सुख के सब साथी दुख में न कोई, मेरे राम, मेरे राम..
तेरा नाम इक सांचा दूजा न कोई, सुख के सब साथी..
ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा, ये जग जोगी वाला फेरा,
राजा हो या रंक सभी का अंत एक सा होई, सुख के..
चम्पक बड़े ऊंचे सुर में यह फिल्मी भजन गा रहा था। बाबूलाल ने दूर से ही उसकी आवाज सुनी और उसके घर में प्रवेश किया। तब भी चम्पक जोर लगाकर यह भजन गा रहा था। चम्पा बोली-पता नहीं भैया, पहले तो वे बाथरूम में गा रहे थे और अब भी इस भजन को घर मंदिर में गा रहे हैं। मेरा तो सर दुखने लगा है। बाबूलाल ने चम्पक को झकझोरते हुए कहा-अब बंद भी कर मेरे भाई। आज तुझे क्या हो गया है? तभी चम्पक ने गाना बंद कर दिया और भावुक होकर बोला- बाबूलाल तुम नहीं जानते। कोरोना कम होने की बजाय बढ़ते ही जा रहा है। बमुश्किल लाकडाउन-4 में आंशिक छूटछाट मिली है। स्वभाविक रूप से बाजार खुले हैं। ग्राहकों की भीड़ उमड़ रही है। हजारों की तादाद में लोग खरीदारी कर रहे हैं। पर्यावरण सायलेंसर और हार्न की आवाज गूंज उठी है। लेकिन, लोगों की जेब में सेनिटाइजर नहीं है। दुकानदार नोटों को गिनने अपनी ऊंगली अपनी जीभ को छुआते हैं। यह आदत पुन: जीवित हो गई है। मास्क को ठीक से गंभीरता के साथ पहनना होता है, किन्तु यह आभूषण के समान गले में लटकता दिखता है। दोपहिया वाहनों में ट्रिपल सवारी बच्चों सहित दिखाई देती है। लोगों में एक प्रकार की नकली निर्भयता देखने को मिल रही है। फिर वह कोई शहर हो या जिला हो या फिर राज्य की बार्डर हो, सावधान नहीं रहे। लाकडाउन के नियमों का पालन नहीं हो रहा है। धीरज का अभाव रहेगा, तो जीवंत कोरोना का बम फिर हमें जनता कफ्र्यू में ले जाएगा। यह बम न राजा को छोड़ेगा, न रंक को छोड़ेगा, न अफसरों को छोड़ेगा, न कर्मचारियों को छोड़ेगा, न नेता को छोड़ेगा न कार्यकर्ताओं को। कोरोना निष्पक्ष है। भेदभाव नहीं करता। वर्तमान के वातावरण में लोगों के मन की अस्वस्थता की भाप प्रेशर कुकर के समान नियंत्रित प्रणाली से किस प्रकार बाहर आए, इसका दृढ़ विचार होना आवश्यक है। अब समझ में आ ही गया होगा बाबूलाल कि वह भजन मैं क्यों गा रहा था? चम्पक ने कहा।
टेस्टिंग नहीं होने से कोरोना पाजिटिव बढ़े
हां मित्र समझा, जिले में मोहला के करमोता में कोरोना के चार पाजिटिव केस और अब डोंगरगढ़ में एक और केस सामने आया है। यह केस कोरोना पाजिटिव का डिप्टी कलेक्टर का ड्रायवर निकला। पाजिटिव मरीज व डिप्टी कलेक्टर की ड्यूटी बागनदी बार्डर पर थी। फिर क्या था? उनके साथ दौरा करने वाले सभी प्रशासनिक अफसर व राजनीति से जुड़े लोग आइसोलेशन में गए। स्वयं कलेक्टर आइसोलेशन में रहे। अब डोंगरगढ़ बंद है। जिला प्रशासन बागनदी पर अटके अधिकांश मजदूरों को गंतव्य स्थान में पहुंचाने में आंशिक सफल हुआ है। क्या इसे मजदूरों की वापसी की फलश्रुति समझें कि उसके बाद