दिक्कतों में पहुंच रहे हैं अब भी मजदूर
डोंगरगांव (दावा)। कोरोना महामारी के वैश्विक आपदा की इस घड़ी में मजदूरों का दर्द पूरा भारत समझ चुका है परन्तु शासन के नुमाईंदे ग्राउंड जीरो पर आने के बजाय कागज बढ़ाने में लगे हैं. बीते दो दिनों में प्रदेश सरकार जहां मजदूरों को घर वापसी के लिए साधन सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा कर रही है, वहीं हकीकत में इन दावों की पोल खुलती नजर आ रही है.
कुछ ऐसा ही वाक्या खुज्जी विधायक छन्नी साहू के क्षेत्र में देखा जा रहा है. बीते शनिवार को उनके क्षेत्र के ग्राम कलडबरी के प्रवासी मजदूर जो बाम्बे से डोंगरगांव पहुंचे थे. उन्हें ना तो शासन की ओर कोई सुविधाएं मिली और ना ही कोई आर्थिक मदद. यही स्थिति ग्राम आयबांधा के मजदूरों की है, जो हैदराबाद से डोंगरगांव पहुंचे थे. इन्हें घर वापसी के लिए माल वाहकों में सवार होकर चिचोला, तुमड़ीबोड़ व राजनांदगांव पहुंच रहे हैं. जहां से वे पैदल छुरिया, डोंगरगांव व अन्य गंतव्य स्थानों पर पैदल पहुंच रहे हैं. मजदूरों ने बताया कि बाम्बे से आने के लिए उन्हें प्रति व्यक्ति दो हजार जबकि हैदराबाद से आने वालों को भी मोटी रकम बतौर किया देना पड़ा है. स्थिति यह थी कि आयबांधा के प्रवासियों की पूरी जमा पूंजी डोंगरगांव पहुंचते तक खत्म हो चुकी थी. यहां पूर्व नपं अध्यक्ष संध्या नरेन्द्र साहू ने उनके भोजन व पहुंचने की व्यवस्था की.
खोखले दिखे विधायक पति के दावे
रविवार को मीडिया की एक टीम खुज्जी विधायक छन्नी चंदू साहू के निवास एक अन्य विषय को लेकर पहुंची थी. जहां उनके पति चंदू साहू ने उनके आराम करने का समय बताकर स्वयं ही मीडिया से मुखातीब हुए. इस दौरान उन्होंने बताया कि क्षेत्र के प्रवासी व मजदूरों की उन्हें चिंता है और इसके लगातार पत्र व्यवहार किये जाने की बात श्री साहू ने कही. इस भेंट के चंद मिनट बाद ही उनके ग्राम की सरहदी सीमा पर पूणे महाराष्ट्र से अपनी जमा पूंजी खर्च घर लौट रहे पड़ौसी ग्राम के मजदूर दंपत्ती से मुलाकात ने विधायक पति के दावों की पोल खोल दी. उक्त दंपत्ति ने बताया कि घर लौटने के लिए उन्होंने दो बार फार्म भरा था, पर शासन प्रशासन ने कोई खोज खबर नहीं ली. साथ ही बताया कि जो कमाई उन्होंने एक साल में की थी उसे दो माह के लॉकडाऊन के दौरान खाने पीने तथा पूणे से वापसी में किराये के लिए जमा पूंजी छ: हजार भी खर्च करने पड़े. ज्ञात हो कि उक्त दंपत्ती विधायक श्री साहू के पड़ोसी ग्राम के निवासी हैं जो भरी दोपहरी में चिचोला से पैदल अपने गृहग्राम जा रहे थे. इस दौरान ना तो उन्हें कोई साधन सुविधा मिली और ना ही किसी प्रकार की कोई जांच की गई।