पीडि़त ने लगायी हाईकोर्ट में गुहार… कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन से 8 हफ्ते में मांगा जवाब
राजनांदगांव (दावा)। केन्द्र सरकार द्वारा लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए अमृत मिशन योजना संचालित की है। राजनांदगांव शहर के 51 वार्डों में अमृत मिशन योजना के तहत पाईप लाइन बिछाकर तथा इंटर कनेक्शन कर मिशन के घर-घर तक पहुंची नलों द्वारा लगभग जल प्रदाय का काम शुरू कर दिया गया है। लेकिन वार्ड नं. 18 स्थित प्रिंसेस प्लेटिनयम कालोनी मित्र चौक (ममता नगर) निवासी लव कुमार रामटेके को अमृत मिशन के उक्त जल-प्रदाय योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। इससे उन्हें व उनके परिवार वालों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
इस संबंध में अधिवक्ता लव कुमार रामटेके ने अपनी धर्मपत्नी दीपा रामटेके के साथ प्रेसवार्ता लेते हुए बताया कि उन्होंने नगर निगम के सारे टैक्स अदा कर दिये है। इसके बाद भी उन्हें अमृत मिशन योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है। जो कि उनके साथ अन्याय है। पीडि़त लव कुमार ने इसके लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटाया है, जहां से हाई कोर्ट द्वारा पीडि़त पक्ष के प्रति चिंता जाहिर करते हुए तत्संबंध में छ.ग. शासन जिला कलेक्टर व नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
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कथित अवैध कालोनी
बता दे कि अमृत मिशन नल जल योजना के लाभ से वंचित पीडि़त लव कुमार रामटेके का परिवार जिस प्रिंसेस प्लेटिनम कालोनी में निवासरत है। उक्त कालोनी को शरणजीत कौर पति बलविन्दर सिंह भाटिया ने बनाया है। उक्त कालोनी शुरू से ही रोड रास्ता व सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विवादित रही है। यहां जल संकट हमेशा से बना रहा है। उपरोक्त समस्या के संदर्भ में कालोनाइजर उदासीन रहा है, जिसकी शिकायत कलेक्टर, महापौर, निगम आयुक्त व वार्ड पार्षद से कई बार की जा चुकी है किन्तु स्थानीय प्रशासन द्वारा इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया गया। फलस्वरूप कालोनीवासियों को विगत-तीन-चार वर्षो से जल संकट से जूझना पड़ रहा है।
पीडि़त लव कुमार रामटेके ने बताया कि दिक्कत की बात यह है कि उनके घर के समीप रहने वाले कालोनीवासियों के घरों में अमृत मिशन का जल प्रदाय हो रहा है। लेकिन न जाने क्यों उन्हें इस जल प्रदाय से वंचित रखा गया है, जबकि निगम के सारे टैक्स उन्होंने अदा कर दिये है। जिसकी रसीद भी उन्होंने प्रेस वार्ता में दिखाया तथा उक्त रसीद की फोटो काफी उच्च न्यायालय बिलासपुर को दायर की गई रिट याचिका में चस्पा की गई है। उन्होंने कहा कि शासन व कोई नगरी निकाय किसी भी व्यक्ति को उसके नैसर्गिक प्राकृतिक व संवैधानिक अधिकार से वंचित नहीं कर सकता। उक्ताधार पर उच्च न्यायालय ने शासन व स्थानीय प्रशासन को 8 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। अब देखना यह है कि स्थानीय प्रशासन इस दिशा में क्या कदम उठाता है। उन्हें अमृत मिशन के नल जल योजना का लाभ मिलता है या नहीं?