डोंगरगांव ब्लॉक के गा्रम सागर और सोमनी क्षेत्र के ग्राम ईरा में एक साथ तीन कोरोनाग्रस्त मिले हैं। जिले में कोरोना कैरियर्स की संख्या में इजाफा होने से प्रशासनिक स्तर पर हडक़ंप मच गया है। पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह भी अपने दलबल के साथ बाघनदी बार्डर प्रवासी मजदूरों का हालचाल जानने व उनकी मदद करने के आशय से पहुंचे थे, उन सभी को भी आइसोलेशन में रहने का सुझाव दिया गया था। प्राय: बाघनदी पहुंचने वाले सभी अधिकारियों-कर्मचारियों व नेताओं की कोरोना टेस्ट की जांच रिपोर्ट का इंतजार है। रिपोर्ट पाजिटिव भी आ रही है। महाराष्ट्र से आ रहे सभी मजदूरों की टेस्टिंग ही नहीं हो रही है। इनमें कोरोना कैरियर मजदूर जब अपने गांवों में जाते हैं, तब वहां रहने वालों को संक्रमित करते हैं। टेस्टिंग रिपोर्ट आने के बाद मरीजों में इजाफा होगा, यह निश्चित है।
कहते हैं, दु:ख में साहस और सुख में संयम से काम लो और अपने हिस्से में आया काम ईमानदारी से पूरा करें। वैसे गालिब ने कहा है-
कैदे-हयात-ओ-बन्दे-गम, अस्लमें दोनों एक हैं,
मौत से पहले आदमी गम से निजात पाये क्यों?
कांग्रेस सरकार की ‘न्याय योजना’ माइल स्टोन
हरगोविंद सिंह ‘नश्तर’ ने निम्न चार लाइनों में बहुत अच्छी बात कही है-
हजार नाकामियां हों ‘नश्तर’,
हजार गुमराहियां हो लेकिन,
तलाशे-मंजिल अगर है दिल से,
तो एक दिन वो लाजिमी मिलेगी।
भूपेश सरकार एक ओर आर्थिक संकट से जूझ रही है, वहीं किसानों से किए गए वायदे को पूरा करने सुसज्ज हो गई है। धान की सरकारी खरीदी 2500 रूपए प्रति क्विंटल खरीदने की राशि के वायदे के अंतर की राशि किश्तों में देकर किसानों को राहत दे रही है। इसी परिप्रेक्ष्य में किसानों को प्रोत्साहित करने राजीव गांधी किसान न्याय योजना का शुभारंभ सरकार ने कर दिया है। इस प्रकार उक्त योजना के माध्यम से परोक्ष रूप से किसानों को किश्तों में हिस्सों की राशि प्रदान कर रहे हैं। इसे किसानों को उनके धान बिक्री की राशि के अलावा अतिरिक्त भुगतान के रूप में देखा जा रहा है। किसान न्याय योजना की खासियत यह है कि इसमें धान के अलावा अन्य सभी फसलों को शामिल किया गया है। याने कि सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, तिल, मूंग, उड़द, अरहर, गन्ना आदि अन्य फसल उत्पादकों को इस योजना से अर्थ लाभ होगा। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राजनांदगांव में सीएम बघेल ने न्याय योजना के जरिए किसानों के चेहरों पर ऐसे मुसीबत के समय प्रसन्नता लाने का सद्प्रयास किया है। किसानों के बैंक खातों में सीधे यह प्रोत्साहित राशि पहुंचने से उनके साथ न्याय होगा।
अपने न्यायपूर्ण आशय को सिद्ध करने के संघर्ष में पराजय की संभावना होने के बावजूद व्यक्ति को उस आशय या हेतु के समर्थन में थोड़ा सा भी नहीं डिगना चाहिए। सीएम बघेल की सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है, इसके बावजूद किसानों को न्याय प्रदान करने, वायदे पूरा करने की ओर अग्रसर हो रही है।
