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यूपी पुलिस ने बुना खतरनाक जाल, नकल माफिया के उड़े होश, परीक्षा में ली AI की मदद

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यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा 2024 न सिर्फ उत्तर प्रदेश राज्य की, बल्कि पूरे देश की सबसे बड़ी परीक्षा बताई जा रही है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में तो इसे दुनिया की सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा भी बताया गया. यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 23 से 31 अगस्त 2024 के बीच हुई थी. पुलिस विभाग में आरक्षी की सरकारी नौकरी के लिए 48 लाख से ज्यादा युवाओं ने आवेदन किया था. इनमें से करीब 32 लाख ने परीक्षा दी थी.

यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में शामिल हुए अभ्यर्थी सरकारी रिजल्ट जारी होने का इंतजार कर रहे हैं (UP Police Sarkari Result). माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड अगले कुछ दिनों में यूपी पुलिस सरकारी रिजल्ट जारी कर देगा. फरवरी में हुई यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने की वजह से उसे रद्द कर दिया गया था. अगस्त में पेपर लीक, नकल जैसी गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए यूपी पुलिस ने काफी सही रणनीति बनाई थी.

यूपी पुलिस ने परीक्षा के लिए रचा चक्रव्यूह
टाइम्स नाउ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी पुलिस ने अगस्त 2024 में हुई कांस्टेबल भर्ती परीक्षा को सफलतापूर्वक आयोजित करवाने के लिए 6 ऐसे चक्रव्यूह रचे थे, जिन्हें तोड़ना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं था. इन सख्त इंतजामों से नकल माफिया और सॉल्वर गैंग की पूरी प्लानिंग बर्बाद हो गई. यूपी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नकल रोकने के लिए एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली गई थी. यह परीक्षा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निगरानी में आयोजित हुई थी.

चक्रव्यूह नंबर 1: एआई की मदद से तैयार किए 15 हजार सवाल
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार, यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से 15 हजार सवालों का बैंक तैयार किया था. इन सवालों को 3 लेवल्स में बांटा गया था- 30% कठिन, 50% मीडियम और 20% आसान. इससे उनमें बैलेंस बनाया गया था. इसके साथ ही हर प्रश्न पत्र की 8 अलग-अलग सीरीज भी बनाई गई थीं.

चक्रव्यूह नंबर 2: सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा के सभी केंद्रों पर निगरानी रखने के लिए एआई-सक्षम सीसीटीवी इंस्टॉल किए गए थे. प्रश्न पत्रों को सुरक्षित रखने के लिए सिक्योर स्ट्रॉन्ग रूम स्थापित किया गया था. इस कमरे में सीसीटीवी और जीपीएस ट्रैकिंग की पूरी व्यवस्था थी. बता दें कि परीक्षा केंद्र बनाने के लिए सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों को प्राथमिकता दी गई थी.

चक्रव्यूह नंबर 3: चेहरा पहचानने की टेक्नोलॉजी
यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल हुए सभी अभ्यर्थियों का वेरिफिकेशन आधार के जरिए किया गया था. जिन केंद्रों पर आधार वेरिफाई नहीं हो पा रहा था, वहां बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन कंपल्सरी था. एआई-सक्षम CCTV का इस्तेमाल फोटो और चेहरे की पहचान सहित बायोमेट्रिक डेटा कैप्चर करने के लिए किया गया था. सभी केंद्रों पर रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए कंट्रोल रूम स्थापित किए गए थे. परीक्षा की जिम्मेदारी केंद्राधीक्षक, पुलिस अधिकारी, सेक्टर मजिस्ट्रेट और स्टैटिक मजिस्ट्रेट को सौंपी गई थी.

चक्रव्यूह नंबर 4: ट्रांसपेरेंसी के लिए SOP
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों का पालन करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने एसओपी यानी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर स्थापित किया था. इससे सरकारी भर्ती परीक्षा के दौरान सख्त सुरक्षा और पारदर्शिता बनाए रखने में मदद मिली थी. बता दें कि इस एसओपी के जरिए परीक्षा खत्म हो जाने के बाद सभी दस्तावेजों को डिस्पोज करने की प्रक्रिया से जुड़े निर्देश भी स्पष्ट रूप से दिए गए थे.

चक्रव्यूह नंबर 5: तैयार हुई नकल माफिया और सॉल्वर गैंग की लिस्ट
सरकार ने भर्ती परीक्षा के सफल आयोजन के लिए सभी पुलिस अफसरों को फिजिकल ट्रेनिंग दिलवाई थी. इसमें सोशल मीडिया एक्टिविटीज पर नजर रखने के निर्देश भी थे. परीक्षा शुरू होने से पहले 1541 ऐसे लोगों की लिस्ट बनाई गई थी, जो किसी न किसी तरीके से नकल माफिया और सॉल्वर गैंग से जुड़े थे. इनमें से भी उन आरोपियों पर खास नजर रखी गई थी, जो पिछले 12 सालों में परीक्षा से संबंधित घटनाओं में फंसे थे. सीएम योगी ने मुख्यालय स्तर पर डीजीपी, एसटीएफ और जिला स्तर पर डीएम और एसएसपी को परीक्षा के सुरक्षित एग्जिक्यूशन के लिए प्रभावी ढंग से सहयोग करने का निर्देश दिया था.

चक्रव्यूह नंबर 6: मल्टीलेयर्ड पैकिंग में थे प्रश्न पत्र
आंसर कॉपी से छेड़छाड़ को रोकने के लिए परीक्षा के बाद उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की गई थी. इसके लिए टैंपर प्रूफ (जिसमें छेड़छाड़ न की जा सके), मल्टी-लेयर पैकेजिंग का इस्तेमाल किया गया था. बता दें कि प्रश्नपत्रों पर भी वही सिक्योरिटी मेजर्स लागू किए गए थे. भर्ती परीक्षा से संबंधित तीन प्रमुख चुनौतियों को संबोधित करने पर ध्यान फोकस किया गया था: टेलीग्राम, आधार ऑथेंटिकेशन और प्राइवेसी पॉलिसी.