खैरागढ़ ब्लॉक में फर्जी हाजिरी का चल रहा खेल
खैरागढ़(दावा)। मनरेगा अधिनियम एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला कानून है जो सरकार के सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में से एक है. इस अधिनियम का लक्ष्य मजदूरी रोजगार को बढ़ाना है जिसके तहत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन द्वारा सही उपयोग और गरीबों के कारण सूखा, जंगल काटना एवं मिट्टी के कटाव को सही तरीके से विकास में लगाना है पर वर्तमान में ब्लॉक के कुछ पंचायतों में पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा मिलीभगत के चलते इस अधिनियम के तहत लापरवाही बरतते हुये शासन की राशि का दुरूपयोग किया जा रहा है.
ब्लॉक के कई ऐसे ग्राम पंचायत है जहां इस तरह की शिकायतें मिली है कि मनरेगा कार्य के तहत फर्जीवाड़े का काम किया जा रहा है. ऐसा ही एक मामला क्षेत्र के ग्राम पंचायत रेंगाकठेरा में भी प्रकाश में आया है. ग्राम पंचायत रेंगाकठेरा में पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा मनरेगा के तहत चल रहे तालाब गहरीकरण कार्य में लापरवाही बरतने व फर्जी हाजिरी भरे जाने की शिकायत ग्रामीणों ने की है. गांव के ज्ञानेन्द्र व नरेन्द्र वर्मा सहित कुछ ग्रामीणों ने बताया कि मनरेगा कार्य के प्रारंभ में गांव के वार्ड क्र.08 से 14 तक के लोगों ने काम किया जिसमें सभी अपने हिसाब से काम किये हैं, किसी ने माप पंजी के मुताबिक गड्ढा नहीं खोदा तो कोई बैठे-बैठे ही अपना रोजी पकाये हैं. काम करने के बाद पंचायत प्रतिनिधियों ने अपनी मनमानी करते हुये कार्य स्थल का बिना जांच मूल्यांकन किये सभी का हाजिरी डालकर पूरी राशि का भगुतान कर दिया गया वहीं कई लोगों की फर्जी हाजिरी भी डाली गई जो कार्यस्थल में मौजूद भी नहीं थे. इसके पश्चात दूसरे चरण में गांव के वार्ड क्र.01 से 07 तक के लोगों को मनरेगा के तहत कार्य कराया गया जिसमें काम की राशि माप पंजी के हिसाब से डाली जा रही है.
०० बिना काम के ग्रामीणों ने यह भी बताया कि रोजी में काम करने वालों को 40 रूपये के हिसाब से रोजी दी जा रही है जबकि रोजी में कार्य करने वालों को भी बराबर भुगतान होना चाहिये. यह भी बताया जा रहा है कि जो पंच काम नहीं करते उनकी भी हाजिरी डाली जा रही है वहीं तालाब गहरीकरण के दौरान खोदे गये मिट्टी को वापस तालाब में ही डाला जा रहा है. ज्ञात हो कि भारत सरकार का पहला अंतरराष्ट्रीय कानून मनरेगा अधिनियम कार्य के तहत पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा शासन के पैसों का दुरूपयोग किया जा रहा है, केवल एक पंचायत ही नहीं बल्कि क्षेत्र के कई ग्राम पंचायतों में यही स्थिति देखने को मिल रही है इसके बाद भी उच् च अधिकारियों द्वारा मामले में कार्यवाही नहीं किया जाना शासन के खिलाफ जाने के बराबर है या यूं कहें कि ऐसे मामलों को नजर अंदाज कर दोषियों को बढ़ावा दिया जा रहा है.
गांव के कुछ लोगों द्वारा दुर्भावनावश गलत जानकारी दी जा रही है, मनरेगा का काम सही चल रहा है. रोजी में काम करने वाले लोगों को जनपद सीईओ के कहे मुताबिक 40 रूपये रोजी दिया जा रहा है, बाकी मजदूरों को माप पंजी के हिसाब से मजदूरी दी जा रही है.
-ईश्वरी खरे, सरपंच रेंंगाकठेरा
मैंने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया हैं, रोजी में काम कराने की जानकारी संबंधित पंचायत की टेक्रिकल असिस्टेंड शिवानी ने दी थी.
-रोशनी भगत टोप्पो, सीईओ
जनपद पंचायत खैरागढ़