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लाकडाउन: संवेदनशीलता रख प्रशासन नियमों को लागू करें

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विश्व के सभी देशों का ध्यान भारत की ओर गया है। देश भर में लाकडाउन याने तालेबंदी का निर्णय अभूतपूर्व और ऐतिहासिक है। अमेरिका के प्रमुख अखबार न्यूयार्क हाइम्स ने तो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को समझाईश दी है कि भारत से सीखिये। चीन ने भी भारत के द्वारा उठाए गए कदमों की प्रशंसा की है। इन दोनों देशों के अलावा अन्य देश भी कोरोना से किए जा रहे भारत के महाभारत से चकित हैं।
केन्द्र सरकार ने आगामी, तीन महिनों के लिए वंचित लोगों को आर्थिक सहायता मिलते रहे, खाद्यान्न मिलता रहे, इसके लिए विशेष पैकेज की घोषणा की है। प्रधानमंत्री ने 21 दिनों की जंग को महाभारत कहा है। लाकडाउन एक अनिवार्य निर्णय है। नागरिकों की भी राष्ट्रीय जिम्मेदारी होती है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारतवासी और उनका यह देश 21 दिनों तक कोरोना बाबत ऐहतियात नहीं बरतेगा तो हम 21 साल पीछे हो जायेंगे। लाकडाउन को लेकर सरकार का रवैया सख्त है। लाकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों को एक माह से लेकर दो साल तक की सजा होने का प्रावधान रखा गया है। सख्त निर्णय लेने के पीछे का कारण यह है कि, पिछले थोड़े दिनों में लगभग 65 हजार भारतीय और विदेशी नागरिक युरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों में से यहां आए हैं। उक्त देशों में कोविड-19 का प्रकोप सर्वाधिक है। इस कारण यहां आने के बाद भारत देश में कोरोना महामारी का खतरा बढ़ गया है। लाकडाउन करने का शुभ आशय यह है कि, विदेश से आए किसी भी व्यक्ति को इस वाइरस का संक्रमण लगा है, वह देश में फैल न सके। जिस मरीज में कोराना होगा तो 14 दिनों के भीतर वह दिखाई देने लगेगा। तभी उसका तत्काल इलाज भी किया जा सकेगा। अगर, मरीज पहले से ही संक्रमित है तब भी उसका इलाज किया जा सकेगा। अनेक लोग कोरोना का सही वक्त पर इलाज होने से ठीक हो रहे हैं।
इसी के साथ, यह भी हकीकत है कि लाकडाउन को लेकर देश के सामने अनेक चुनौतियां भी हंै। इसका सामना करने के लिए सरकार को दृढ इच्छाशक्ति से काम करना होगा। स्वास्थ्य और जीवन आवश्यक से जुड़े सभी सामान, दवाइयां लोगों को उपलब्ध होती रहे। कोरोना के सिवाय अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों को भी अस्पतालों व डाक्टर्स तक पहुंचने की सुविधाएं मिलनी चाहिए। लोगों को रोज-ब-रोज लगने वाली वस्तुओं की तंगी नहीं होनी चाहिए। वस्तुएं वाजिब दामों में मिले, यह देखने की भी जवाबदारी सरकार की है। कंस्ट्रक्शन से जुड़े श्रमिकों के लिए श्रममंत्री संतोष गंगवार ने राहत प्रदान करने की घोषणा की है। 52,000 करोड़ रूपयों के लेबर सेस फण्ड के सीधे पैसे श्रमिकों के खाते में डाले जायेंगे। इसके अलावा विभिन्न श्रेणी के श्रमिकों को एक माह का अनाज मुफ्त दिया जायेगा। उज्ज्वला योजनानांतर्गत गरीबों को तीन माह तक गैस सिलेंडर मुफ्त दिए जायेंगे। राज्य की भूपेश सरकार की भी लाकडाउन के दौरान मुफ्त में राशन का राहत देना सराहनीय है। लाकडाउन में नियमों में अधिक महत्वपूर्ण बात यह होगी कि प्रशासन तंत्र कितने संवेदन शीलता के साथ नियमों को लागू करता है।

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