संवेदनशीलता ही है कि रमन सिंह निरंतर जनसंपर्क में रहते हैं
समय परिवर्तनशील है। समझदार व्यक्ति समय के साथ परिवर्तन को आत्मसात कर अपने कार्यों को तदानुसार निर्धारित कर आगे बढ़ता है। प्रदेश के सत्ता शिखर पर रहकर 15 सालों तक राज करने वाले डॉ. रमन सिंह वर्तमान में कांग्रेस शासन में विपक्ष की भूमिका में हैं। परिवर्तन में भी ‘सिंह’ ने परोपकार की भावना को अपने से अलग नहीं किया है। सामथ्र्य अनुसार जनसेवा करते हुए गरीबों पर विशेष ध्यान देने वाले ये पूर्व सीएम अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। विपक्ष की भूमिका में रमन सिंह बड़ी शालीनता से भूपेश सरकार को उनके जनघोषणा पत्र में किए गए वायदों को अमल में लाने स्मरण कराते रहते हैं।
समस्याग्रस्त जनता को जब कोई मार्ग नहीं सूझता तब वे सूबे के इन पूर्व मुखिया के पास ही अपनी समस्या बेझिझक सामने रखते हैं। उचित मार्गदर्शन, सुझाव देते हुए रमन सिंह अपने स्तर पर सक्षमजनों से संपर्क कर सन्मुख आई जनसमस्या का समाधान करने का प्रयास करते हैं।
अपने विधानसभा क्षेत्र राजनांदगांव में भी पूर्व सीएम ने जिला स्तर के अधिकारियों की बैठक लेकर परिस्थितियों को जाना। हाल ही में बाघनदी बार्डर पर भूखे पीडि़त मजदूरों की मदद करने रमन सिंह अपने दलबल के साथ चना-मुर्रा व चरण पादुका लेकर पहुंचे थे। उनके आव्हान पर चंद मिनटों में सात लाख रूपए कोरोना संक्रमण के निवारण मद के लिए घोषित हो गए। जरूरत के मद्देनजर प्रेस कांफ्रेंस के जरिए भी जनता से रूबरू होते हैं। शासक पक्ष पर भी जनहित को लक्ष्य में रख आरोप लगाने से नहीं चूकते।
बहरहाल यह कि रमन सिंह मुख्यमंत्री नहीं रहे तब शहर में चल रहे अनेक विकास कार्यों पर ब्रेक लग गया है। जैसे अमृत मिशन योजना, बूढ़ासागर सौंदर्यीकरण, एजुकेशन हब, बायपास फ्लाई ओवर, दिग्विजय स्टेडियम का निर्माण अभी तक पूर्णता को प्राप्त नहीं हुआ है। वास्तव में विकास कार्यों की सुधि लेने वाला कोई जवाबदार नेतृत्व का अभाव इसका कारण है।
प्रतिबंधित तंबाकू-गुटखा-पान मसाला बाजार में
अरे थूकना मना है, क्या तुम्हें मालूम नहीं कोरोना फैल रहा है? चम्पक ने एक राहगीर को जब सायकल चलाते हुए थूकते देखा तब उसे रोककर चेतावनी देते हुए समझाईश दी। राहगीर के मुंह में गुटखा भरा हुआ था। उसने थोड़ा मुंह खोलते हुए कहा- माफ करना भैया, भूल हो गई। वह चला गया। चम्पक सोच में पड़ गया- क्या केवल दिखावे के लिए सरकार ने तंबाकू युक्त उत्पादों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया था? बाजार में खुले चंद पान दुकानों, चिल्लर व थोक विक्रेता व जीईरोड स्थित बीड़ी पत्ता गोदाम में तंबाकू व निकोटिन के घटक उपलब्ध हैं। गोदाम में विनिर्माण हो रहा है, विक्रेताओं के यहां भंडारण हो रहा है। लोगों के स्वास्थ्य सुरक्षा के नियमों को बलाए ताक पर रख सरेआम धज्जियां उड़ रही है। चम्पक के माथे पर चिंता को परखते हुए बाबूलाल ने इसका कारण पूछा।
