रायपुर। 25 मई 2013 को बस्तर की झीरम घाटी में नक्सलियों द्वारा कांग्रेस पार्टी के नेताओं का नरसंहार की घटना बहुत ही दुखद थी और इस घटना में हमने अपने अच्छे साथियों को गंवाया था आज कांग्रेस सरकार द्वारा इस विषय को पुन: लाया गया मैं इस संबंध में यह कहना चाहता हूँ जब यह घटना हुई तो उस वक्त कांग्रेस की यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी एवं तत्कालीन गृह मंत्री सुशील शिंदे ने छ.ग. का दौरा किया था और वापस जाकर तत्कालीन गृह मंत्री ने मुझे फोन पर ही NIA जांच की सहमति मांगी थी और हमने तुरन्त NIA जांच की सहमति दे दी। यहां यह बताना भी जरूरी है कि NIA एक्ट यूपीए सरकार के द्वारा ही लाया गया था और NIA देश में आतंकवाद, नक्सलवाद और उग्रवाद जैसी घटनाओं की जांच के लिए बनाई गई संस्था है। चूंकि झीरमघाटी की घटना नक्सलवादियों द्वारा की गई घटना थी इसी कारण तत्कालीन यूपीए सरकार ने NIA को इस घटना की जांच हेतु सबसे उपयुक्त माना होगा। राज्य सरकार द्वारा झीरमघाटी की जांच के लिए एसआईटी का गठन करना समझ से परे है, मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या राज्य की एसआईटी, देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी NIA से ऊपर है?
हमारी सरकार ने इस घटना की स्वतंत्र जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था, जिसकी जांच जारी है और इस आयोग द्वारा अखबारों में कई बार विज्ञापन दिया गया कि झीरमघाटी के संबंध में किसी भी तरह के सबूत किसी भी व्यक्ति के पास यदि है तो वह इस आयोग को सौंप सकता है। इसके बावजूद 7 साल बाद घटना की जांच हेतु एसआईटी की मांग करना समझ से परे है। मैं यहां आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या राज्य की एसआईटी, एक सिटिंग जज की अध्यक्षता में बने आयोग से ऊपर है ?
16 जून 2020 को एनआईए ने जगदलपुर की विशेष एनआईए अदालत में याचिका लगाकर आवेदन किया कि मई 2020 में जितेन्द्र मुदलियार द्वारा की गई एफआईआर की जांच भी एनआईए को सौंप दी जाये क्योंकि इस घटना की जांच एनआईए पहले से कर रहा है। एक बात और कही गई कि सीबीआई ने जांच क्यों नहीं किया तो मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि हमने गृह मंत्रालय को सीबीआई जांच के लिए आग्रह किया था चूंकि एनआईए/सीबीआईके समकक्ष एजेंसी है इस कारण सीबीआई ने इस घटना की जांच ना करना उपयुक्त समझा होगा। एनआईए जैसी देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी के ऊपर आरोप लगाना सरासर गलत है इस तरह की एजेंसी किसी भी घटना की जांच प्रोफेशनल तरीके से करती है और यदि आपके पास इस घटना से संबंधित कोई सबूत या जानकारी देना चाहते है तो एनआईए को या न्यायिक जांच आयोग को आज भी सौंप सकते है।