अफसोस करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता है। इसीलिए इलेक्ट्रिक वाहन को खरीदने से पहले आपका रिसर्च करना बहुत जरूरी है। किसी भी वाहन को खरीदने से पहले यह जरूर पता लगाएं कि उस कंपनी का परफॉर्मेंस कैसा है। वाहन और बैटरी पर कैसी सर्विस और वारंटी मिल रही है। यह भी पता लगाएं कि बाजार में उस कंपनी को लोग कैसा फीडबैक दे रहे हैं। उस कंपनी के वाहनों की क्वालिटी कैसी है।
किन कंपनियों पर करें भरोसा
मौजूदा समय में हीरो इलेक्ट्रिक, टीवीएस, बजाज और एथर जैसी कंपनियों के इलेक्ट्रिक स्कूटर्स का परफॉर्मेंस सही देखने को मिला है। इन कंपनियों के इलेक्ट्रिक स्कूटर्स में आपको रेंज या फीचर्स को लेकर कमी दिख सकती है, लेकिन इन कंपनियों के इलेक्ट्रिक स्कूटर्स ग्राउंड पर सफल हो चुके हैं। इन कंपनियों के कई स्कूटर्स की बिक्री हो चुकी है। हालांकि, इन कंपनियों के ज्यादातर प्रोडक्ट हाई स्पीड परफॉर्मेेंस वाले इलेक्ट्रिक स्कूटर्स हैं, जिनकी कीमत काफी ज्यादा है। लेकिन जहां यह कंपनियां अपना बाजार तैयार नहीं कर पाई हैं, वहां ग्राहकों को ठगने के लिए लोकल कंपनियों के बीच रेस शुरू हो गई है। यहां ध्यान देना जरूरी है कि हाल ही में जिन इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स में आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं उनमें ओला और ओकीनावा जैसी कंपनियां भी शामिल हैं, जिन्हें इस सेगमेंट का बड़ा प्लेयर माना जा रहा था। ऐसे में ग्राहकों की जान भी खतरे में है। कुछ कंपनियां सीधे चीन से पार्ट्स इम्पोर्ट कर रही हैं और यहाँ असेम्बल करने के बाद ग्राहकों को थमा दे रही हैं। ग्राहकों की सेफ्टी को नजरअंदाज कर सिर्फ मुनाफ़ा कमाना ही इन कंपनियों का एकमात्र उद्देश्य है। इलेक्ट्रिक वाहन का ठप्पा लगा होने के कारण ग्राहकों के लिए हीरे और कांच के टुकड़े में अंतर करना मुश्किल हो जाता है।
किसी भी इलेक्ट्रिक वाहन को खरीदने से पहले उसका टेस्ट ड्राइव जरूर लें। इसे हर स्पीड पर चलाकर देख लें। अगर आपको ड्राइव के दौरान कहीं भी जोखिम महसूस हो जैसे, थ्रॉटल का सही से काम न करना, ब्रेक का सही से न लगना, गाड़ी का झटका देना, गाड़ी के प्लास्टिक क्वालिटी का औसत लगना तो गाड़ी को न खरीदें। टेस्ट ड्राइव न लेना आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। जो कंपनी अपने वाहन की टेस्ट ड्राइव न दे उसे बिल्कुल न खरीदें।
चीनी सामानों का विरोध करने वाले राष्ट्र भक्त गहरी निद्रा में
चीनी सामानों का विरोध करने वाले अब चीनी सामानों के माध्यम से व्यापार कर लोगों को चीनी माल पहुंचाने का काम करने वाले के खिलाफ रत्ती भर भी आवाज नहीं निकल पा रही है एक समय ऐसा था जब चीनी पटाखों चीनी घरेलू सामानों मोबाइल घडिय़ों और यहां तक बिजली और खिलौने तक का विरोध किया जाता रहा है पर अब जब चीनी सामान की खेप राजनांदगांव तक पहुंचती हैं तब ऐसे राष्ट्रभक्त जो चीनी सामान का विरोध करने आमादा रहते थे अब उन्हें इस बात की चिंता नहीं की सरपट दौड़ती गाडिय़ां इसे इलेक्ट्रिक बाइक के रूप में देखा जा रहा है उसके लगभग कलपुर्जे चीन से ही निर्यात किए जा रहे हैं, ऐसे में वह संगठन कहां गए जो स्वदेशी की बात किया करते थे।
इलेक्ट्रिक टू व्हीलर की अनुमति पर भी सवाल?
इलेक्ट्रिक व्हीकल को असेंबल करने के पश्चात वो सडक़ो पर सुरक्षित चलाने योग्य है भी की नही उसके प्रमाण पत्र भी अनेकों के पास है भी या नहीं यह भी शोध का विषय है आखिर लीड एसिड और लिथियम लोन बैटरी का इस्तेमाल किया जा रहा है जहा तक गाड़ीयो का रेट भी इन्ही बैटरी पर निर्भर है और उनकी सुरक्षा और गुणवत्ता भी जिसे चैक करने वाले ही जांच करना ही नही चाहते शायद इच्छा शक्ति की कमी भी एक कारण हो सकता है। या फिर मैं तुम्हे देखू तुम मुझे देखो की स्थिति भी एक कारण हो सकता है बहरहाल धड़ल्ले से बिकने वाली इलेक्ट्रिक बाइक और स्कूटर की जांच निश्चित रूप से बारीकी और गंभीरता से हो ताकि लोगों तक पहुंचने वाली गाडिय़ों पर मानक तय करने वाले एजेंसियों की जवाबदेही तय हो सके और लोगों तक गुणवत्ता के मापदंड के अनुरूप वाहन बाजार में उपलब्ध हो सके।