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तेंदूपत्ता संग्रहण में बाधक बना लाकडाऊन?

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जिले में तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य अब शुरू नहीं हो पाया
राजनांदगांव(दावा)। कोरोना वायरस और लाकडाऊन के चलते तेंदूपत्ता के कारोबार पर इस बार खतरा मंडराने लगा है। तेंदूपत्ता लाट की नीलामी, संग्रहण की प्रक्रिया, फड़ों में कर्मचारियों की उपलब्धता, फड़ों की सुरक्षा, संग्राहक परिवारों की सुरक्षा जैसी कई अन्य सरकारी प्रक्रियाओं के पूरे नहीं होने से अब पशोपेश की स्थिति बनी हुई है।
जानकारी के अनुसार जिले के वनांचल में तेंदूपत्ता की बूटा कटाई का काम मार्च महीने में लगभग पूरा हो चुका था। उसके बाद तेदूपत्ता संग्राहक परिवार पत्ता तोड़ाई की आस में थे कि गत 24 मार्च से पूरे देश में कोरोना वायरस के चलते लाकडाऊन हो गया, जिसे अब अब तीन मई तक बढ़ा दिया गया है। इसके चलते जिले में तेंदूपत्ता तोड़ाई का काम शुरू नहीं हो पाया है। वहीं लाकडाऊन की वजह से तेंदूपत्तों को भरकर रखने के लिए बोरा भी प्राप्त नहीं हो पाया है।
लाकडाऊन बढ़ा तो तेंदूपत्ता संग्रहण चौपट?
वन विभाग द्वारा तेंदूपत्ता तोड़ाई और संग्रहण की तैयारी शुरू कर दी गई है। फड़ के हिसाब से बाहरी ठेकेदारों ने पत्ता की खरीदी भी कर ली है, पर कोरोना वायरस की वजह से ठेकेदारों को इस बार सिर्फ पांच-पांच कर्मचारी ही रखने की अनुमति मिलेगी। इसे भी संबंधित जिले के कलेक्टर ही तय करेंगे। यानी ठेकेदार के कर्मचारियों को दूसरे जिले में आने-जाने की अनुमति भी कलेक्टर ही देंगे। अनुमति नहीं मिलने पर ठेकेदारों को लोकल मजदूरों से ही काम कराना पड़ जाएगा। इधर लॉकडाउन की अवधि बढ़ती है तो तेंदूपत्ता का कारोबार चौपट होने की आशंका है। राज्य शासन की ओर से तोड़ाई और संग्रहण कार्य की तैयारी शुरू करने का आदेश तो जारी कर दिया गया है। समिति स्तर पर संग्राहकों के खाता नंबर सहित नए नामों को अपडेट करने का काम शुरू हो गया है पर संशय बना हुआ है कि अगर 3 मई के बाद लॉकडाउन की अवधि बढ़ा दी जाती है, तो तोड़ाई और संग्रहण का कार्य प्रभावित हो सकता है। इस अवधि के बीच ही पत्ते की क्वॉलिटी ठीक रहती है, पर इसके बाद देरी होने पर पत्ता कडक़ होने पर उपयोगी नहीं रह पाएगा। वहीं रुक-रुककर हो रही बारिश से भी पत्ता की क्वालिटी पर भी प्रभाव पड़ा है। वनोपज शाखा के उपप्रबंधक एएस अग्रवाल ने बताया कि एक ठेकेदार को 5 कर्मचारी रखने की अनुमति है। इसकी सूची बनाकर कलेक्टर को भेज चुके हैं। संग्रहण और उठाव के दौरान सैनिटाइजर की व्यवस्था भी करेंगे।
तेंदूपत्ता पर मौसम की भी मार
इस बार तेंदूपत्ता पर मौसम ने भी कहर ढा रखा है। बूटा कटाई के बाद से लगातार बदली, बूंदाबांदी, ओला और बारिश की स्थिति होने से पत्ते तैयार नहीं हो पाए हैं। तैयार हुए भी हैं तो क्वालिटी खराब हो गई है। ठेकेदारों का कहना है कि इस साल उन्हें सब तरह से नुकसान ही दिख रहा है। अब संग्राहक परिवारों के जरिए पत्ता तोड़ाई शुरू भी हो जाएगा तो बारदाना और मजदूरों के अभाव में फड़ों में संग्रहण का काम मुश्किल लग रहा है। वहीं यह कार्य यदि शुरू हो भी जाता है तो सोशल डिस्टेसिंग का पालन कराना भी एक चुनौती होगी। पत्तों के संग्रहण के दौरान तो यह संभव है, पर उसके बंडलिंग, फड़ में संग्रहण, बारदाना में भराई, लोडिंग, अनलोडिंग सहित और भी कई तरह की परेशानियां खड़ी होंगी। ऐसे में अंदेशा है यह तेंदूपत्ता का कारोबार इस बार पूरी तरह से कोरोना वायरस की भेंट चढ़ सकता है ?
136 हजार मानक बोरा संग्रहण का लक्ष्य
जानकारी के अनुसार जिले के छुरिया, डोंगरगांव, खैरागढ़, छुईखदान, गंडई, अंबागढ़ चौकी, मोहला, मानपुर, औंधी, खडग़ांव, औंधी आदि क्षेत्रों में हजारों की संख्या में लोगों को तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य में रोजगार मिलता है। जिले में दो वन मंडल खैरागढ़ और राजनांदगांव के करीब आठ रेंजों में एक लाख 27 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का काम होता है। खैरागढ़ वन मंडल में करीब 42 हजार 600 मानक बोरा और राजनांदगांव वन मंडल में 84 हजार 400 मानक बोरा तेंदूपत्ता तोड़ाई का लक्ष्य निर्धारित है। जानकारी के अनुसार तेंंदूपत्ता के अधिकांश ठेकेदार छत्तीसगढ़, उड़ीसा, हैदराबाद, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल के होने से लाकडाऊन की वजह से उनके सामने फिलहाल नीलाम हो चुके जंगलों तक आवाजाही का संकट खड़ा हो गया है। तेंदूपत्ता फड़ों में काम करने वाले अधिकांश मजदूर महाराष्ट्र से आते हैं, ऐसे में कोरोना प्रभावित महाराष्ट्र से मजदूरों का आना भी संभव नहीं हो पा रहा है। चूंकि वहां कोरोना के मरीज सर्वाधिक है।

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