कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अधिकारियों ने एक अधिसूचना जारी करते हुए 10 डॉक्टरों को निष्कासित करने का फैसला लिया है. इसमें इंटर्न, हाउस स्टाफ और सीनियर रेजिडेंट शामिल है. सूत्रों ने बताया कि ये सभी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व और विवादास्पद प्रिंसिपल संदीप घोष के अत्यंत करीबी और विश्वासपात्र थे, जिनके खिलाफ सीबीआई दो मामले में जांच कर रही है. पहला मामला जूनियर डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या का है और दूसरा मामला गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का है.
निष्कासित 10 लोगों में हाउस स्टाफ आशीष पांडे भी शामिल है, जो वित्तीय अनियमितताओं के मामले में कथित तौर पर संलिप्त होने के कारण सीबीआई हिरासत में है. आयुषी थापा, निष्कासित 10 डॉक्टरों की टीम में एकमात्र महिला डॉक्टर है. इसके अलावा सौरव पाल, अभिषेक सेन, निरजन बागची, सारिफ हसन, नीलाग्नि देबनाथ, अमरेंद्र सिंह, सतपाल सिंह और तनवीर अहमद काजी को निष्कासित किया गया है.
आईएएनएस के पास उपलब्ध अधिसूचना के अनुसार, निष्कासित किए गए लोगों पर गंभीर आरोप हैं, जिनमें दूसरों को परीक्षा में फेल करने या छात्रावास से निकाल देने की धमकी देना, जूनियर छात्रों को विशेष राजनीतिक दल में शामिल होने के लिए मजबूर करना, यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार, जबरन धन वसूली, छात्रों के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करना और कुछ छात्रों को टारगेट कर शारीरिक हिंसा करना शामिल है. इन सभी को अधिसूचना जारी होने के 72 घंटे के भीतर मेडिकल कॉलेज छात्रावास खाली करने के लिए कहा गया है. इसके अलावा, इनके पंजीकरण के कागजात की जांच की जाएगी और फिर उचित कार्रवाई के लिए पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल को भेजा जाएगा.
महिला डॉक्टर से बलात्कार और हत्या मामले के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे छात्र संगठन, पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट (डब्ल्यूबीजेडीएफ) ने शनिवार शाम को अनोखे विरोध प्रदर्शन की घोषणा की, जिसके तहत वह मरीजों को चिकित्सा सेवाएं देंगे और समानांतर तरीके से आमरण अनशन भी करेंगे. विभिन्न मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के छह जूनियर छात्र ने स्वेच्छा से प्रक्रिया शुरू करने की पेशकश की है और वह सभी छह शनिवार शाम से भूख हड़ताल पर हैं.