कोरोना का कहर खतरा बना जन जीवन को रास नहीं आने के बावजुद उसे एक नए मोड़ पर ला खड़ा कर दिया है। अनेक बड़ी कम्पनियों, सरकारी संस्थानों, अदालतों में कर्मचारियों-जजेस, वकीलों को घर पर ही बैठकर काम करने कहा गया है। वकीलों-जजों के बीच विडियों कान्फ्रेंस के जरिए मामलों की सुनवाई चल रही है। इस तरह की कार्यशैली विश्व के अनेक देशों में चल रही है। खास कर, आर.टी. कम्पनियों के द्वारा भी ऐसी व्यवस्था की गई है। वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर पूरे देश में लाकडाउन है। व्यापार-उद्योग में शट डाऊन है और जिन लोगों के लिए घर बैठे काम करना संभव है, वे लोग ऐसा ही कर रहे हैं। इस तरह देखें तो नए प्रकार की कार्य संस्कृति का देश में पहली मरतबे संचार हो रहा है। सामान्य जन जीवन में कर्मचारी सुबह घर से खा-पीकर निकलता है और शाम को घर लौटना है। लौटते वक्त वह घर के लिए जरूरी सामानों को खरीदना भी भूलता नहीं है। घर-गृहस्थी का ऐसा रूटीन भी होता है कि पत्नी और बच्चे इंतजार करते हैं कि घर के मुखिया अब आयेंगे। साप्ताहिक अवकाश में घुमना-फिरना भी होता है। यह एक फिक्स टाइमटेबल था।
अब कोरोना न फैले, इस कारण देश भर में लाकडाउन है। पंजाब, दिल्ली और महाराष्ट्र में तो कफ्र्यू है और इस कारण किसी को घर से बाहर जाना नहीं है। प्रधानमंत्री ने घर के बाहर लक्ष्मण रेखा खींच दी है। गृहिणियों को भी आराम मिला है। नाश्ता-भोजन बनाने में समय की पाबंदी अब नहीं रही। सतत भागदौड़ की जिन्दगी में विराम लगा है। किन्तु, कइयों को यह जीवन प्रणाली माफिक नहीं आ रही है, जो स्वाभाविक भी है। 14 अप्रैल तक ऐसे ही समय गुजारना है।
आगे क्या होगा, फिलहाल इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि पूरे देश में लाकडाउन करने से कुछ नहीं होगा। कोरोना को ढूंढकर मारना होगा। भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या 13 हो गई है। 649 मामले सामने आए हैं व 43 कोरोना ग्रसित मरीज ठीक हो गए हैं। बहरहाल घरों का रहनसहन भी बदला है। पहले घर के बाहर रहने वाले पुरूष अब अपने घरों में है। इस कारण, उनका विशेष ध्यान रखने ग्रहिणियां व्यस्त हैं। बच्चों को अनुशासन मे रहने विवश होना पड़ा है। घरों में काम करने वाली नौकरानियां भी काम पर नहीं हआ रही हैं। लेकिन कोरोना से उत्पन्न गंभीर परिस्थितियों के मद्देनजर यह जरूरी है कि हर हालात में धैर्य रख घर में ही रहना है। वर्तमान स्थिति में घर पर ही रहना यह एक सामाजिक और राष्ट्रीय फर्ज है।
सलाम के हकदार आज वे डाक्टर्स, नर्सेज, पुलिस, मीडिया कर्मी हैं, जो कोरोना से ग्रस्त लोगों को बचाने व कोरोना को परास्त करने युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। एहतियात बरतने से नि:संदेह रोजाना काम करने वाले मजदूर, खास कर जो बाहर अन्य शहरों में फंसे पड़े हैं, वे बहुत परेशान हैं, उनकी मदद करने सरकार को ध्यान देनें की जरूरत है।