Home छत्तीसगढ़ खस व कूलर के धंधे में छाया कोरोना संकट

खस व कूलर के धंधे में छाया कोरोना संकट

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० काम नहीं मिलने से परेशान कूलर रिपेयर व खस वाले ० शीतल पेय, दही लस्सी, गन्ना रस का कारोबार बंठा धार

राजनांदगांव (दावा)। इन दिनों तेज धूप व गर्मी पडऩे लगी है। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार जा रहा है। ऐसे समय में कोरोना के डर से घरों में दुबके हुए लोगों को पंखे, कुलर व एसी की सख्त आवश्यकता पड़ रही है। गर्मी के मारे बार-बार मुंह सूखने से लोगों को शीतल पेय दही, लस्सी, गन्ना रस आदि की जरूरत महसूस हो रही है लेकिन लाक डाउन के चलते भरी दोपहरी में बाजार बंद होने से इन सब गला तर करने वाले चीजों से महरूम होना पड़ रहा है। कोरोना संकट के कारण घरों तक सिमित होकर रह गये लोगों को इस तेज गर्मी में ठंडी हवा भी नहीं मिल रही। इधर बार-बार बिजली गुल भी लोगों का परेशान किये हुए है। गर्मी से बचने घरों में सहेज कर रख दिये कुलर आदि को निकाला जा रहा है। उसे झाड़-पोछ के साथ हल्की-फुल्की रिपेयरिंग की आवश्यकता पड़ रही है। पूरा खस बदलवाने पड़ रहे है लेकिन लाक डाउन के चलते कम समय के लिए खुल रही खस टट्टी के दुकानों में काम नहीं हो पा रहा। लोगों को सुबह से उठकर खस टट्टी की दुकान तक जाने आने में इतना समय लग जा रहा कि लाक डाउन में छूट की समय सीमा खत्म हो जा रही। बेचारे पुलिस वालों की डंडे की डर से अपने कूलर के खस टट्टी तक नहीं बदलवा पा रहे। इधर पर्याप्त रूप से काम नहीं मिलने पर खस टट्टी बनाने वाले दुकानदार परेशान है। लाकडाउन के चलते उनके समक्ष रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

तीन सौ रूपये तक लगाए जा रहे खस लाक डाउन में छूट समय 12 बजे तक हड़बड़ी में सामान समेटते हुए खस टट्टी लगाने वाले दुकानदार विजय मरकाम ने बताया कि कोरोना संकट व लाकडाउन के चलते इनका धंधा पूरी तरह मार खा गया है। इस साल धंधा ठीक ठाक होगा समझ कर ज्यादा रूपये खर्च कर बाहर से खस मंगवाए हुए है लेकिन कोरोना संकट के चलते इसका भी रूपिया वसूल होना संकट में दिख रहा है। डाउन में कम समय छूट के चलते खस टट्टी लगाने ग्राहक भी नहीं आ पा रहे। इक्का-दुक्का जो ग्राहक आ पा रहे है उसी की कमाई से घर-परिवार का से गुजारा किया जा रहा है।

इधर गुरूद्वारा चौक में खस टट्टी की दुकान लगाए संतोष मरकाम ने बताया कि एक कुलर के तीन पटो के लिए जाली सहित 300 रूपये में खस लगाया जा रहा है। यदि जाली नहीं बदलनी होती तो मात्र 200 रूपये में खस लगा कर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सुबह से ठेले में खस आदि सामान भर कर चौक चौराहे तक आते है और दुकान लगाते है। लोगों के पास इतना समय नहीं बच पा रहा है कि दैनिक आवश्यकता की सामान खरीदी करे या कुलर में खस टट्टी लगाए। लाक डाउन में छूट का समय समाप्त होते ही उन्हें अपना दुकान समेटनी पड़ती है। यदि हम खस टट्टी लगाने वाले दुकान दारों को दोपहर में भी दुकान लगाने की छूट दे दी जाती तो उनका गुजार निकल जाता। इधर कूलर बनाने वाले व रिपेरिग करने वाले भी रो रहे है। लाक डाउन के चलते उनके पास ग्राहक का अभाव बना हुआ है।

चौक-चौराहों में लगी दुकानें

तेज धूप व गर्मी में इजाफा होते ही कुलर में खस टट्टी लगाने वाले दुकाने शहर की चौक-चौराहे में सजने लगी है। खास कर कंडरा समुदाय के लोग वर्षों से खस टट्टी लगाने का धंधा करते आ रहे है। गर्मी सीजन में उनकी अच्छी कमाई हो जाती है लेकिन कोरोना संकट व खस का लाक डाउन के कारण उनका यह सीजनल धंधा पूरी तरह चौपट होकर रह गया है। शहर में सुबह 7 बजे से 12 बजे तक ग्राहकों की ताक में पोष्ट आफिस चौक, गुरूद्वारा चौक, दुर्गा टाकिज रोड, गंज चौक, महावीर चौक, भदौरिया चौक आदि जगहों पर दुकान लगाए खस टट्टी दुकान दार ग्राहकी के लिए तरस रहे है। ले-दे कर कोई समय निकाल कर इक्का दुक्का ग्राहक आ जा रहा है इससे ही उसके पेट व परिवार का बड़े मुश्किल से भरण पोषण हो पा रहा है। लाक डाउन में छुट की कम समय सीमा के चलते पर्याप्त रूप से उनके पास काम नहीं आने से उन्हें अपने परिवार की भरण-पोषण की चिंता सता रही है।

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