राजनांदगांव (दावा)। कोरोना महामारी से बचने जिले के नरेगा मजदूर शारीरिक दूरी का पालन करते हुए काम कर रहे हैं। लाकडाउन में छूट मिलने के बाद ही नरेगा के श्रमिकों को काम में लगा दिया गया है। श्रमिक शारीरिक दूरी का पालन करते हुए अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। कोरोना माहमारी के कारण देश के सामने आर्थिक संकट बड़ी चुनौती बन गई है। इस समस्या के निपटने के लिए राज्य सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की मंशा से महात्मा गांधी नरेगा के तहत विभिन्न कार्यों की मंजूरी दे दी है। इस कड़ी में राजनाँदगाँव ज़िले में भी ग्रामीणों को नरेगा के तहत रोजगार मुहैया कराने का काम शुरु कर दिया गया है। कुल 812 ग्राम पंचायतो में एक लाख चार हज़ार एक सौ पंद्रह श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया। यह निश्चित ही ज़िले के लिए उपलब्धि का विषय है कि ज़िले में जहां एक लाख श्रमिकों को कार्य में जोडऩे का लक्ष्य था वहीं इस लक्ष्य से 4 प्रतिशत बेहतर कर एक लाख चार हज़ार एक सौ पंद्रह श्रमिकों को कार्य से जोड़ा गया है। मजदूर शारीरिक दूरी का पालन करते हुए सैनिटाइजर का उपयोग कर काम कर रहे हैं।
मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों से पूरी सुरक्षा के साथ काम लिया जा रहा है। शारीरिक दूरी के साथ सैनिटाईजर एवं मास्क के प्रयोग के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।
-तनूजा सलाम, सीईओ जिपं
सैनिटाईजर का उपयोग भी कर रहे
मजदूर अपने काम के बीच में सैनिटाईजर का उपयोग करते भी नजर आ रहे हैं। जिला पंचायत सीईओ तनूजा सलाम ने बताया कि ज़िले में मनरेगा के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देने के लिए काम शुरु कर दिया गया है। रोजगार के साथ कोरोना के बचाव संबंधित उपायों का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
मास्क पहनना भी किया अनिवार्य
श्रमिकों को सख्त निर्देश है कि उन्हे कार्यस्थल में मास्क पहनकर ही आना है। इसके लिए मानीटरिंग टीम भी बनाई गई है। साथ ही एक कर्मचारी को श्रमिकों को हाथ धुलाने के लिए भी चिन्हांकित किया गया है। सभी श्रमिक मास्क पहन कर काम करते है और सैनिटाइजऱ का भी उपयोग करते है। नरेगा के श्रमिकों के इस काम से दूसरे लोगों को भी प्रेरणा मिल रही है।
क्वारंटाइन मजदूरों को कार्यस्थल से रखा दूर
मनरेगा में दूसरे जिले से पहुंचे मजदूर जिन्हे क्वारंटाइन में रखा गया है उन्हे कार्यस्थल से दूर रखा गया है। गांव में भी जिन श्रमिकों को सर्दी या अन्य कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं उन्हे कार्यस्थल में आने की इजाजत नही है। कोरोना के कारण एक ओर जहां पलायन करते हुए श्रमिक, आर्थिक समस्या से जूझ रहे परिवार की तस्वीर देखने को मिलती वही ज़िले में काम कर रहे श्रमिक निश्चित ही राहत का संदेश दे रहे हैं।