चम्पक ने अपने मन की व्यथा उसे बताई। तब बाबूलाल ने कहा कि समय-समय पर खाद्य, सुरक्षा एवं मानक अधिनियम अंतर्गत तंबाकू या निकोटिन युक्त गुटखा व पान मसाला के भंडारण व बिक्री पर जिला एवं पुलिस प्रशासन के मार्गदर्शन में जप्ती की कार्यवाही कर प्रकरण दर्ज किए जाते हैं। किन्तु, इस तरह का निरीक्षण व कार्यवाही निरंतर नहीं होती। जिसका ही दुष्परिणाम है कि तंबाखू, निकोटिन युक्त पान मसाला बाजार में सहज उपलब्ध है और इसके खाने के आदी हो चुके व्यसनी ब्लैक में ऊंचे दामों पर खरीदने विवश होते हैं। व्यसनी केवल जनता के बीच में से नहीं हैं, इनमें सरकारी अमले के भी कई महानुभाव हैं, जो बीड़ी तंबाकू व गुटखा खाने के लिए आदतन व्यसनी हो गए हैं। तब निरंतर कार्यवाही कैसे हो सकती है?
जो गुटखा, तंबाकू खाते हैं, वे थूकने के लिए भी विवश हैं। उन्हें इसकी कोई फिक्र नहीं होती कि कोरोना महामारी का रूप ले चुका है और नियमों के तहत थूकने में भी मनाही है। कोरोना यूं ही नहीं फैल रहा है, इसके फैलने में परोक्ष रूप से वे लोग भी जिम्मेदार हैं जो तंबाकू गुटखा की उपलब्धता को लेकर उस ओर से मुंह फेरे हुए हैं।
डिजिटल पुलिसिंग से पारदर्शिता आएगी
पुलिस के कामकाज को 21 वीं सदी के अनुरूप अपडेट करने में जुटे हैं पुलिस कप्तान जितेन्द्र शुक्ला। युवा, ऊर्जावान एसपी से ऐसी अपेक्षा जनता की भी रहती है। समय-समय पर होने वाली नक्सली वारदातों ने भी पुलिस और जनता की नींद हराम किए हुए है। ऐसे समय नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा स्टाफ की तैनाती, निरीक्षण और सतत सूचनाएं लेना पहली प्राथमिकता होती है। पुलिस स्टाफ का मनोबल दृढ़ रखना भी प्रशासनिक कार्य कुशलता माना जाता है। मनोबल और कार्यक्षमता का सीधा संबंध होता है। इसी परिप्रेक्ष्य में कप्तान डिजिटल पुलिसिंग कर रहे हैं। जिसके चलते एफआईआर के बाद रोजनामचा भी आनलाइन हो जाएगा। इससे पुलिस की वेबसाइट से अब संबंधित शिकायतकर्ताओं को उनके प्रकरणों की जानकारी हो जाएगी। अपराधों पर लगाम लगेगा और अपराधियों के हौसले पस्त होंगे। डिजिटल पुलिसिंग की चल रही तैयारी पुलिस के कामकाज को अपडेट करेगी। इससे नि:संदेह पुलिस की इमेज में निखार भी आएगा।
किसी अनाम ने कहा है-
एक किताब घर में पड़ी
गीता और कुरान
आपस में कभी लड़ते नहीं हैं
और जो उनके लिए लड़ते हैं
वे उन दोनों को कभी नहीं पढ़तेएक ही रिवाज, एक ही रस्म
बस कुछ अंदाज बदल जाते हैं
वरना एक ही हैं जिसे
कुछ उपवास तो कुछ रमजान कहते हैं
एक ही है सब की मंजिल
लफ्जों के तराने बदल जाते हैं
वो एक मुकाम है जिसे
कुछ स्वर्ग तो कुछ जन्नत कहते हैं।।
– दीपक बुद्धदेव