10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव का समापन गणपति बप्पा के विसर्जन के साथ होता है. गणेश विसर्जन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को करते हैं. उस दिन अनंत चतुर्दशी होती है. जिन लोगों के घरों पर 10 दिनों के लिए बप्पा विराजते हैं, वे गणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी को करते हैं. लोग गणपति बप्पा को खुशी-खुशी विदा करते हैं और अगले साल फिर आने को कहते हैं. माना जाता है कि गणपति अपने साथ भक्तों के दुखों को लेकर जाते हैं और उनके जीवन को खुशहाली से भर देते हैं. इस बार गणेश विसर्जन के दिन भद्रा और पंचक भी है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि इस साल गणेश विसर्जन कब है? गणपति बप्पा की विदाई का समय क्या है?
गणेश विसर्जन 2024 तारीख
इस साल गणेश विसर्जन 17 सितंबर दिन मंगलवार को है. उस दिन ही अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन के लिए आवश्यक भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर सोमवार को दोपहर 3:10 बजे से लेकर 17 अगस्त मंगलवार को दिन में 11 बजकर 44 मिनट तक मान्य है.
गणेश विसर्जन 2024 मुहूर्त
इस साल गणेश विसर्जन आप सूर्योदय के बाद से यानि सुबह 06:07 बजे से कर सकते हैं. उस दिन अनंत चतुर्दशी पूजा का मुहूर्त सुबह 6:07 बजे से 11:44 बजे तक है.
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
सुबह का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत): 09:11 ए एम से 01:47 पी एम तक
अपराह्न का मुहूर्त (शुभ): 03:19 पी एम से 04:51 पी एम तक
सायंकालीन मुहूर्त (लाभ): 07:51 पी एम से 09:19 पी एम
रात का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर): 10:47 पी एम से 03:12 ए एम, सितम्बर 18
दिन का शुभ चौघड़िया मुहूर्त
चर-सामान्य मुहूर्त: 09:11 ए एम से 10:43 ए एम तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त: 10:43 ए एम से 12:15 पी एम तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 12:15 पी एम से 01:47 पी एम तक
शुभ-उत्तम मुहूर्त: 03:19 पी एम से 04:51 पी एम तक
रवि योग में होगा गणेश विसर्जन
इस साल गणेश विसर्जन वाले दिन रवि योग बन रहा है. उस दिन रवि योग सुबह में 06:07 बजे से लेकर दोपहर 01:53 बजे तक रहेगा. यह गणेश विसर्जन के लिए सुबह का मुहूर्त भी है.
गणेश विसर्जन का मंत्र
जब आप गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किसी बड़े तालाब, नदी, झील आदि में करते हैं, तो उस समय आपको नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करना चाहिए. विसर्जन के समय गणेश जी को विदा करें और उनको फिर अगले बरस आने की प्रार्थना करें.
1. ॐ यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
2. गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थाने परमेश्वर!
मम पूजा गृहीत्मेवां पुनरागमनाय च।।