राजधानी रायपुर में अत्याधुनिक पुनर्वास केन्द्र (फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेन्टर) हजारों दिव्यांग व्यक्तियों को नया जीवन दे रहा है। इस पुनर्वास केन्द्र में छत्तीसगढ़ के साथ ही आसपास के प्रदेशों से भी लोग कृत्रिम अंग बनवाने आने लगे हैं। पुनर्वास केन्द्र इंटरनेशनल कमिटी ऑफ रेडक्रॉस (आईसीआरसी) के सहयोग से दिव्यांगों को निःशुल्क कृत्रिम अंग बनाकर देने के साथ उन्हें अंग संचालन और संतुलन की ट्रेनिंग भी दी जाती है।
पुनर्वास केन्द्र में सेरिब्रल पाल्सी (प्रमस्तिष्क घात) से पीड़ित मरीजों के पुनर्वास पर विशेष उपकरण बनाए जाते हैं। ऐसे मरीजों के चलने-फिरने में संतुलन की कमी होती है, उन्हें निःशुल्क व्हील चेयर और सिटिंग चेयर तैयार करके दी जाती है, जिससे मरीज को खाना-खाने, पढ़ने, बैठने में आसानी हो सके। इसके साथ ही ऐसे मरीजों की सुविधा के लिए फिजियोथैरेपी के विशेष उपकरण भी उपलब्ध है, जिनके जरिए मरीजों को एक्सरसाईज के जरिए उपचार किए जाते हैं। इसके अलावा यहां कृत्रिम हाथ-पैर, कैलिपर्स और सहायक उपकरण भी मरीजों की जरूरत के हिसाब से बनाकर दिए जाते हैं। अब तक इस केन्द्र के माध्यम से 3 हजार 740 मरीजों को 5 हजार 258 कृत्रिम अंगों और सहायक उपकरणों से लाभान्वित किया जा चुका है। विगत मार्च महीने में 10 जिलों के हितग्राहियों को 32 कृत्रिम उपकरण तैयार कर प्रदान किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के तहत राज्य के दिव्यांग व्यक्तियों को अत्याधुनिक कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण निःशुल्क प्रदाय करने के लिए समाज कल्याण विभाग द्वारा फिजिकल रिफरल रिहैबिलिटेशन सेन्टर की स्थापना की गई है।